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फतेहपुर: शहर का ड्रेनेज सिस्टम खस्ता, जल निकासी की स्थिति बदहाल - लोग जलजमाव से परेशान

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में ड्रेनेज सिस्टम की हालत खस्ता हो चुकी है. हाल ऐसा हो चुका है कि शहर तालाब में तब्दील होता जा रहा है. लोग गंदे पानी से होकर जाने के लिए मजबूर हैं. प्रशासन ने सरकार की तरफ से पर्याप्त धनराशि न देने का हवाला देते हुए किनारा कर लिया है.

ड्रेनेज सिस्टम की हालत खस्त
ड्रेनेज सिस्टम की हालत खस्ता
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Published : Oct 24, 2020, 1:49 AM IST

फतेहपुर: जिले की सदर नगर पालिका का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह बदहाल बना हुआ है. शहरी आबादी बढ़ती जा रही है और जल निकासी की व्यवस्था कमजोर होती जा रही है. आलम यह है कि पानी नालियों से निकलकर खाली पड़े प्लॉटों पर भर रहा है. इससे शहर के अंदर खाली पड़े प्लॉट तालाब का रूप ले चुके हैं. यहां जरा सी बारिश में सड़कें लबलबा उठती हैं और पानी सड़कों में भर जाता है. इससे लोगों को न सिर्फ निकलने में समस्या हो रही है. बल्कि बीमारियां फैलने का भी खतरा बना हुआ है.

कई सालों से नहीं हो पा रहा निर्माण कार्य पूरा
सदर नगर पालिका की ओर से शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए तीन वर्ष पहले 29 करोड़ रुपये की लागत से नालों का निर्माण शुरू कराया गया, जो अभी तक अधूरा पड़ा हुआ है. आधा अधूरा निर्माण आमजन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. पूरा शहर मिट्टी की खुदाई के कारण खराब हो गया है. इससे स्वांस संबंधित परेशानी के बढ़ने का भी खतरा बना हुआ है. नगर पालिका ने पांच वर्षों में मात्र 10 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. लंबा समय बीत जाने के बाद भी नालों की कनेक्टिविटी दुरुस्त नहीं हो सकी है. दशकों से लंबित सीवर प्रोजेक्ट भी सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं. अतिक्रमण के चलते तालाबों का आकार सिकुड़ता जा रहा है और जलनिकासी की समस्या फैलती जा रही है. वहीं जिम्मेदार धन का आभाव बताते हुए किनारा किए हुए हैं.

ड्रेनेज सिस्टम की हालत खस्ता

ताम्बेश्वर चौराहे के निकट रहने वाले व्यवसायी अजय कुमार ने बताया कि यहां जल निकासी की बड़ी समस्या है. अधिकारी फर्जदायगी करके चले जाते हैं. उसके बाद पानी फिर यहीं भरता है. नालियां सारी चोक पड़ी रहती हैं. पानी खाली पड़े प्लाटों पर भरता रहता है. शादीपुर के पास खराब सड़क पर राहगीर जितेंद्र ने बताया कि नालियों की स्थिति काफी खराब है. कभी साफ-सफाई नहीं होती है.

मामूली बारिश बन जाती है मुसीबत
तहसील चौराहे के समीप रहने वाले मातेश्वरी प्रसाद ने बताया कि रोड में हर जगह गड्ढे हैं, जिनमें पानी भरा रहता है. उन्होंने बताया कि पिछले करीब 10-12 वर्षों से यही स्थिति है, क्योंकि वहां पर नाला नहीं है. पांच वर्ष पहले रोड बनी थी, लेकिन जलभराव के कारण टूट गई. रिपेयरिंग के नाम पर गड्ढों में पैचिंग का काम होता है. फिर कुछ समय बाद फिर से सड़क टूट जाती है और पत्थर घरों तक पहुंचते हैं.

सारे काम है ठप, जल्द होंगे पूरे
शहर में ड्रेनेज सिस्टम और नाला निर्माण पर अधिशाषी अधिकारी-नगर पालिका मीरा सिंह ने बताया कि जितना धन उन्हें चाहिए था, वह कोरोना के चलते सरकार की तरफ से उन्हें नहीं मिल पाया है. इसकी वजह से सारे कार्य रुके हैं. जैसे ही उन्हें धनराशि मिलती है वे शहर की सभी नालों की व्यवस्था सुदृढ करवाएंगी. पिछले वर्ष मिली धनराशि से कुछ जगहों पर काम शुरू हो चुका है.

फतेहपुर: जिले की सदर नगर पालिका का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह बदहाल बना हुआ है. शहरी आबादी बढ़ती जा रही है और जल निकासी की व्यवस्था कमजोर होती जा रही है. आलम यह है कि पानी नालियों से निकलकर खाली पड़े प्लॉटों पर भर रहा है. इससे शहर के अंदर खाली पड़े प्लॉट तालाब का रूप ले चुके हैं. यहां जरा सी बारिश में सड़कें लबलबा उठती हैं और पानी सड़कों में भर जाता है. इससे लोगों को न सिर्फ निकलने में समस्या हो रही है. बल्कि बीमारियां फैलने का भी खतरा बना हुआ है.

कई सालों से नहीं हो पा रहा निर्माण कार्य पूरा
सदर नगर पालिका की ओर से शहर के ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए तीन वर्ष पहले 29 करोड़ रुपये की लागत से नालों का निर्माण शुरू कराया गया, जो अभी तक अधूरा पड़ा हुआ है. आधा अधूरा निर्माण आमजन के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. पूरा शहर मिट्टी की खुदाई के कारण खराब हो गया है. इससे स्वांस संबंधित परेशानी के बढ़ने का भी खतरा बना हुआ है. नगर पालिका ने पांच वर्षों में मात्र 10 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. लंबा समय बीत जाने के बाद भी नालों की कनेक्टिविटी दुरुस्त नहीं हो सकी है. दशकों से लंबित सीवर प्रोजेक्ट भी सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं. अतिक्रमण के चलते तालाबों का आकार सिकुड़ता जा रहा है और जलनिकासी की समस्या फैलती जा रही है. वहीं जिम्मेदार धन का आभाव बताते हुए किनारा किए हुए हैं.

ड्रेनेज सिस्टम की हालत खस्ता

ताम्बेश्वर चौराहे के निकट रहने वाले व्यवसायी अजय कुमार ने बताया कि यहां जल निकासी की बड़ी समस्या है. अधिकारी फर्जदायगी करके चले जाते हैं. उसके बाद पानी फिर यहीं भरता है. नालियां सारी चोक पड़ी रहती हैं. पानी खाली पड़े प्लाटों पर भरता रहता है. शादीपुर के पास खराब सड़क पर राहगीर जितेंद्र ने बताया कि नालियों की स्थिति काफी खराब है. कभी साफ-सफाई नहीं होती है.

मामूली बारिश बन जाती है मुसीबत
तहसील चौराहे के समीप रहने वाले मातेश्वरी प्रसाद ने बताया कि रोड में हर जगह गड्ढे हैं, जिनमें पानी भरा रहता है. उन्होंने बताया कि पिछले करीब 10-12 वर्षों से यही स्थिति है, क्योंकि वहां पर नाला नहीं है. पांच वर्ष पहले रोड बनी थी, लेकिन जलभराव के कारण टूट गई. रिपेयरिंग के नाम पर गड्ढों में पैचिंग का काम होता है. फिर कुछ समय बाद फिर से सड़क टूट जाती है और पत्थर घरों तक पहुंचते हैं.

सारे काम है ठप, जल्द होंगे पूरे
शहर में ड्रेनेज सिस्टम और नाला निर्माण पर अधिशाषी अधिकारी-नगर पालिका मीरा सिंह ने बताया कि जितना धन उन्हें चाहिए था, वह कोरोना के चलते सरकार की तरफ से उन्हें नहीं मिल पाया है. इसकी वजह से सारे कार्य रुके हैं. जैसे ही उन्हें धनराशि मिलती है वे शहर की सभी नालों की व्यवस्था सुदृढ करवाएंगी. पिछले वर्ष मिली धनराशि से कुछ जगहों पर काम शुरू हो चुका है.

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