फिरोजाबादः जिले के एक गांव के युवा कहने के बजाय करने में विश्वास रखते हैं. जिले के उसायनी गांव के युवाओं की टीम बिना किसी सरकारी मदद के निस्वार्थ भाव से लावारिस पशुओं का इलाज करती है. उसायनी गांव के अमरनाथ दस साल पहले सड़क हादसे में घायल हुए गाय के एक बछड़े को दर्द से कराहते और तड़फते जब देखा तो उनसे रहा नहीं गया. इसके बाद उन्होंने खुद घायल बछड़े का इलाज किया. इसके बाद से अमरनाथ अपने साथियों के साथ मिलकर बिना किसी सरकारी मदद के सौ से अधिक पशुओं का इलाज कर चुके हैं. अमरनाथ पेशे से तो किसान है लेकिन अपनी कार्यशैली की वजह से बेजुबानों के मसीहा भी बने हैं.
पशुओं का इलाज करने वाले उसायनी गांव के युवा कोई पशु चिकित्सक नहीं है और न ही पशु पालन विभाग से इनका कोई लेना देना है, लेकिन बेजुबानों का दर्द इनसे देखा नहीं जाता. यह टीम कहीं भी घायल पशुओं को दर्द से तड़पते देखते हैं तो तुरंत उपचार करते हैं. बता दें कि सड़कों पर विचरण करते हुए आवारा गोवंश आये दिन हादसे के शिकार भी हो जाते हैं कई कई दिन सड़क पर दर्द से तड़फते रहते है. इन पशुओं को इलाज नहीं मिल पाता है और दम तक तोड़ देते है. ऐसे ही पशुओं की जानकारी मिलने पर यह लोग उनका इलाज करते हैं और खुद ही दवा का इंतजाम भी करते हैं.
वैसे तो फिरोजाबाद में पशु पालन विभाग भी है, जिसके कंधे पर आवारा गोवंश के संरक्षण से लेकर उनके इलाज तक की जिम्मेदारी है. यही नहीं ऐसे पशुओं के संरक्षण का जिम्मा नगर निगम,नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों का भी है. लेकिन सड़क हादसे के शिकार पशुओं का इलाज करने की जिम्मेदारी कोई नहीं उठाता. घायल आवारा पशुओं के इलाज की मुहिम अकेले अमरनाथ शर्मा नहीं चला रहे हैं बल्कि शहर में कुछ और भी लोग है जो इन बेजुबानों के मसीहा बने है. कुल मिलाकर यह लोग ऐसे लोगों के लिए एक नजीर भी है जो गोसंरक्षा का ढ़िढोरा ज्यादा पीटते है और धरातल पर कुछ नहीं करते हैं.