फिरोजाबाद : जिले में 30 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जहां पढ़ने वाले नौनिहाल मौत के साये में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. दरअसल, जिन स्कूलों में यह छात्र पढ़ते हैं, उनके ऊपर से हाई-टेंशन तार निकल रहे हैं. इन तारों के चलते कभी भी दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है.
लंबे समय से यह समस्या बनी हुयी है लेकिन अभी तक किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं गया है. अभी कुछ दिन पहले ही शासन से इस संबंध में एक पत्र मिला है. इसे लेकर बेसिक शिक्षा विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है. विभाग पता लगा रहा है कि जिले में ऐसे कितने स्कूल है जहां यह समस्या है. बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों से इस बाबत रिपोर्ट मांगी है.
बीएसए फिरोजाबाद जिले के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों (upper primary schools) में लाखों छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं लेकिन कई स्कूल ऐसे भी हैं जिनके ऊपर से बिजली के हाई-टेंशन तार गुजरते हैं. जब विद्यालयों के भवन बनाए गए तो इस बात का ध्यान ही नहीं रखा गया कि इन स्कूलों के ऊपर से हाईटेंशन तार भी गुजर रहे हैं.
मानकों की अनदेखी कर स्कूलों की बिल्डिंग तो तैयार हो गयी लेकिन शासन की एक चिट्ठी ने बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की नींद उड़ाकर रख दी. कुछ दिन पहले शासन से आए पत्र में ऐसे विद्यालयों को चिह्नित कर उनके ऊपर से तार शिफ्टिंग के निर्देश विभागीय अफसरों को दिए गए हैं.
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शासन का पत्र मिलने के बाद विभाग के स्थानीय अफसर इसकी कवायद में जुट गए हैं. खंड शिक्षा अधिकारियों को इस बात की जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह पता लगाएं कि किन-किन विद्यालयों के ऊपर से होकर बिजली के तार गुजर रहे हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने भी इस समस्या की ग्राउंड जीरो पर जाकर पड़ताल की. कहीं दूर नहीं बल्कि जिला मुख्यालय पर ही जो सरकारी विद्यालय है, उसके ऊपर से तार गुजरती मिली.
इस संबंध में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अंजली अग्रवाल (District Basic Education Officer Anjali Agarwal) से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारियों को सर्वे कर यह पता लगाने के निर्देश दिए गए हैं कि किन-किन स्कूलों के ऊपर से होकर हाईटेंशन लाइनें जा रहीं हैं.
रिपोर्ट आने के बाद जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी के माध्यम से बिजली विभाग को पत्र भेजकर तारों के शिफ्टिंग की कार्यवाही करायी जाएगी. उन्होंने यह भी बताया कि अभी तक 25 से 30 स्कूलों के बारे में जानकारी मिल चुकी है लेकिन कोशिश यह है कि कोई विद्यालय छूट न पाए.
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