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फतेहपुर: धान का भुगतान न होने पर किसान परेशान - धान की फसल

यूपी के फतेहपुर में किसान धान का मूल्य न मिलने से परेशान हैं. धान खरीद एजेंसियों पर किसानों का नौ करोड़ लाख दस लाख रुपये से भी ज्यादा का बकाया चल रहा है.

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किसान.
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Published : Feb 26, 2020, 10:35 PM IST

फतेहपुर: जिले में धान खरीद एजेंसियों पर किसानों का नौ करोड़ लाख दस लाख रुपये से भी ज्यादा का बकाया चल रहा है. परेशान किसान धान के मूल्य के लिए किसानों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है. एक नवंबर से शुरू धान खरीद में जिले में कुल 68 खरीद केंद्र खोले गए थे, जिसमें अट्ठारह सौ पैंतीस रुपये प्रति किलो के हिसाब किसानों को धान का भुगतान किया जाता है.

जानकारी देता किसान.

एक नवम्बर से 29 फरवरी तक होने वाली खरीद में जिले को कुल एक लाख दस हजार मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य दिया गया था, जिसके विपरीत अब तक यहां एक लाख सत्तरह हजार मीट्रिक टन धान खरीदा गया है. सरकारी धान खरीद एजेंसियों ने तय समय के पहले लक्ष्य से ज्यादा धान की खरीद कर ली, लेकिन महीनों पहले धान तौल चुके किसानों को अभी तक भुगतान नहीं किया गया. उन्होंने इस उम्मीद के साथ सरकारी खरीद एजेंसी पर अपनी उपज बेची थी कि धान की अच्छी कीमत मिल जाने से उन्हें बेटी की शादी में काफी सहूलियत मिल जाएगी.

इसे पढ़ें:- लखनऊ: विधानसभा में बोले सीएम, सीएए के विरोध में सम्पतियों को क्षति पहुंचाने वालों से होगी वसूली

जिलाधिकारी संजीव सिंह ने बताया कि किसानों को जल्द से जल्द धान का मूल्य मिल सके, इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया है. अगर कर्मचारियों की लापरवाही पाई गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

फतेहपुर: जिले में धान खरीद एजेंसियों पर किसानों का नौ करोड़ लाख दस लाख रुपये से भी ज्यादा का बकाया चल रहा है. परेशान किसान धान के मूल्य के लिए किसानों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है. एक नवंबर से शुरू धान खरीद में जिले में कुल 68 खरीद केंद्र खोले गए थे, जिसमें अट्ठारह सौ पैंतीस रुपये प्रति किलो के हिसाब किसानों को धान का भुगतान किया जाता है.

जानकारी देता किसान.

एक नवम्बर से 29 फरवरी तक होने वाली खरीद में जिले को कुल एक लाख दस हजार मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य दिया गया था, जिसके विपरीत अब तक यहां एक लाख सत्तरह हजार मीट्रिक टन धान खरीदा गया है. सरकारी धान खरीद एजेंसियों ने तय समय के पहले लक्ष्य से ज्यादा धान की खरीद कर ली, लेकिन महीनों पहले धान तौल चुके किसानों को अभी तक भुगतान नहीं किया गया. उन्होंने इस उम्मीद के साथ सरकारी खरीद एजेंसी पर अपनी उपज बेची थी कि धान की अच्छी कीमत मिल जाने से उन्हें बेटी की शादी में काफी सहूलियत मिल जाएगी.

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