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भारतीय किसान यूनियन की चेतावनी, खाद की जमाखोरी पर अंकुश नहीं लगा तो होगा आंदोलन

फिरोजाबाद में डीएपी की कालाबाजारी पर लगाम नहीं लग पा रही है. कालाबाजारी के कारण किसानों को खाद नहीं मिल रही है, इससे उनकी फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है. भारतीय किसान यूनियन (भानू) ने चेतावनी दी है कि खाद की जमाखोरी नहीं रुकी तो बड़ा आंदोलन करेंगे.

फिरोजाबाद: जिले में डीएपी खाद की समस्या और उसकी कालाबाजारी पर लगाम नहीं लग पा रही है. डीएपी खाद न मिलने से फसलों की बुवाई का कार्य प्रभावित हो रहा है और किसान परेशान हैं. जिले में कई दुकानदार तो ऐसे हैं जो खाद को ब्लैक मार्केट में बेच रहे हैं.   भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष
फिरोजाबाद: जिले में डीएपी खाद की समस्या और उसकी कालाबाजारी पर लगाम नहीं लग पा रही है. डीएपी खाद न मिलने से फसलों की बुवाई का कार्य प्रभावित हो रहा है और किसान परेशान हैं. जिले में कई दुकानदार तो ऐसे हैं जो खाद को ब्लैक मार्केट में बेच रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष
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Published : Nov 2, 2021, 12:33 PM IST

फिरोजाबाद: जिले में डीएपी खाद की समस्या और उसकी कालाबाजारी पर लगाम नहीं लग पा रही है. डीएपी खाद न मिलने से फसलों की बुवाई का कार्य प्रभावित हो रहा है और किसान परेशान हैं. जिले में कई दुकानदार तो ऐसे हैं जो खाद को ब्लैक मार्केट में बेच रहे हैं.

भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अधिकारी खाद की जमाखोरी को रोंके. ऐसा जो कर रहे हैं उन पर शिकंजा कसे और किसानों को उचित रेट पर खाद दिलाई जाए. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह भी चेतावनी दी कि अगर हालात सामान्य नहीं होते हैं तो उनकी किसान यूनियन इस मुद्दे को लेकर एक बड़ा आंदोलन छोड़ेगी.

भारतीय किसान यूनियन (भानू) की चेतावनी.

फिरोजाबाद जिला आलू उत्पादक इलाकों में जाना जाता है. यहां हजारों किसान आलू की फसल की बुबाई करते है. चूंकि आलू की फसल की बुवाई का समय चल रहा है, ऐसे में किसानों को डीएपी खाद की जरूरत पड़ रही है. फिरोजाबाद में जो सरकारी और सहकारी खाद बिक्रय केंद्र हैं, उन पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है. खाद न मिलने से किसान परेशान हैं. उनकी आलू और सरसों की फसल की बुवाई का कार्य प्रभावित हो रहा है.

जिले की कई सहकारी समितियों पर किसान हंगामा भी कर चुके हैं, लेकिन उन्हें डीएपी नहीं मिल पा रही है. किसानों को सिर्फ यही अश्वासन मिलता है कि खाद की रैक आने वाली है, जल्द समाधान हो जाएगा. एक तरफ जहां सरकारी सेंटरों पर खाद न मिलने से किसान परेशान हैं तो वहीं खाद के जो दुकानदार हैं वह चांदी काट रहे हैं. डीएपी खाद की बोरी की कीमत जहां 1200 रुपये है, वहीं आरोप है कि कुछ खाद बिक्रेताओं द्वारा 1400 रुपये में बोरी को बेचा जा रहा है.

यह भी पढ़ें: बेमिसाल: गन्ना की उपज बढ़ाने को 18 देशों के किसान देखते हैं UP के इस अधिकारी का यूट्यूब चैनल

भारतीय किसान यूनियन भानू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि यह समस्या इसलिए उत्पन्न हो गई है, क्योंकि दुकानों पर जमाखोरी है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को चाहिए कि वह जमाखोर खाद विक्रेताओं के यहां छापेमारी कर जमाखोरी पर रोक लगाएं, जिससे किसान को बाजिव मूल्य पर खाद मिल सके. उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर ऐसा नहीं होगा तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

फिरोजाबाद: जिले में डीएपी खाद की समस्या और उसकी कालाबाजारी पर लगाम नहीं लग पा रही है. डीएपी खाद न मिलने से फसलों की बुवाई का कार्य प्रभावित हो रहा है और किसान परेशान हैं. जिले में कई दुकानदार तो ऐसे हैं जो खाद को ब्लैक मार्केट में बेच रहे हैं.

भारतीय किसान यूनियन (भानू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अधिकारी खाद की जमाखोरी को रोंके. ऐसा जो कर रहे हैं उन पर शिकंजा कसे और किसानों को उचित रेट पर खाद दिलाई जाए. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यह भी चेतावनी दी कि अगर हालात सामान्य नहीं होते हैं तो उनकी किसान यूनियन इस मुद्दे को लेकर एक बड़ा आंदोलन छोड़ेगी.

भारतीय किसान यूनियन (भानू) की चेतावनी.

फिरोजाबाद जिला आलू उत्पादक इलाकों में जाना जाता है. यहां हजारों किसान आलू की फसल की बुबाई करते है. चूंकि आलू की फसल की बुवाई का समय चल रहा है, ऐसे में किसानों को डीएपी खाद की जरूरत पड़ रही है. फिरोजाबाद में जो सरकारी और सहकारी खाद बिक्रय केंद्र हैं, उन पर डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है. खाद न मिलने से किसान परेशान हैं. उनकी आलू और सरसों की फसल की बुवाई का कार्य प्रभावित हो रहा है.

जिले की कई सहकारी समितियों पर किसान हंगामा भी कर चुके हैं, लेकिन उन्हें डीएपी नहीं मिल पा रही है. किसानों को सिर्फ यही अश्वासन मिलता है कि खाद की रैक आने वाली है, जल्द समाधान हो जाएगा. एक तरफ जहां सरकारी सेंटरों पर खाद न मिलने से किसान परेशान हैं तो वहीं खाद के जो दुकानदार हैं वह चांदी काट रहे हैं. डीएपी खाद की बोरी की कीमत जहां 1200 रुपये है, वहीं आरोप है कि कुछ खाद बिक्रेताओं द्वारा 1400 रुपये में बोरी को बेचा जा रहा है.

यह भी पढ़ें: बेमिसाल: गन्ना की उपज बढ़ाने को 18 देशों के किसान देखते हैं UP के इस अधिकारी का यूट्यूब चैनल

भारतीय किसान यूनियन भानू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि यह समस्या इसलिए उत्पन्न हो गई है, क्योंकि दुकानों पर जमाखोरी है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को चाहिए कि वह जमाखोर खाद विक्रेताओं के यहां छापेमारी कर जमाखोरी पर रोक लगाएं, जिससे किसान को बाजिव मूल्य पर खाद मिल सके. उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर ऐसा नहीं होगा तो एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

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