फिरोजाबाद: जिले के खाद्य विभाग ने एडवाइजरी जारी की है कि अगर आप घेवर खरीद रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि उस पर मलाई पहले से न लगी हो. विभाग के अनुसार कभी-कभी मुनाफे के चक्कर में घेवर बेचने वाले दूषित मलाई को घेवर पर लगा देते हैं. इसे खाने वालों के बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है.
रक्षाबंधन के त्यौहार पर घेवर की जमकर बिक्री होती है. खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसकी खपत अच्छी खासी होती है और लोग बड़े चाव से इसे खाते हैं. इस विशेष प्रकार की मिठाई को पहले तेल में पका कर तैयार किया जाता है. उसके बाद इसे चासनी में डुबोया जाता है. इसके बाद खाने से पहले इस पर मलाई लगाई जाती है और लोग इसे बहुत पसंद करते हैं.
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बहनें अपने भाइयों को गिफ्ट में भी यही मिठाई देती हैं लेकिन कभी-कभी हलवाई अधिक मुनाफे के चक्कर में लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं चूकते हैं. वो घेवर को कई दिनों पहले बनाकर, उसे चासनी में डालकर तैयार करके दुकान में रख लेते हैं. मलाई भी इकट्ठे ही तैयार कर लेते हैं. रक्षाबंधन के दिन जब इसकी मांग बढ़ती है तो तैयार किया हुआ घेवर ग्राहक को दे दिया जाता है.
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घेवर मिठाई पर लगने वाली मलाई कई दिन पुरानी होती है तो वह दूषित हो जाती है. जो व्यक्ति ऐसा घेवर खाता है, वह फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो सकता है. ऐसे मामले रक्षाबंधन के त्यौहार पर अक्सर देखने को मिलते हैं. मिलावटखोरों पर अंकुश लगाने के लिए इस बार खाद्य विभाग सक्रिय है. खाद्य विभाग न केवल दुकानों पर छापेमारी कर रहा है बल्कि एडवाइजरी के माध्यम से लोगों को जागरूक भी कर रहा है. विभाग के अनुसार लोगों को ऐसी मिठाई नहीं खरीदनी चाहिए जिस पर मलाई पहले से लगी हो.
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मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी बीएस कुशवाहा की मानें तो खरीदार को यह देख लेना चाहिए कि जो घेवर वो खरीद रहे हैं, उस पर पहले से मिलाई तो नहीं लगी है. अगर पहले से मलाई लगी हो तो ऐसा घेवर नहीं खरीदना चाहिए. घेवर और मलाई अलग-अलग लेने चाहिए और घर पर जाकर ही मलाई को घेवर पर लगाकर खाना चाहिए. उन्होंने हलवाइयों को भी चेतावनी दी है कि वो खुद बनाया हुआ घेवर ही दुकान पर बेचें.