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निर्माण के कुछ दिनों बाद ही ध्वस्त हुआ बाईपास, जाम से जूझ रहा शहर - बांदा-टांडा मार्ग

फतेहपुर में बांदा-टांडा मार्ग पर बने बाईपास की सड़के खराब हो चुकी है. बदहाल हुए इस बाईपास पर बनाए गए दो पुलों में भी दरार आ चुकी है, जिसके चलते इस मार्ग पर आवागमन बंद कर दिया गया है. यहां से गुजरने वाले भारी वाहन अब शहरी इलाके से होकर आगे जाते हैं, जिससे शहर में जाम की समस्या बनी रहती है.

Bypass bridge crack
बांदा-टांडा मार्ग
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Published : Jan 5, 2021, 4:10 PM IST

फतेहपुर: पूर्वांचल को बुंदेलखंड से जोड़ने के लिए बांदा-टांडा मार्ग का निर्माण भले ही करवाया गया हो, लेकिन फतेहपुर जिले में इस मार्ग पर बनाया गया बाईपास पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. घटिया निर्माण के चलते बदहाल हुए इस बाईपास पर बनाए गए दो पुलों में भी दरार आ चुकी है, जिसके चलते इस मार्ग पर आवागमन बंद कर दिया गया है. इस रोड से होकर गुजरने वाले वाहनों के लिए कोई अन्य वैकल्पिक मार्ग न होने के कारण यहां से गुजरने वाले भारी वाहन अब शहरी इलाके से होकर आगे जाते हैं, जिससे शहर में आए दिन जाम की समस्या बनी रहती है.

बाईपास की स्थिति वाहनों के चलने लायक नहीं रह गई

जाम से परेशान शहरी इलाके के लोग दो पुलों की मरम्मत कराकर फिर से चालू किए जाने की मांग कर रहे हैं. लोग धरना प्रदर्शन से लेकर आला अधिकारियों को लिखित मांग पत्र तक सौंप चुके हैं. इसके बावजूद बाईपास को फिर से बनाए जाने का काम शुरू नहीं हो पाया है.

फतेहपुर शहर से होकर गुजरने वाले बांदा-टांडा मार्ग पर शाह गांव से लेकर नाउवाबाग तक लगभग 10 किलोमीटर लंबा बाईपास बनाया गया था. करोड़ो की लागत से बनाए गए इस बाईपास पर आवागमन शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही बाईपास की सड़क पर गढ्ढे बनने शुरू हो गए. इतना ही नहीं इस बाईपास पर निर्मित किए गए दो पुलों में भी दरार आ गई और कुछ दिनों के भीतर ही बाईपास की स्थिति वाहनों के चलने लायक नहीं रह गई. अब इक्का दुक्का खाली ट्रकें ही इसपर से गुजरती है. मध्यप्रदेश और बुंदेलखंड के जनपदों से खनिज पदार्थ लेकर आने वाले वाहनों को शहरी इलाके से होकर गुजरना पड़ता है.

शाम को शहर की नोइंट्री खत्म होने के बाद बड़े पैमाने पर ट्रक शहरी इलाके से होकर निकलते हैं, जिससे शहर में राधा नगर इलाके से लेकर नाउवा बाग तक लंबा जाम लग जाता है. सड़क पर जाम होने के चलते एम्बुलेंस तक को रास्ता नहीं मिल पाता है. इस बारे में शहरी क्षेत्र में रहने वाले वसीम अहमद ने बताया कि "ध्वस्त हो चुके बाईपास को बनवाने के लिए क्षेत्र के लोगों ने कई बार जिले के अधिकारियों और नेताओं से मांग की, लेकिन बदहाल हो चुके बाईपास की प्रक्रिया शुरू नही हुई. जिले में राष्ट्रीय राज्यमार्ग प्राधिकरण का कार्यालय न होने के चलते उनके अधिकारियों से क्षेत्र के लोगों की मुलाकात भी नहीं हो पाती है. अगर कभी NHI के अधिकारी यहां आते भी हैं तो वह केवल आश्वसन देकर चले जाते हैं."

फतेहपुर: पूर्वांचल को बुंदेलखंड से जोड़ने के लिए बांदा-टांडा मार्ग का निर्माण भले ही करवाया गया हो, लेकिन फतेहपुर जिले में इस मार्ग पर बनाया गया बाईपास पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है. घटिया निर्माण के चलते बदहाल हुए इस बाईपास पर बनाए गए दो पुलों में भी दरार आ चुकी है, जिसके चलते इस मार्ग पर आवागमन बंद कर दिया गया है. इस रोड से होकर गुजरने वाले वाहनों के लिए कोई अन्य वैकल्पिक मार्ग न होने के कारण यहां से गुजरने वाले भारी वाहन अब शहरी इलाके से होकर आगे जाते हैं, जिससे शहर में आए दिन जाम की समस्या बनी रहती है.

बाईपास की स्थिति वाहनों के चलने लायक नहीं रह गई

जाम से परेशान शहरी इलाके के लोग दो पुलों की मरम्मत कराकर फिर से चालू किए जाने की मांग कर रहे हैं. लोग धरना प्रदर्शन से लेकर आला अधिकारियों को लिखित मांग पत्र तक सौंप चुके हैं. इसके बावजूद बाईपास को फिर से बनाए जाने का काम शुरू नहीं हो पाया है.

फतेहपुर शहर से होकर गुजरने वाले बांदा-टांडा मार्ग पर शाह गांव से लेकर नाउवाबाग तक लगभग 10 किलोमीटर लंबा बाईपास बनाया गया था. करोड़ो की लागत से बनाए गए इस बाईपास पर आवागमन शुरू होने के कुछ दिनों बाद ही बाईपास की सड़क पर गढ्ढे बनने शुरू हो गए. इतना ही नहीं इस बाईपास पर निर्मित किए गए दो पुलों में भी दरार आ गई और कुछ दिनों के भीतर ही बाईपास की स्थिति वाहनों के चलने लायक नहीं रह गई. अब इक्का दुक्का खाली ट्रकें ही इसपर से गुजरती है. मध्यप्रदेश और बुंदेलखंड के जनपदों से खनिज पदार्थ लेकर आने वाले वाहनों को शहरी इलाके से होकर गुजरना पड़ता है.

शाम को शहर की नोइंट्री खत्म होने के बाद बड़े पैमाने पर ट्रक शहरी इलाके से होकर निकलते हैं, जिससे शहर में राधा नगर इलाके से लेकर नाउवा बाग तक लंबा जाम लग जाता है. सड़क पर जाम होने के चलते एम्बुलेंस तक को रास्ता नहीं मिल पाता है. इस बारे में शहरी क्षेत्र में रहने वाले वसीम अहमद ने बताया कि "ध्वस्त हो चुके बाईपास को बनवाने के लिए क्षेत्र के लोगों ने कई बार जिले के अधिकारियों और नेताओं से मांग की, लेकिन बदहाल हो चुके बाईपास की प्रक्रिया शुरू नही हुई. जिले में राष्ट्रीय राज्यमार्ग प्राधिकरण का कार्यालय न होने के चलते उनके अधिकारियों से क्षेत्र के लोगों की मुलाकात भी नहीं हो पाती है. अगर कभी NHI के अधिकारी यहां आते भी हैं तो वह केवल आश्वसन देकर चले जाते हैं."

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