ग्रे.नोएडा: यूपी सरकार ने यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के 126 करोड़ के भूमि घोटाला मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मंजूरी दी है. गृह सचिव भगवान स्वरूप के मुताबिक यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन प्रभात कुमार की सजगता से हुए इस घोटाले का खुलासा हुआ.
स्कैम में अधिकारियों के शामिल होने के सबूत
प्रभात कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेजी थी. उसमें प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता और अन्य अधिकारी मथुरा के 7 गांवों की 57.1549 हेक्टेयर जमीन को 85.49 करोड़ रुपये में खरीदने में सीधे तौर पर शामिल होने के तर्याप्त सबूत मिलने की बात कही गई है. इससे प्राधिकरण को 126 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
सीबीआई जांच का किया था आग्रह
इस बाबत यीडा के तत्कालीन चेयरमैन प्रभात कुमार के निर्देश पर कासना थाने में यीडा के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता और डीसीओ सतीश कुमार समेत 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी. इस मामले की सीबीआई से जांच कराने का आग्रह किया था.
'रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए किया घोटाला'
राज्य सरकार ने इस संदर्भ में सीबीआई जांच कराने के लिए सिफारिश केंद्र सरकार से की. सरकार का आरोप है कि पीसी गुप्ता और अन्य अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए संगठित तरीके से जमीन घोटाले को अंजाम दिया.
क्या है 126 करोड़ का भूमि घोटाला
2018 जून महीने की 3 तारीख को यमुना प्राधिकरण में जमीन खरीद में 126.42 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश हुआ. यीडा के सीईओ रहते हुए पीसी गुप्ता ने मथुरा के गांवों की जमीन खरीदी थी. आरोप है कि उन्होंने 19 शेल कंपनी बनाकर 57.1549 हेक्टेयर जमीन खरीदी और प्राधिकरण को 126.42 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया.
इन जगहों पर खरीदी गई जमीन
प्राधिकरण ने ये जमीन मथुरा क्षेत्र मादौर, सेऊपट्टी खादर, सेऊपट्टी बांगर, कोलाना बांगर, कोलाना खादर, सोतीपुर बांगर, नौहझील बांगर में रैंप बनाने और किसानों को 7 फीसद भूखंड देने के नाम पर खरीदी थी. सभी शेल कंपनियों में पीसी गुप्ता के रिश्तेदार शामिल थे.
पुलिस ने की गिरफ्तारी
इस पर बाबत यीडा के चेयरमैन प्रभात कुमार के निर्देश पर कासना थाने में यीडा के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता और एसीईओ सतीश कुमार समेत 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
मामले में अब तक मुख्य आरोपित तत्कालीन सीईओ, सेवानिवृत्त आइएएस पीसी गुप्ता समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. जबकि 6 ने अदालत में आत्मसमर्पण किया. अभी भी 20 से अधिक आरोपितों की गिरफ्तारी होनी है. जो घोटाले में शामिल रहे.
फरार आरोपितों में 12 अधिकारी हैं जो कि घोटाले के दौरान यमुना प्राधिकरण में तैनात रहे. आरोपियों में अधिकारियों के रिश्तेदार भी शामिल हैं. रिश्तेदारों के नाम बनाई गई कंपनी को जमीन आवंटित कर घोटाले को अंजाम दिया गया.
कब-कब हुई गिरफ्तारी
इस अरबों के घोटाले में आरोपी यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ और सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी पीसी गुप्ता को 22 जून को गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद आरोपी दाता इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर रमेश बंसल और सत्येंद्र चौहान को पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
महीने की 15 तारीख को इस मामले में यमुना विकास प्राधिकरण के पूर्व उप महाप्रबंधक सतीश कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया. पुलिस जांच में पता चला है कि आरोपी सतीश कुमार यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में 18 अप्रैल 2013 से 13 जुलाई 2015 तक तैनात रहे. जमीन की खरीद-फरोख्त और उसको चिह्नित करने से संबंधित पत्रवलियों में आरोपी सतीश कुमार के हस्ताक्षर हैं.
मुख्य आरोपी पीसी गुप्ता
सपा सरकार में पीसी गुप्ता पहले ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में एसीईओ के पद पर तैनात थे. वहीं पर उन्हें प्रमोशन मिला और वो आईएएस बनाए गए. इसके बाद उन्हें यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में सीईओ के पद पर नियुक्त कर दिया गया.
सीबीआई इसंपेक्टर की हुई गिरफ्तारी
प्रभात कुमार ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी है, उसमें उन्होंने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने का आग्रह किया था. सीबीआई केस को अपने हाथ में लेने से पहले प्राथमिक पड़ताल कर रही थी. इसी दौरान गाजियाबाद में आरोपितों को मदद पहुंचाने के एवज में रिश्वत लेने के आरोप में सीबीआई इंस्पेक्टर रंगे हाथ पकड़ा गया. इस मामले में सीबीआई के सब इंस्पेक्टर की गिरफ्तारी हुई.