नोएडा: एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री से नोएडा प्राधिकरण को करोड़ों रुपये की आमदनी होती है. लॉकडाउन की मार एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री पर ऐसी पड़ी की नोएडा की सड़कों से चमचमाते होर्डिंग, फ्लेक्स गायब हो गए. नोएडा प्राधिकरण को तकरीबन 20 करोड़ रुपये सालाना का राजस्व मिलता है. लेकिन पिछले 4 महीनों की बात करें तो एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री से प्राधिकरण को महज कुछ लाख रुपयों की आमदनी हुई है.
'व्यापार नहीं, तो विज्ञापन क्यूं!'
नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी इंदु प्रकाश सिंह ने बताया कि व्यापार है नहीं, तो प्रचार किस बात का, माल बिक नहीं रहा. ऐसे में स्वाभाविक लोग प्रचार-प्रसार के लिए सामने नहीं आ रहे. ओएसडी ने जानकारी देते हुए बताया कि सालाना प्राधिकरण को 20 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुआ करती थी, लेकिन पिछले तीन-चार महीनों में 15-20 लाख रुपये की आमदनी हुई है. जो तकरीबन 1.5-2 करोड़ महीने की हुआ करती थी. नए टेंडर निकाले जा रहे हैं, लेकिन लोगों की रुचि कम है.
'नए टेंडर से झोली भरने की उम्मीद'
नोएडा के अलग-अलग सेक्टर, फ्लाईओवर और मॉल में होर्डिंग का अलग-अलग रेट है. 300 रुपये स्क्वायर फीट से लेकिन नॉन प्राइम लोकेशन पर 125 रुपये स्क्वायर मीटर तक रेट निर्धारित हैं. हालांकि सेक्टर-18, सेक्टर-16 और डीएनडी प्राइम लोकेशन में गिने जाते हैं. ऐसे में सबसे प्राइम लोकेशन से होर्डिंग गायब हैं. हालांकि प्राधिकरण नए सिरे से टेंडर निकाल रहा है. उम्मीद है कि प्राधिकरण की झोली भरे.
नोएडा: एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री पर लॉकडाउन की मार, प्राधिकरण की 'झोली सूनी' - banners in Noida
लॉकडाउन के कारण एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री भी खराब हालात में है. नोएडा प्राधिकरण को तकरीबन 20 करोड़ रुपये सालाना का राजस्व मिलता है, लेकिन पिछले 4 महीनों की बात करें तो एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री से प्राधिकरण को महज कुछ लाख रुपयों की आमदनी हुई है.
नोएडा: एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री से नोएडा प्राधिकरण को करोड़ों रुपये की आमदनी होती है. लॉकडाउन की मार एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री पर ऐसी पड़ी की नोएडा की सड़कों से चमचमाते होर्डिंग, फ्लेक्स गायब हो गए. नोएडा प्राधिकरण को तकरीबन 20 करोड़ रुपये सालाना का राजस्व मिलता है. लेकिन पिछले 4 महीनों की बात करें तो एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री से प्राधिकरण को महज कुछ लाख रुपयों की आमदनी हुई है.
'व्यापार नहीं, तो विज्ञापन क्यूं!'
नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी इंदु प्रकाश सिंह ने बताया कि व्यापार है नहीं, तो प्रचार किस बात का, माल बिक नहीं रहा. ऐसे में स्वाभाविक लोग प्रचार-प्रसार के लिए सामने नहीं आ रहे. ओएसडी ने जानकारी देते हुए बताया कि सालाना प्राधिकरण को 20 करोड़ के राजस्व की प्राप्ति हुआ करती थी, लेकिन पिछले तीन-चार महीनों में 15-20 लाख रुपये की आमदनी हुई है. जो तकरीबन 1.5-2 करोड़ महीने की हुआ करती थी. नए टेंडर निकाले जा रहे हैं, लेकिन लोगों की रुचि कम है.
'नए टेंडर से झोली भरने की उम्मीद'
नोएडा के अलग-अलग सेक्टर, फ्लाईओवर और मॉल में होर्डिंग का अलग-अलग रेट है. 300 रुपये स्क्वायर फीट से लेकिन नॉन प्राइम लोकेशन पर 125 रुपये स्क्वायर मीटर तक रेट निर्धारित हैं. हालांकि सेक्टर-18, सेक्टर-16 और डीएनडी प्राइम लोकेशन में गिने जाते हैं. ऐसे में सबसे प्राइम लोकेशन से होर्डिंग गायब हैं. हालांकि प्राधिकरण नए सिरे से टेंडर निकाल रहा है. उम्मीद है कि प्राधिकरण की झोली भरे.