फतेहपुर: 1996 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलीव जीव घोषित डॉल्फिन अब विलुप्त होने की कगार में हैं. विलुप्तप्राय इस जीव का कुनबा जिले के आदमपुर घाट से लेकर भिटौरा के ओम घाट के आस-पास देखने को मिलाता है. इनके संरक्षण के लिए वन विभाग का सचल दस्ता गंगा घाटों में दिन-रात गस्त तो कर रहा है, लेकिन इनकी घटती संख्या कुछ और ही दर्शा रही है.
फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त पानी ले रहा विलुप्तप्राय डॉल्फिन की जान
विलुप्तप्राय इस जलीय जीव को वन विभाग शिकारियों से तो बचाने में सफल है, लेकिन फैक्ट्रियों और नालों से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी लागातार इनकी जान ले रहा है. इसके साथ ही गंगा के किनारे होने वाली रासायनिक खेती भी कहीं न कहीं इनकी जान को जोखिम में डाल रही है.
डॉल्फिन का शिकार करते पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान
नदियों को प्रदूषण से बचाने वाले स्रोतों में डॉल्फिन को भी मुख्य माना गया है, जो नदियों को दूषित होने से बचाने में काफी सहायक है. इसके लिए सरकार द्वारा इन्हें संरक्षित जलीय जीव की श्रेणी में रखते हुए राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया गया है. इसका शिकार करते पाए जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान भी किया गया है. इसके संरक्षण को लेकर कई प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं, जिसके तहत सेमिनार आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है और जैविक खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है.
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