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Rapid Rail: रिठानी स्टेशन पर कॉनकोर्स लेवल की स्लैब कास्टिंग पूरी - casting completed at Rithani station

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) कॉरिडोर पर मेरठ इलाके में बन रहे रिठानी मेरठ रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (एमआरटीएस) स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल की स्लैब कास्टिंग का काम पूरा हो गया है. इसके साथ ही अब स्टेशन का निर्माण कार्य प्लेटफॉर्म लेवल पर पहुंच गया है.

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रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम
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Published : May 18, 2022, 10:59 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद : दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद-मेरठ RRTS (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) कॉरिडोर पर मेरठ इलाके में बन रहे रिठानी मेरठ रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (एमआरटीएस) स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल की स्लैब कास्टिंग का काम पूरा हो गया है. इसके साथ ही अब स्टेशन का निर्माण कार्य प्लेटफॉर्म लेवल पर पहुंच गया है. इस स्टेशन को ग्राउंड, कॉनकोर्स और प्लेटफॉर्म तीन लेवल पर तैयार किया जा रहा है. रिठानी स्टेशन पर यात्रियों को मेरठ मेट्रो की सुविधा मिलेगी. जबकि रीज़नल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (आरआरटीएस) ट्रेनें यहां से आगे नॉन स्टॉप गुजरेंगी.

रिठानी स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल की स्लैब कास्टिंग करीब एक महीने पहले शुरू हुई थी. जिसे दो चरणों में पूरा किया गया है. कॉनकोर्स लेवल की स्लैब कास्टिंग पूरी होने के बाद अब इस लेवल पर पब्लिक यूटिलिटी के लिए आगे का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. रिठानी स्टेशन की लंबाई लगभग 75 मीटर है और चौड़ाई लगभग 34 मीटर है. जिसका कॉनकोर्स लेवल ग्राउंड लेवल से लगभग 7 मीटर ऊंचा बनाया जा रहा है. इस स्टेशन के प्लेटफॉर्म लेवल की ऊंचाई करीब 16 मीटर होगी.

रिठानी स्टेशन के ग्राउंड लेवल पर स्टेशन प्रवेश और निकास द्वार होंगे. कॉनकोर्स लेवल पर यात्रियों के लिए सुरक्षा जांच किओस्क और टिकट काउंटर के अलावा प्लेटफार्म लेवल पर जाने के लिए एएफ़सी (ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन) गेट होंगे. इसके साथ ही यहां यात्री केंद्रित सुविधाएं जैसे आधुनिक सूचना डिस्प्ले बोर्ड (ऑडियो-वीडियो सहित), स्टेशन के आसपास के प्रमुख स्थान दर्शाने वाले सिस्टम मैप, सीसीटीवी कैमरे, अग्निशामक प्रणाली और वॉशरूम आदि जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. इसी लेवल से यात्री सीढ़ियों, लिफ्ट या एस्केलेटर की मदद से प्लेटफ़ार्म लेवल पर पहुंचकर अपने गंतव्य स्थान के लिए ट्रेन ले सकते हैं.

पढ़ेंः गोण्डा जंक्शन के यार्ड की रिमॉडलिंग के चलते गुरुवार को कई ट्रेनें रहेंगी निरस्त


इस स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बीच में दो ट्रैक आरआरटीएस ट्रेनों के लिए बनेंगे, जहां से आरआरटीएस ट्रेनें, रिठानी स्टेशन पर रुके बिना अपने निर्धारित गंतव्य के लिए गुजरेंगीं. वहीं प्लेटफॉर्म पर आरआरटीएस ट्रैक्स के दोनों ओर लोकल मेरठ मेट्रो ट्रेन के आने और जाने के लिए एक- एक ट्रैक बनाया जाएगा. यहां पर यात्रियों को मेरठ मेट्रो की सुविधा मिलेगी. रिठानी वासियों को आरआरटीएस ट्रेनों में लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए आरआरटीएस के मेरठ साउथ या शताब्दी नगर स्टेशनों पर जाना होगा. जिसके लिए प्लेटफॉर्म बदलने की जरूरत नहीं होगी.

दिल्ली-मेरठ रोड पर स्थित रिठानी स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल का निर्माण व्यस्त सड़क पर निर्बाध यातायात सुनिश्चित करते हुए किया जा रहा है. इसके लिए एनसीआरटीसी प्री-कास्ट बीम के ऊपर गैल्वेनाइज्ड स्टील की शीट बिछाकर कास्टिंग हो रही है. पूरा निर्माण कार्य सिविल एवं सुरक्षा विशेषज्ञों की देखरेख में पूरी सावधानी से चल रहा है. एनसीआरटीसी आरआरटीएस कॉरिडोर के इनफ्रास्ट्रक्चर पर ही मेरठ में मेरठ मेट्रो की लोकल ट्रांज़िट सेवा भी प्रदान करने जा रहा है. रिठानी स्टेशन का निर्माण इसी कार्ययोजना का अंग है. जिससे स्थानीय निवासियों को मेरठ मेट्रो की लोकल सेवा के साथ-साथ सम्पूर्ण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आरआरटीएस कॉरिडोर से कहीं भी आने-जाने की सुविधा मिलेगी.



दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरीडोर में कुल 25 स्टेशन हैं. जिसमें से 13 स्टेशन मेरठ में स्थित हैं, जिनसे मेरठ में लोकल मेट्रो की ट्रांजिट सेवा स्थानीय निवासियों को मिल सकेगी. मेरठ साउथ स्टेशन से लोकल मेट्रो की सेवा प्रारम्भ होगी और परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी के एलिवेटेड भाग से आगे भैंसाली, मेरठ सेंट्रल और बेगमपुल में भूमिगत हो जाएगी. आगे यह फिर एलिवेटेड होकर एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ व मोदीपुरम होते हुए मोदीपुरम डिपो तक जाएगी. जहां मोदीपुरम डिपो में ट्रेनों के रखरखाव का प्रबंध होगा.


एनसीआरटीसी भारत की प्रथम रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) का क्रियान्वयन कर रहा है. जो एक रेल-आधारित, हाई-स्पीड, हाई-फ़्रीक्वेंसी रीजनल कम्यूटर ट्रांज़िट सिस्टम है. इसकी डिज़ाइन गति 180 किमी प्रति घंटे और औसत गति 100 किमी प्रति घंटे है. इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन द्वारा संचालित, आरआरटीएस एनसीआर में परिगमन के ग्रीन मोड के रूप में काम करेगा. इसका मकसद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करना है.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद : दिल्ली-ग़ाज़ियाबाद-मेरठ RRTS (रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) कॉरिडोर पर मेरठ इलाके में बन रहे रिठानी मेरठ रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (एमआरटीएस) स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल की स्लैब कास्टिंग का काम पूरा हो गया है. इसके साथ ही अब स्टेशन का निर्माण कार्य प्लेटफॉर्म लेवल पर पहुंच गया है. इस स्टेशन को ग्राउंड, कॉनकोर्स और प्लेटफॉर्म तीन लेवल पर तैयार किया जा रहा है. रिठानी स्टेशन पर यात्रियों को मेरठ मेट्रो की सुविधा मिलेगी. जबकि रीज़नल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (आरआरटीएस) ट्रेनें यहां से आगे नॉन स्टॉप गुजरेंगी.

रिठानी स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल की स्लैब कास्टिंग करीब एक महीने पहले शुरू हुई थी. जिसे दो चरणों में पूरा किया गया है. कॉनकोर्स लेवल की स्लैब कास्टिंग पूरी होने के बाद अब इस लेवल पर पब्लिक यूटिलिटी के लिए आगे का निर्माण कार्य शुरू हो गया है. रिठानी स्टेशन की लंबाई लगभग 75 मीटर है और चौड़ाई लगभग 34 मीटर है. जिसका कॉनकोर्स लेवल ग्राउंड लेवल से लगभग 7 मीटर ऊंचा बनाया जा रहा है. इस स्टेशन के प्लेटफॉर्म लेवल की ऊंचाई करीब 16 मीटर होगी.

रिठानी स्टेशन के ग्राउंड लेवल पर स्टेशन प्रवेश और निकास द्वार होंगे. कॉनकोर्स लेवल पर यात्रियों के लिए सुरक्षा जांच किओस्क और टिकट काउंटर के अलावा प्लेटफार्म लेवल पर जाने के लिए एएफ़सी (ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन) गेट होंगे. इसके साथ ही यहां यात्री केंद्रित सुविधाएं जैसे आधुनिक सूचना डिस्प्ले बोर्ड (ऑडियो-वीडियो सहित), स्टेशन के आसपास के प्रमुख स्थान दर्शाने वाले सिस्टम मैप, सीसीटीवी कैमरे, अग्निशामक प्रणाली और वॉशरूम आदि जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी. इसी लेवल से यात्री सीढ़ियों, लिफ्ट या एस्केलेटर की मदद से प्लेटफ़ार्म लेवल पर पहुंचकर अपने गंतव्य स्थान के लिए ट्रेन ले सकते हैं.

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इस स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बीच में दो ट्रैक आरआरटीएस ट्रेनों के लिए बनेंगे, जहां से आरआरटीएस ट्रेनें, रिठानी स्टेशन पर रुके बिना अपने निर्धारित गंतव्य के लिए गुजरेंगीं. वहीं प्लेटफॉर्म पर आरआरटीएस ट्रैक्स के दोनों ओर लोकल मेरठ मेट्रो ट्रेन के आने और जाने के लिए एक- एक ट्रैक बनाया जाएगा. यहां पर यात्रियों को मेरठ मेट्रो की सुविधा मिलेगी. रिठानी वासियों को आरआरटीएस ट्रेनों में लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए आरआरटीएस के मेरठ साउथ या शताब्दी नगर स्टेशनों पर जाना होगा. जिसके लिए प्लेटफॉर्म बदलने की जरूरत नहीं होगी.

दिल्ली-मेरठ रोड पर स्थित रिठानी स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल का निर्माण व्यस्त सड़क पर निर्बाध यातायात सुनिश्चित करते हुए किया जा रहा है. इसके लिए एनसीआरटीसी प्री-कास्ट बीम के ऊपर गैल्वेनाइज्ड स्टील की शीट बिछाकर कास्टिंग हो रही है. पूरा निर्माण कार्य सिविल एवं सुरक्षा विशेषज्ञों की देखरेख में पूरी सावधानी से चल रहा है. एनसीआरटीसी आरआरटीएस कॉरिडोर के इनफ्रास्ट्रक्चर पर ही मेरठ में मेरठ मेट्रो की लोकल ट्रांज़िट सेवा भी प्रदान करने जा रहा है. रिठानी स्टेशन का निर्माण इसी कार्ययोजना का अंग है. जिससे स्थानीय निवासियों को मेरठ मेट्रो की लोकल सेवा के साथ-साथ सम्पूर्ण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आरआरटीएस कॉरिडोर से कहीं भी आने-जाने की सुविधा मिलेगी.



दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरीडोर में कुल 25 स्टेशन हैं. जिसमें से 13 स्टेशन मेरठ में स्थित हैं, जिनसे मेरठ में लोकल मेट्रो की ट्रांजिट सेवा स्थानीय निवासियों को मिल सकेगी. मेरठ साउथ स्टेशन से लोकल मेट्रो की सेवा प्रारम्भ होगी और परतापुर, रिठानी, शताब्दी नगर, ब्रह्मपुरी के एलिवेटेड भाग से आगे भैंसाली, मेरठ सेंट्रल और बेगमपुल में भूमिगत हो जाएगी. आगे यह फिर एलिवेटेड होकर एमईएस कॉलोनी, दौरली, मेरठ नॉर्थ व मोदीपुरम होते हुए मोदीपुरम डिपो तक जाएगी. जहां मोदीपुरम डिपो में ट्रेनों के रखरखाव का प्रबंध होगा.


एनसीआरटीसी भारत की प्रथम रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) का क्रियान्वयन कर रहा है. जो एक रेल-आधारित, हाई-स्पीड, हाई-फ़्रीक्वेंसी रीजनल कम्यूटर ट्रांज़िट सिस्टम है. इसकी डिज़ाइन गति 180 किमी प्रति घंटे और औसत गति 100 किमी प्रति घंटे है. इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन द्वारा संचालित, आरआरटीएस एनसीआर में परिगमन के ग्रीन मोड के रूप में काम करेगा. इसका मकसद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) के उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करना है.

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