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न्यायालय में जजमेंट फाड़ने वाले दोषी को दो साल कारावास - फर्रुखाबाद समाचार

यूपी के फर्रुखाबाद में भूमि विवाद संबंधी मुकदमे में अपने खिलाफ हुए आदेश व पत्रावली को न्यायालय में फाड़ने व कर्मचारी पर हमला करने के मामले में सीजेएम ने अभियुक्त को दो साल की कैद व दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है.

प्रतीकात्मक तस्वीर.
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Published : Dec 25, 2020, 9:20 PM IST

फर्रुखाबादः जिले में भूमि विवाद संबंधी मुकदमे में अपने खिलाफ हुए आदेश व पत्रावली को न्यायालय में फाड़ने व कर्मचारी पर हमला करने के मामले में सीजेएम ने मुकदमे की सुनवाई करते हुए अभियुक्त को दो साल की कैद व दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है. जुर्माना अदा न करने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद के आदेश दिए हैं. 33 वर्ष पूर्व तत्कालीन न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फतेहगढ़ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

33 साल बाद सुनाई सजा
चतुर्थ अतिरिक्त मुंसिफ न्यायालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट एमएस बाधवा ने 7 मई 1987 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया था कि न्यायालय में विचाराधीन मुकदमे में पैरवी के लिए आईं फतेहगढ़ कोतवाली के गांव निनौआ निवासी अनोखेलाली की पत्नी विद्यादेवी ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अब्दुल समी से पत्रावली मांगकर उस पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद विद्यादेवी के पुत्र महेश चंद्र ने कर्मचारी पर हमला कर पत्रावली छीनकर उसे फाड़ दिया. खोजबीन के बाद भी पत्रावली नहीं मिली. पत्रावली पर विद्यादेवी के अधिवक्ता ने भी हस्ताक्षर किए थे.

जुर्माना न अदा करने तीन माह की अतिरिक्त सजा
इस मामले में अभियोजन अधिकारी लक्ष्मीराज सिंह, नरेंद्र कुमार व बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद सीजेएम राजेंद्र कुमार सिंह ने अभियुक्त महेश चंद्र को पत्रावली गायब करने के आरोप में दो वर्ष की सजा सुनाई व दस हजार जुर्माना लगाया.

फर्रुखाबादः जिले में भूमि विवाद संबंधी मुकदमे में अपने खिलाफ हुए आदेश व पत्रावली को न्यायालय में फाड़ने व कर्मचारी पर हमला करने के मामले में सीजेएम ने मुकदमे की सुनवाई करते हुए अभियुक्त को दो साल की कैद व दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है. जुर्माना अदा न करने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद के आदेश दिए हैं. 33 वर्ष पूर्व तत्कालीन न्यायिक मजिस्ट्रेट ने फतेहगढ़ कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

33 साल बाद सुनाई सजा
चतुर्थ अतिरिक्त मुंसिफ न्यायालय के न्यायिक मजिस्ट्रेट एमएस बाधवा ने 7 मई 1987 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी. जिसमें कहा गया था कि न्यायालय में विचाराधीन मुकदमे में पैरवी के लिए आईं फतेहगढ़ कोतवाली के गांव निनौआ निवासी अनोखेलाली की पत्नी विद्यादेवी ने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अब्दुल समी से पत्रावली मांगकर उस पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद विद्यादेवी के पुत्र महेश चंद्र ने कर्मचारी पर हमला कर पत्रावली छीनकर उसे फाड़ दिया. खोजबीन के बाद भी पत्रावली नहीं मिली. पत्रावली पर विद्यादेवी के अधिवक्ता ने भी हस्ताक्षर किए थे.

जुर्माना न अदा करने तीन माह की अतिरिक्त सजा
इस मामले में अभियोजन अधिकारी लक्ष्मीराज सिंह, नरेंद्र कुमार व बचाव पक्ष के अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद सीजेएम राजेंद्र कुमार सिंह ने अभियुक्त महेश चंद्र को पत्रावली गायब करने के आरोप में दो वर्ष की सजा सुनाई व दस हजार जुर्माना लगाया.

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