फिरोजाबाद: बेरोजगारी की समस्या को खत्म करने के मकसद से सरकार प्रधानमंत्री रोजगार सृजन और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना जैसी महत्वाकांक्षी योजनायें संचालित कर रही है, लेकिन फिरोजाबाद में ये योजनाएं घपलेबाजी का शिकार हो गयी हैं. तथाकथित बेरोजगारों ने इकाई की स्थापना के लिए ऋण लिया और उसकी सब्सिडी भी हड़प ली. जब विभाग ने इसका सत्यापन कराया तो मौके पर कोई इकाई नहीं मिली. उद्योग विभाग ने ऐसे लाभार्थियों से सब्सिडी की वसूली के लिए बैंकों को पत्र लिखा है.
इकाई लगाने के लिए मिलता 10 लाख रुपये का लोन
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत मिनी औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए सरकार बेरोजगारों को लोन देती है. इस योजना के पीछे सरकार की मंशा है कि युवा आत्मनिर्भर बनें और इकाइयों में काम देकर अन्य बेरोजगारों को रोजगार दें. उद्योग विभाग संचालित योजना के तहत एक से 10 लाख रुपये तक का सशर्त लोन मुहैया कराती है. योजना की शर्तों के मुताबिक इकाई का संचालन कम से कम तीन साल तक करना होता है. सरकार लाभार्थी को 30 फीसदी सब्सिडी भी देती है.
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इकाई नहीं की गईं स्थापित
फिरोजाबाद जिले में इस योजना के तहत साल 2017-18 और 2018-19 में लगभग 200 लाभार्थियों को लोन दिया गया था, लेकिन विभाग ने जब इकाइयों का भौतिक सत्यापन का सिलसिला शुरू कराया तो शुरुआती जांच में चौंकाने वाली हकीकत सामने आयी. 25 से 30 लाभार्थी ऐसे मिले, जिन्होंने आवेदन पत्र में जो पता दर्शाया था वहां इकाई स्थापित नहीं मिली. ऐसे में सवाल उठता है कि विभाग ने दस्तावेज और प्रोजेक्ट के स्थान को बगैर सत्यापित किए उन्हें लोन और सब्सिडी कैसे जारी कर दी ?.
उद्योग विभाग के उपयुक्त अमरेश पांडेय का कहना कि भौतिक जांच में करीब 25-30 लाभार्थी मौके पर नहीं मिले हैं. सत्यापन का काम जारी है. जिन लाभार्थियों ने सब्सिडी डकारी है, उनसे वसूली के लिए बैंकों को पत्र लिखा जा रहा है.