ETV Bharat / state

फतेहपुर: खतरनाक केमिकल युक्त रंगों से निजात दिलाएगा सिंदूर का पौधा, बढ़ी मांग - lipstick-tree

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में किसान लाल रंग के बढ़ते उपयोग को देखते हुए, बिक्सा ओरेलाना की बागवानी कर रहे हैं. यह एक खास प्रकार के रंगों वाला पौधा है. इसे लटकन के नाम से भी जाना जाता है.

बिक्सा ओरेलाना की फली
सिंदूर के पौधे (बिक्सा ओरेलाना) की फली
author img

By

Published : Jun 14, 2020, 9:44 AM IST

फतेहपुर: त्योहारों के सीजन में मिठाई से लेकर कपड़े सहित कई प्रकार की चीजों में रंगों का इस्तेमाल होता है. लेकिन बाजारों में उपलब्ध रंगों में केमिकल की मात्रा ज्यादा होती है. जिसके कई बार साइड इफेक्ट भी देखने को मिलता है. केमिकल युक्त रंगों के नुकसान से बचने के लिए लोगों के बीच सिंदूरी पौधा खास स्थान बना रहा है. औषधीय गुणों से भरपूर इस पौधे का वानस्पतिक नाम 'बिक्सा ओरेलाना' है. हिंदी में इसे लटकन के नाम से भी जाना जाता है. इसके फली का उपयोग विभिन्न भोज्य पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन और औषधि के रूप में किया जाता है.

सिंदूर के पौधे की बागवानी कर रहे फतेहपुर के किसान

लाल रंग के बढ़ते उपयोग को देखते हुए फतेहपुर जिले में किसान इसकी बागवानी कर रहे हैं. जनपद निवासी किसान अशोक तपस्वी ने भी अपने बाग में इसके पौधे लगाए हैं. वह इसका उपयोग कार्यक्रमों में टीका लगाने, कपड़ा रंगने और महिलाओं के लिए सिंदुर बनाने में कर रहे हैं. इस प्राकृतिक रंग के उपयोग से किसी प्रकार का साइड इफेक्ट भी नहीं हो रहा है.

खाद्य-पदार्थों में भी होता है उपयोग

सिंदूरी पौधे से प्राप्त रंगों के उपयोग की बात करें तो सबसे ज्यादा आइसक्रीम और मक्खन में किया जाता है. इसके साथ ही लिपस्टिक, बाल रंगने, नेल पॉलिश, साबुन एवं कपड़ों में पेंट करने के लिए भी किया जाता है.

पर्यावरण को भी होता है लाभ
इस सिंदूरी पौधे के बारे में अधिक जानकारी देते हुए किसान अशोक तपस्वी बताते हैं कि हमारे पास प्राकृतिक सिंदूर का पौधा उपलब्ध है. यदि इसका पौधरोपण किया जाए तो इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा और किसानों को आर्थिक रूप से सहायता मिलेगी. यदि वन विभाग द्वारा किए जा रहे पौधरोपण में सिंदूर का पौधा शामिल कर लिया जाए तो एक उत्पाद तैयार हो जाएगा. अशोक बताते हैं कि वह इसका उपयोग सिंदूर, लिपस्टिक, फेस पाउडर सहित कपड़े को रंगने में करते हैं.

फतेहपुर: त्योहारों के सीजन में मिठाई से लेकर कपड़े सहित कई प्रकार की चीजों में रंगों का इस्तेमाल होता है. लेकिन बाजारों में उपलब्ध रंगों में केमिकल की मात्रा ज्यादा होती है. जिसके कई बार साइड इफेक्ट भी देखने को मिलता है. केमिकल युक्त रंगों के नुकसान से बचने के लिए लोगों के बीच सिंदूरी पौधा खास स्थान बना रहा है. औषधीय गुणों से भरपूर इस पौधे का वानस्पतिक नाम 'बिक्सा ओरेलाना' है. हिंदी में इसे लटकन के नाम से भी जाना जाता है. इसके फली का उपयोग विभिन्न भोज्य पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन और औषधि के रूप में किया जाता है.

सिंदूर के पौधे की बागवानी कर रहे फतेहपुर के किसान

लाल रंग के बढ़ते उपयोग को देखते हुए फतेहपुर जिले में किसान इसकी बागवानी कर रहे हैं. जनपद निवासी किसान अशोक तपस्वी ने भी अपने बाग में इसके पौधे लगाए हैं. वह इसका उपयोग कार्यक्रमों में टीका लगाने, कपड़ा रंगने और महिलाओं के लिए सिंदुर बनाने में कर रहे हैं. इस प्राकृतिक रंग के उपयोग से किसी प्रकार का साइड इफेक्ट भी नहीं हो रहा है.

खाद्य-पदार्थों में भी होता है उपयोग

सिंदूरी पौधे से प्राप्त रंगों के उपयोग की बात करें तो सबसे ज्यादा आइसक्रीम और मक्खन में किया जाता है. इसके साथ ही लिपस्टिक, बाल रंगने, नेल पॉलिश, साबुन एवं कपड़ों में पेंट करने के लिए भी किया जाता है.

पर्यावरण को भी होता है लाभ
इस सिंदूरी पौधे के बारे में अधिक जानकारी देते हुए किसान अशोक तपस्वी बताते हैं कि हमारे पास प्राकृतिक सिंदूर का पौधा उपलब्ध है. यदि इसका पौधरोपण किया जाए तो इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा और किसानों को आर्थिक रूप से सहायता मिलेगी. यदि वन विभाग द्वारा किए जा रहे पौधरोपण में सिंदूर का पौधा शामिल कर लिया जाए तो एक उत्पाद तैयार हो जाएगा. अशोक बताते हैं कि वह इसका उपयोग सिंदूर, लिपस्टिक, फेस पाउडर सहित कपड़े को रंगने में करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.