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नोएडा के बिल्डर पर 3.28 करोड़ का जुर्माना लगाने की NGT ने की सिफारिश - नोएडा ताजा खबर

भूजल का अवैध दोहन करने और अनट्रिटेड सीवेज के पानी को ग्रीन बेल्ट एरिया में डालने पर एक बिल्डर पर 3.28 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की अनुशंसा की गई है. एनजीटी की कमेटी ने इस अनुशंसा वाली रिपोर्ट को चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच को सौंपी है.

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नोएडा के बिल्डर पर 3.28 करोड़ का जुर्माना लगाने की सिफारिश.
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Published : Dec 3, 2019, 8:02 PM IST

नई दिल्ली: एनजीटी की ओर से गठित कमेटी ने भूजल का अवैध दोहन करने और अनट्रिटेड सीवेज के पानी को ग्रीन बेल्ट एरिया में डालने पर एक बिल्डर पर 3.28 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की अनुशंसा की है. बता दें कि नोएडा के सेक्टर 77 स्थित अंतरिक्ष कानबाल सोसायटी के बिल्डर पर ये जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई है. कमेटी ने इस अनुशंसा वाली रिपोर्ट को एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच को सौंपी है.

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की नहीं है सुविधा
इस कमेटी में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल प्राधिकार के प्रतिनिधि शामिल थे. कमेटी ने कहा कि बिल्डर ने 29 जनवरी 2011 से प्रोजेक्ट का काम शुरू किया था और दिसंबर 2014 से फ्लैटधारकों को कब्जा देना शुरू कर दिया था. बिल्डर ने दो बोरवेल लगाए हैं और रेनवाटर हार्वेस्टिंग के उपाय किए गए हैं, लेकिन वे कार्यशील नहीं हैं. अपार्टमेंट में 560 फ्लैट हैं, जिसमें 475 परिवार रह रहे हैं, लेकिन कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित नहीं किया गया है. कमेटी ने एनजीटी को बताया कि बिजली आपूर्ति के लिए 500 केवी का एक डीजल जेनरेटर लगाया गया है, लेकिन उस पर चिमनी नहीं लगाई गई है.

पर्यावरण नियमों का हुआ उल्लंघन
पिछले 19 सितंबर को एनजीटी ने कमेटी का गठन किया था. अंतरिक्ष कानबाल सोसायटी का बिल्डर परफेक्ट प्रोबिल्ड प्राईवेट लिमिटेड है. सोसायटी के निवासियों की ओर से वकील सालिक शफीक ने याचिका दायर कर कहा है कि बिल्डर ने 25 अगस्त 2010 को नोएडा अथॉरिटी से रिहायशी कांप्लेक्स बनाने के लिए स्वीकृति हासिल की थी.

इस सोसायटी में 560 फ्लैट बनने थे. उसके बाद 7 अक्टूबर 2011 को उत्तर प्रदेश स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी ने कांप्लेक्स बनाने के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस दिया. इस एनवायरमेंट क्लियरेंस में पर्यावरण नियमों का पालन करने और अपशिष्ट जल को नाले में बहाने और सीवेज के पानी का शोधन कर उनका दोबारा इस्तेमाल करने को लेकर शर्तें लगाई थीं.

'दो अवैध बोरवेल लगाए गए हैं सोसायटी में'
याचिका में कहा गया है कि जब ये सोसायटी बनकर तैयार हो गई तो इसके फ्लैट खरीदार मार्च 2015 से उसमें रहने लगे. 2019 तक उस सोसायटी में करीब 450 परिवार रहने लगे, लेकिन बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी से पानी का कनेक्शन तक नहीं लिया और सोसायटी में दो अवैध बोरवेल के जरिये पानी की सप्लाई करने लगा. बिल्डर ने इन दो बोरवेल के लिए केंद्रीय भूजल अथॉरिटी से अनुमति भी नहीं ली थी.

'डीजल जेनरेटर में नहीं लगी है चिमनी'
याचिका में कहा गया है कि चिमनी नहीं लगे होने की वजह से डीजल जेनरेटर का धुआं सीधे घरों में पहुंचता है. इससे बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंच रहा है. इन सभी समस्याओं को लेकर सोसायटी के निवासियों ने धरना-प्रदर्शन के अलावा प्राधिकरण से शिकायत की थी, लेकिन किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया गया. इसके बाद इन निवासियों ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया है.

नई दिल्ली: एनजीटी की ओर से गठित कमेटी ने भूजल का अवैध दोहन करने और अनट्रिटेड सीवेज के पानी को ग्रीन बेल्ट एरिया में डालने पर एक बिल्डर पर 3.28 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की अनुशंसा की है. बता दें कि नोएडा के सेक्टर 77 स्थित अंतरिक्ष कानबाल सोसायटी के बिल्डर पर ये जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई है. कमेटी ने इस अनुशंसा वाली रिपोर्ट को एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच को सौंपी है.

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की नहीं है सुविधा
इस कमेटी में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल प्राधिकार के प्रतिनिधि शामिल थे. कमेटी ने कहा कि बिल्डर ने 29 जनवरी 2011 से प्रोजेक्ट का काम शुरू किया था और दिसंबर 2014 से फ्लैटधारकों को कब्जा देना शुरू कर दिया था. बिल्डर ने दो बोरवेल लगाए हैं और रेनवाटर हार्वेस्टिंग के उपाय किए गए हैं, लेकिन वे कार्यशील नहीं हैं. अपार्टमेंट में 560 फ्लैट हैं, जिसमें 475 परिवार रह रहे हैं, लेकिन कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित नहीं किया गया है. कमेटी ने एनजीटी को बताया कि बिजली आपूर्ति के लिए 500 केवी का एक डीजल जेनरेटर लगाया गया है, लेकिन उस पर चिमनी नहीं लगाई गई है.

पर्यावरण नियमों का हुआ उल्लंघन
पिछले 19 सितंबर को एनजीटी ने कमेटी का गठन किया था. अंतरिक्ष कानबाल सोसायटी का बिल्डर परफेक्ट प्रोबिल्ड प्राईवेट लिमिटेड है. सोसायटी के निवासियों की ओर से वकील सालिक शफीक ने याचिका दायर कर कहा है कि बिल्डर ने 25 अगस्त 2010 को नोएडा अथॉरिटी से रिहायशी कांप्लेक्स बनाने के लिए स्वीकृति हासिल की थी.

इस सोसायटी में 560 फ्लैट बनने थे. उसके बाद 7 अक्टूबर 2011 को उत्तर प्रदेश स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी ने कांप्लेक्स बनाने के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस दिया. इस एनवायरमेंट क्लियरेंस में पर्यावरण नियमों का पालन करने और अपशिष्ट जल को नाले में बहाने और सीवेज के पानी का शोधन कर उनका दोबारा इस्तेमाल करने को लेकर शर्तें लगाई थीं.

'दो अवैध बोरवेल लगाए गए हैं सोसायटी में'
याचिका में कहा गया है कि जब ये सोसायटी बनकर तैयार हो गई तो इसके फ्लैट खरीदार मार्च 2015 से उसमें रहने लगे. 2019 तक उस सोसायटी में करीब 450 परिवार रहने लगे, लेकिन बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी से पानी का कनेक्शन तक नहीं लिया और सोसायटी में दो अवैध बोरवेल के जरिये पानी की सप्लाई करने लगा. बिल्डर ने इन दो बोरवेल के लिए केंद्रीय भूजल अथॉरिटी से अनुमति भी नहीं ली थी.

'डीजल जेनरेटर में नहीं लगी है चिमनी'
याचिका में कहा गया है कि चिमनी नहीं लगे होने की वजह से डीजल जेनरेटर का धुआं सीधे घरों में पहुंचता है. इससे बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंच रहा है. इन सभी समस्याओं को लेकर सोसायटी के निवासियों ने धरना-प्रदर्शन के अलावा प्राधिकरण से शिकायत की थी, लेकिन किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया गया. इसके बाद इन निवासियों ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया है.

Intro:नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) की ओर से गठित कमेटी ने भूजल का अवैध दोहन करने और अनट्रिटेड सीवेज के पानी को ग्रीन बेल्ट एरिया में डालने पर नोएडा के सेक्टर 77 स्थित अंतरिक्ष कानबाल सोसायटी के बिल्डर पर 3.28 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की अनुशंसा की है। कमेटी ने इस अनुशंसा वाली रिपोर्ट आज एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच को सौंपी।



Body:इस कमेटी में उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल प्राधिकार के प्रतिनिधि शामिल थे। कमेटी ने कहा कि बिल्डर ने 29 जनवरी 2011 से प्रोजेक्ट का काम शुरु किया था और दिसंबर 2014 से फ्लैटधारकों को कब्जा देना शुरु कर दिया था। बिल्डर ने दो बोरवेल लगाए हैं। रेनवाटर हार्वेस्टिंग के उपाय किए गए हैं लेकिन वे कार्यशील नहीं है। अपार्टमेंट में 560 फ्लैट हैं जिसमें 475 परिवार रह रहे हैं। लेकिन कोई सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित नहीं किया गया है।
कमेटी ने एनजीटी को बताया कि बिजली आपूर्ति के लिए 500 केवी का एक डीजल जेनरेटर लगाया गया है लेकिन उसपर चिमनी नहीं लगाया गया है।
पिछले 19 सितंबर को एनजीटी ने कमेटी का गठन किया था। अंतरिक्ष कानबाल सोसायटी का बिल्डर परफेक्ट प्रोबिल्ड प्राईवेट लिमिटेड है। सोसायटी के निवासियों की ओर से वकील सालिक शफीक ने याचिका दायर कर कहा है कि बिल्डर ने 25 अगस्त 2010 को नोएडा अथॉरिटी से रिहायशी कांप्लेक्स बनाने के लिए स्वीकृति हासिल की थी।
इस सोसायटी में 560 फ्लैट बनने थे। उसके बाद 7 अक्टूबर 2011 को उत्तरप्रदेश स्टेट एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी ने कांप्लेक्स बनाने के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस दिया। इस एनवायरमेंट क्लियरेंस में पर्यावरण नियमों का पालन करने और अपशिष्ट जल को नाले में बहाने और सीवेज के पानी का शोधन कर उनका दोबारा इस्तेमाल करने को लेकर शर्तें लगाई थीं।
याचिका में कहा गया है कि जब ये सोसायटी बनकर तैयार हो गई तो इसके फ्लैट खरीददार मार्च 2015 से उसमें रहने लगे। 2019 तक उस सोसायटी में करीब 450 परिवार रहने लगे। लेकिन बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी से पानी का कनेक्शन तक नहीं लिया और सोसायटी में दो अवैध बोरवेल के जरिये पानी की सप्लाई करने लगा। बिल्डर ने इन दो बोरवेल के लिए केंद्रीय भूजल अथॉरिटी से अनुमति भी नहीं ली थी।



Conclusion:याचिका में कहा गया है कि चिमनी नहीं लगे होने की वजह से डीजल जेनरेटर का धुंआ सीधे घरों में पहुंचता है जिससे बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंच रहा है। इन सभी समस्याओं को लेकर सोसायटी के निवासियों ने धरना-प्रदर्शन के अलावा प्राधिकरण से शिकायत की थी लेकिन किसी भी समस्या का समाधान नहीं किया गया। जिसके बाद इन निवासियों ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया है।
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