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फिरोजाबाद में मां कामाख्या मंदिर में मनाया जा रहा अंबुबाची महोत्सव - Maa Kamakhya Temple of Firozabad

फिरोजाबाद में मां कामाख्या धाम में असम की तरह यहां मंदिर में अंबुबाची महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए रविवार को खोल दिया गया.

Mahant Brahmachari Mahesh Swaroop
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Published : Jun 25, 2023, 4:38 PM IST

Updated : Jun 25, 2023, 4:56 PM IST

फिरोजाबाद: फिरोजाबाद में विराजमान माता कामख्या देवी साल में एक बार रजस्वला होती है. देवी के रजस्वला होने पर यहां अंबुबाची महोत्सव मनाया जाता है. माता के दर्शन के लिए दूर दराज से मातारानी के भक्त यहां दर्शन करने आते हैं. असोम के बाद फिरोजाबाद के जसराना इलाके में माता कामाख्या देवी का यह मंदिर स्थित है. रविवार को मंदिर के पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए.

मंदिर में पूजा को उमड़े भक्त.

फिरोजाबाद जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर जसराना कस्बे में माता कामाख्या देवी का भव्य मंदिर है. असोम की तर्ज पर यहां भी भव्य अंबुबाची महोत्सव मनाया जाता है. इस बार यह महोत्सव 26 जून तक मनाया जाएगा. माता के मंदिर के कपाट 22 जून को सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा बंद किये गए थे, जो रविवार यानी कि 25 जून को खोले दिए गए.

मातारानी के विशेष दर्शन के लिए उत्तर प्रदेश के साथ साथ मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र से भी श्रद्धालु आते हैं. यहां मान्यता है कि साल में एक बार माता रजस्वला होती हैं. सौभाग्यववती महिलाओं द्वारा यहां हर साल मातारानी के रजस्वला होने पर पट बंद किये जाते हैं. जिन्हें हर साल 25 जून को खोला जाता है. इस बार भी मंदिर के कपाट रविवार को आम भक्तों के लिए खोल दिए गए. मातारानी का यह रूप काफी चमत्कारिक माना जाता है. यही वजह है कि यहां भक्त काफी दूर-दूर से आकर माता कामख्या के दर्शन करते हैं.

इस मंदिर की मान्यता के बारे में मंदिर के महंत ब्रह्मचारी महेश स्वरूप जी महाराज ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1976 में हुई थी. इस मंदिर की स्थापना से एक कहानी जुड़ी हुई है. कहाने के अनुसार यहां खंडहर में माता कामख्या के एक महंत स्वामी माधवानंद पूजा अर्चना करते थे. इसी दौरान जयपुर के कुछ लोग अपने एक अपहृत बच्चे को स्वप्न के आधार पर खोजते हुए यहां पहुंच गए. अपहृत बच्चे के परिजनों ने महंत से मदद मांगी. महंत ने उन्हें अगले दिन बालक के मिल जाने का आशीर्वाद दिया.

महंत ब्रह्मचारी महेश स्वरूप ने बताया कि जयपुर के लोगों को यह अपह्रत बालक अगले दिन मिल गया. बालक ने बताया कि उसे एक खेत मे बांधकर छोड़ दिया गया था. एक बालिका ने वहां पहुंचकर उसके हाथ पैर खोले. इसके बाद वह भागकर थाने पहुंचा. इस घटना के बाद यहां पूजा पाठ बढ़ गया. 1976 से आज तक लगातार जारी है. इसके बाद धीरे-धीरे यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया.


महंत ने बताया कि अंबुबाची महोत्सव के तहत रविवार को मातारानी के मंदिर के पट खोल दिये गए. इस दौरान यहां भारी भीड़ जमा हो गई. यहां दर्शन करने वाले भक्त कतार में लगकर माता-रानी के दर्शन करते हैं. सुरक्षा कारणों से पुलिस के व्यापक इंतजाम किए जाते हैं. इसके अलावा सुरक्षा को देखते हुए कई थानों की पुलिस बल तैनात रहती है.

(डिस्क्लेमरः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है)

यह भी पढे़ं- सीएम योगी ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में की पूजा-अर्चना, विकास कार्यों का लिया जायजा

फिरोजाबाद: फिरोजाबाद में विराजमान माता कामख्या देवी साल में एक बार रजस्वला होती है. देवी के रजस्वला होने पर यहां अंबुबाची महोत्सव मनाया जाता है. माता के दर्शन के लिए दूर दराज से मातारानी के भक्त यहां दर्शन करने आते हैं. असोम के बाद फिरोजाबाद के जसराना इलाके में माता कामाख्या देवी का यह मंदिर स्थित है. रविवार को मंदिर के पट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए.

मंदिर में पूजा को उमड़े भक्त.

फिरोजाबाद जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर जसराना कस्बे में माता कामाख्या देवी का भव्य मंदिर है. असोम की तर्ज पर यहां भी भव्य अंबुबाची महोत्सव मनाया जाता है. इस बार यह महोत्सव 26 जून तक मनाया जाएगा. माता के मंदिर के कपाट 22 जून को सौभाग्यवती महिलाओं द्वारा बंद किये गए थे, जो रविवार यानी कि 25 जून को खोले दिए गए.

मातारानी के विशेष दर्शन के लिए उत्तर प्रदेश के साथ साथ मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र से भी श्रद्धालु आते हैं. यहां मान्यता है कि साल में एक बार माता रजस्वला होती हैं. सौभाग्यववती महिलाओं द्वारा यहां हर साल मातारानी के रजस्वला होने पर पट बंद किये जाते हैं. जिन्हें हर साल 25 जून को खोला जाता है. इस बार भी मंदिर के कपाट रविवार को आम भक्तों के लिए खोल दिए गए. मातारानी का यह रूप काफी चमत्कारिक माना जाता है. यही वजह है कि यहां भक्त काफी दूर-दूर से आकर माता कामख्या के दर्शन करते हैं.

इस मंदिर की मान्यता के बारे में मंदिर के महंत ब्रह्मचारी महेश स्वरूप जी महाराज ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना 1976 में हुई थी. इस मंदिर की स्थापना से एक कहानी जुड़ी हुई है. कहाने के अनुसार यहां खंडहर में माता कामख्या के एक महंत स्वामी माधवानंद पूजा अर्चना करते थे. इसी दौरान जयपुर के कुछ लोग अपने एक अपहृत बच्चे को स्वप्न के आधार पर खोजते हुए यहां पहुंच गए. अपहृत बच्चे के परिजनों ने महंत से मदद मांगी. महंत ने उन्हें अगले दिन बालक के मिल जाने का आशीर्वाद दिया.

महंत ब्रह्मचारी महेश स्वरूप ने बताया कि जयपुर के लोगों को यह अपह्रत बालक अगले दिन मिल गया. बालक ने बताया कि उसे एक खेत मे बांधकर छोड़ दिया गया था. एक बालिका ने वहां पहुंचकर उसके हाथ पैर खोले. इसके बाद वह भागकर थाने पहुंचा. इस घटना के बाद यहां पूजा पाठ बढ़ गया. 1976 से आज तक लगातार जारी है. इसके बाद धीरे-धीरे यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया.


महंत ने बताया कि अंबुबाची महोत्सव के तहत रविवार को मातारानी के मंदिर के पट खोल दिये गए. इस दौरान यहां भारी भीड़ जमा हो गई. यहां दर्शन करने वाले भक्त कतार में लगकर माता-रानी के दर्शन करते हैं. सुरक्षा कारणों से पुलिस के व्यापक इंतजाम किए जाते हैं. इसके अलावा सुरक्षा को देखते हुए कई थानों की पुलिस बल तैनात रहती है.

(डिस्क्लेमरः यह खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है)

यह भी पढे़ं- सीएम योगी ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में की पूजा-अर्चना, विकास कार्यों का लिया जायजा

Last Updated : Jun 25, 2023, 4:56 PM IST
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