फतेहपुर: 1857 की क्रांति से लेकर भारत की स्वतंत्रता मिलने तक जनपद के क्रांतिकारी भी कभी पीछे नहीं हटे. 1857 कि क्रांति की बात करें तो ठाकुर दरियाव सिंह, जोधा सिंह अटैया, ठाकुर शिवदयाल सिंह, हिकमतुल्ला खां सहित सैकड़ों क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को लोहे के चने चबवा दिए थे.
24 घंटे के लिए जिले को कराया था आजाद
सबने मिलकर अपने ग्रामीण अस्त्रों व युद्ध कौशल के बल पर अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की शुरुआत की. इस युद्ध कौशल में सभी इस प्रकार दक्ष थे कि अंग्रेजों के पसीने छूट गए और क्रांतिकारियों की मेहनत रंग लाई. उन्होंने 1857 के दौरान ही फतेहपुर जिले को आजाद करवा लिया था और इस आजाद फतेहपुर का प्रथम डिप्टी कलेक्टर अमर शहीद हिकमतुल्ला खां को बनाया गया. हालांकि यह स्वतंत्रता महज 24 घंटे ही चल सकी, इसके बाद पुनः अंग्रेजों ने बड़ी संख्या में धोखे से आक्रमण कर जिले की कमान हथिया ली थी.
देश मना रहा 74वां स्वतंत्रता दिवस
जिले के चौराहों व पार्कों में लगी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मूर्तियां हमेशा उनकी गौरव गाथा को याद दिलाती रहती हैं. उनकी यादों में जनपद में कई पार्कों का निर्माण किया गया है. वैसे तो उनकी अमर गाथाएं हमेशा लोगों के दिलों में जीवंत रहती हैं लेकिन कुछ विशेष आयोजनों में समय-समय पर लोग वहां पहुंचकर उनको नमन कर उनकी अमर गाथाओं को याद करते रहते हैं. स्वतंत्रता दिवस के दिन आज जनपद के लोग इन स्वतंत्रता सेनानियों का याद कर रहे हैं.
'होती है गर्व की अनुभूति'
जनपद के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करते हुए वरिष्ठ इतिहासकार अमित बाजपेई बताते हैं कि जिले के क्रांतिकारियों ने 1857 की गदर में अहम भूमिका निभाई थी. जिसमें जोधा सिंह अटैया, दरियाव सिंह, शिवदयाल सिंह, गणेश शंकर विद्यार्थी सहित कई लोग शामिल थे और इन लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ युध्द छेड़कर 24 घंटे के लिए फतेहपुर को आजाद भी करवा लिया था. आज जब हम पढ़ते हैं कि भारत को स्वतंत्र कराने में हमारा जनपद अग्रणी रहा है तो गर्व की अनुभूति होती है. स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हम उन सभी क्रांतिवीरों को नमन करते हैं.