फर्रुखाबाद: बोरवेल में गिरी 8 वर्षीय बच्ची (सीमा) को 58 घंटे की कवायद के बाद भी नहीं निकाला जा सका. रात 12 बजे के आस-पास रेस्क्यू ऑपरेशन बीच में छोड़कर सेना और प्रशासन के अधिकारियों के जाते ही लोगों ने नारेबाजी की. लोगों ने बच्ची को जिंदा या मुर्दा निकालने और मुआवजे की मांग उठाई. वहीं सेना के जाते ही पुलिस बल और पीएसी को तैनात कर दिया गया है.
कमालगंज थाना क्षेत्र के अंतर्गत गांव रसीदपुर में बोरवेल में गिरी बच्ची को बचाने के प्रयास में जुटी एनआरडीएफ, सीआरडीएफ और सेना के जवानों का प्रयास बार-बार मिट्टी धंसने से सफल नहीं हो सका. इसके बाद सेना ने शुक्रवार रात करीब 12 बजे रेस्क्यू ऑपरेशन को बंद करना ही उचित समझा. वहीं बिना बच्ची की सूचना दिए अधिकारियों के जाने से नाराज ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उन्होंने बच्ची को जिंदा या मुर्दा निकालने के साथ मुआवजे की मांग करते हुए प्रदर्शन किया.
ग्रामीण संजीवनी देवी ने कहा कि उन्हें अपने ही घर से प्रशासन के लोगों ने सुबह निकाल दिया था. एक तो खुदाई के कारण घरों की दीवारों में दरारें आ गई हैं और अब बच्ची को भी नहीं निकाला जा रहा है. इसको सहन नहीं किया जाएगा. वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन के अधिकारी बच्ची (सीमा) के परिजनों पर खुदाई रुकवाने का दबाव बना रहे हैं. उनका कहना है कि अधिकारियों कह रहे कि यदि खुदाई होती है तो जिन मकानों को क्षति पहुंचेगी, उसकी भरपाई बच्ची के घरवाले करेंगे. प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं दी जाएगी.
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लेखपाल और प्रधान हरीश चंद जबरदस्ती एक कागज में हस्ताक्षर करा रहे हैं, जिस पर लिखा हुआ है कि हम अपनी मर्जी से खुदाई को रुकवा रहे हैं. जबकि हम लोग घर टूट जाने के बावजूद बच्ची को जिंदा या मुर्दा निकाले जाने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सीमा के चाचा सुरेंद्र को प्रशासन के अधिकारियों के साथ प्रधान हरीश चंद दबाव बनाकर हस्ताक्षर कराने के लिए घर से उठा ले गए हैं.