फतेहपुर: तीसरे चरण में सम्पन्न होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में सोमवार को वोट डाले जायेंगे, जिसके लिए रविवार को पोलिंग पार्टियों को रवाना कर दिया गया है. जनपद में पंचायत चुनाव शान्तिपूर्वक सम्पन्न हो सकें, इसके लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. जनपद में बड़े पैमाने पर पुलिस बल की तैनाती के अलावा संवेदनशील इलाकों में नजर रखने के लिए ड्रोन कैमरों की भी मदद ली जा रही है. चुनावों के लिए प्रचार कार्य तो बन्द हो चुका है, लेकिन प्रत्याशी मतदाताओं के घर-घर जाकर उनका मत हासिल करने की कोशिश में लगे हुए हैं.
जनपद की 834 ग्राम पंचायतों में होने वाले ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और ग्राम पंचायत सदस्यों के पदों पर बड़ी संख्या में प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसके अलावा जिला पंचायत की 46 सीटों पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
राजनैतिक दलों के उम्मीदवार समेत कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर
जिले के 13 विकास खण्डों में स्थित 834 ग्राम पंचायतों में 7622 लोग ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़ रहे हैं. एराया विकास खण्ड की अल्लीपुर बहेरा एक मात्र ऐसी ग्राम सभा है, जहां महिला ग्राम प्रधान का निर्वाचन निर्विरोध हो चुका है. यहां प्रदेश के खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री रनवेंद्र प्रताप सिंह की भाभी अनुसुइया देवी के खिलाफ किसी दूसरे प्रत्याशी ने अपना नामांकन नहीं दाखिल किया था. इसी प्रकार जिले में क्षेत्र पंचायत के चुनाव में कुल 5,913 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जबकि जिले की अलग-अलग ग्राम पंचायतों में कुल 22 क्षेत्र पंचायत सदस्यों का निर्वाचन निर्विरोध रूप से हो चुका है. निर्विरोध निर्वाचित होने वालों में ज्यादातर वह उम्मीदवार शामिल हैं जो आगे चलकर ब्लॉक प्रमुख पद का चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसी प्रकार जिला पंचायत की सभी 46 सीटों पर कुल 833 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
जातिवाद के सहारे चुनाव जीतना चाहते हैं प्रत्याशी
जनपद के जातिवार आंकड़ों की बात की जाए तो जिले का जातीय गणित इस प्रकार है. जिसमें मुस्लिम 20%, दलित 30%, कुर्मी 10%, ब्राम्हण 10%, क्षत्रिय 8%, अन्य 10 % शामिल हैं. ग्रामीण इलाकों में होने वाले इन चुनावों में मुद्दा तो विकास का ही है लेकिन, जातिवाद और क्षेत्रवाद के आगे सारे मुद्दे गौड़ हो गए हैं.