फतेहपुर: जिले के तपस्वी नगर इलाके के रहने वाले अशोक तपस्वी आधुनिक कृषि करके अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे हैं. वहीं, उन्होंने कई बेरोजगारों को रोजगार भी दिया है. खेती को आधुनिक रूप देने वाले अशोक तपस्वी ने बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया है, जिस पर अच्छी फसल की पैदावर हो रही है.
आधुनिक तरीके से कर रहे खेती
किसान अशोक तपस्वी का जन्म महाराष्ट्र की माया नगरी मुंबई में हुआ था. अशोक ने मुंबई से ही शिक्षा ग्रहण की. आज से 30 साल पहले अशोक तपस्वी अपने पैतृक घर वापस आए और खेती-किसानी करना शुरू कर दिया. अशोक तपस्वी बताते हैं कि जिस जमीन पर उन्होंने खेती करने की सोची थी, वह पूरी तरीके से बंजर थी. अशोक ने अपनी मेहनत और लगन के बल पर जैविक तरीके से जमीन को उपजाऊ बनाया. आज उस जमीन पर हर प्रकार की फसल पैदा हो रही है. इस जमीन पर परंपरागत खेती के अलावा तमाम ऐसे वृक्ष लगा रखे हैं, जिनसे अच्छी खासी आमदनी हो रही है.
एप्पल बेर की बढ़ी मांग
खेतों में लगे बेर के पेड़ अब फल देने लगे हैं. ये बेर एप्पल के आकार के हैं. एप्पल बेर को अच्छी पैकिंग के साथ बाजार में बेचा जा रहा है. इसकी कीमत 150 रुपये रखी गई है. एप्पल बेर को लोग काफी पसंद भी कर रहे हैं. अशोक तपस्वी ने बेर के पेड़ों की देखभाल से लेकर उनकी साफ-सफाई और उनकी पैकिंग तक में बेरोजगार महिलाओं को रोजगार दे रखा है.
प्रगतिशील किसान अशोक तपस्वी ने अपनी जमीन पर लगभग एक एकड़ में बेर के पेड़ लगा रखे हैं. उनका कहना है कि बेर के पौधे खरीदने और उसे लगाने में प्रति पेड़ लगभग 200 सौ रुपये का खर्च आता है. लगभग 3 साल तक पेड़ों की देख-रेख करने के बाद बेर के पेड़ों पर कोई खर्च नहीं करना पड़ता. पेड़ बड़े होने के बाद खुद बारिश से पानी की जरूरतें पूरी कर लेते हैं. इसके बाद उनमें प्रायः सिंचाई की भी जरूरत नहीं पड़ती है. शुरुआत में बेर के पेड़ों में कम फल आते हैं, लेकिन पेड़ के बड़े होने के बाद फलों की मात्रा बढ़ने लगती है. इस समय उन्हें एक साल में एक पेड़ से 10,000 से 12,000 की आय प्राप्त हो जाती है.
बेर की खेती में सबसे खास बात यह है कि एप्पल बेर को ऊसर भूमि में भी लगाया जा सकता है. कटीले होने के चलते बेर के पेड़ों को जानवरों से भी कोई खतरा नहीं होता है. इस तरीके से किसान बेर की खेती से अच्छी खासी कमाई कर सकता है.
सिंदूर के रंग की प्राप्ति
अशोक तपस्वी ने अपने खेतों में कुमकुम पेड़ नाम का एक ऐसा वृक्ष लगवाया है, जिनमें आने वाले फलों में सिंदूर के रंगों जैसे रंगों की प्राप्ति होती है. इस पेड़ के फलों के सूख जाने के बाद उन्हें पीसकर सिंदूर बनाया जाता है. इससे फेस पाउडर भी तैयार किया जाता है.
किसान अशोक तपस्वी का कहना है कि अगर खेती को आधुनिक तरीके से किया जाए तो किसान अनाज का पर्याप्त उत्पादन कर सकता है. साथ ही खेत में लगाए गए पेड़-पौधों के माध्यम से भी अच्छी कमाई कर सकता है. अशोक ने खेती में निरंतर नए प्रयास किए हैं, बेरोजगारों को रोजगार दिए हैं. इसके लिए उन्हें तमाम पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है. कहा कि खेती में वह आगे भी ऐसे नए प्रयोग करते रहेंगे.