फिरोजाबादः भूखे पेट को दो रोटी की जरूरत होती है, यह जुमला तो आपने बहुत सुना होगा. अब नया जुमला आ सकता है कि बीमारी से बचने के लिए दो रोटी की जरूरत होती है. जी हां. फिरोजाबाद जिले के कृषि वैज्ञानिक इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं. वह गेहूं की नयी किस्म की पैदावार पर काम कर रहे हैं, जिसे काला गेहूं भी कहा जाता है. हालांकि यूपी के कुछ जिलों में किसान काले गेहूं की खेती करते हैं पर फिरोजाबाद के कृषि वैज्ञानिक जिले के हिसाब से प्रयोग कर रहे हैं.
गेहूं व आलू हैं जिले की प्रमुख फसल
यूपी के फिरोजाबाद जनपद की दो प्रमुख फसलें हैं गेहूं और आलू. गेहूं की फसल जहां एक लाख हेक्टेयर जमीन पर होती है तो वहीं आलू की फसल 50 से 60 हजार हेक्टेयर जमीन पर होती है. अब काले गेहूं की खेती के लिए प्रयोग चल रहा है. यह खेती जनपद के किसानों के लिए एकदम नयी है.
परीक्षण के बाद देंगे सलाह
इस खेती का जनपद में कैसा रिजल्ट रहेगा, इसका जनपद के हजरतपुर गांव स्थित कृषि ज्ञान, विज्ञान केंद्र में परीक्षण किया जा रहा. रिजल्ट के बाद किसानों को इस गेहूं की फसल की बुवाई के बारे में सलाह दी जाएगी. साथ ही यह भी बताया जाएगा कि इसमें नया क्या है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. ओमकार सिंह यादव बताते हैं कि यह गेहूं सामान्य गेहूं की तरह ही होता है लेकिन फिरोजाबाद में इसका प्रयोग बिल्कुल नया है. इसका ट्रॉयल किया जा रहा है.
डायबिटीज, मोटापा, ब्लड प्रेशर से मिल सकती है निजात
कृषि वैज्ञानिक ओमकार सिंह का दावा है कि काले गेहूं का रिजल्ट सामान्य से हटकर है. इसके सेवन से डायबिटीज, मोटापा, ब्लड प्रेशर, बढ़ते कॉलस्ट्रॉल की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निजात मिल सकती है. कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसकी कीमत भी किसानों को इस समय सामान्य गेहूं से चार से पांच गुना ज्यादा मिल जाती है.