फिरोजाबादः प्रदेश में निकाय चुनावों के लिए नए सिरे से आरक्षण व्यवस्था जारी की गयी, जिसके बाद कई दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. फिरोजाबाद नगर निगम में सीट पहले सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित थी. लेकिन, नई आरक्षण जारी होने के बाद यह पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित हो गया. इससे शहर का मेयर बनने के लिए सामान्य वर्ग के उन नेताओं को तगड़ा झटका लगा है, जो कई महीनों से इसकी तैयारी कर रहे थे और अब तक लाखों रुपये खर्च भी कर चुके हैं.
फिरोजाबाद नगर निगम महापौर की सीट पिछड़ा वर्ग महिला के लिए रिजर्व होने के साथ ही टूंडला, सिरसागंज की नगरपालिका अध्यक्ष की सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित की गई है. शिकोहाबाद की सीट महिला, एका नगर पंचायत अध्यक्ष की सीट अनुसूचित जाति महिला, मक्खनपुर नगर पंचायत अध्यक्ष की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हुई है. वहीं, नगर पंचायत जसराना की सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित की गयी है.
वरिष्ठ पत्रकार द्विजेन्द्र मोहन शर्मा ने बताया कि नए आरक्षण के बाद सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों का निराश होना लाजमी है. इन नेताओं को अब अगले चुनाव तक फिर इंतजार करना होगा या फिर किसी दूसरे चुनाव के लिए पार्टी से टिकट मांगना होगा. वहीं, बीजेपी से टिकट मांगने वाले अमित गुप्ता का कहना है कि नई आरक्षण व्यवस्था से झटका तो लगा है, लेकिन पार्टी का जो आदेश होगा वही करेंगे.
बता दें कि 4 अगस्त 2014 को जिला बने फिरोजाबाद में नगर निगम के लिए 2017 में मेयर का चुनाव हुआ. पहली बार ही यह सीट बीजेपी के खाते में गयी. नूतन राठौर ने असदुद्दीन ओबेसी की पार्टी की AIMIM के उम्मीदवार को हरा कर चुनाव जीता था. समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी सावित्री देवी गुप्ता तीसरे स्थान पर रही थीं. इस बार जब निकाय चुनाव का बिगुल बजा तो पहले इसके दरवाजे सामान्य वर्ग के लिए खुल गए थे. लोगों को उम्मीद थी कि इस बार सभी को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा.
बीजेपी के साथ साथ अन्य सभी राजनीतिक दलों ने इसकी तैयारियां भी तेज कर दी थी. बिना टिकट मिले ही कई नेताओं ने खुद को दावेदार मानकर तैयारी शुरू कर दी थी. हरिओम शर्मा आचार्य, अनुपमा शर्मा, अजीत अग्रवाल, अमित गुप्ता, सत्यवीर गुप्ता, उज्ज्वला गुप्ता, सत्येंद्र जैन सौली, डॉ जफर आलम आदि नेताओं ने तो प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया था. लेकिन नयी आरक्षण व्यवस्था के बाद तस्वीर बदल गयी. यह सीट इस बार पिछड़ा वर्ग महिला के लिए आरक्षित हो गयी है. उम्मीद है कि बीजेपी एक बार फिर अपना परंपरागत वोट बैंक साधने के लिए किसी राठौर समाज की महिला को टिकट दे सकती है.
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