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सुन लो सरकार, बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ने से गांव में मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. फर्रुखाबाद जिले के कई गांव में बाढ़ के पानी से घिरे हैं. गंगा का जलस्तर 136.85 मीटर तक पहुंच गया. सड़के, मवेशी, चारा, फसल सभी बाढ़ की जद में है. वहीं, सड़क किनारे पॉलिथीन के नीचे गुजर कर रहे पीड़ितों की बरसात से मुश्किलें और बढ़ गई हैं. वहीं ग्रामीण कह रहे हैं कि कोई जनप्रतिनिधि या सरकारी अधिकारी आता है तो केवल आश्वासन की घुट्टी पिला कर चला जाता है.

बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार
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Published : Aug 7, 2021, 2:28 PM IST

फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ने से गांव में मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. बारिश की वजह से बढ़ रहे जलस्तर को संतुलित करने के लिए नरौरा बांध से गंगा में 81 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, वहीं बिजनौर से 1 लाख 6 हजार 689 क्यूसेक तो हरिद्वार से 93 हजार 244 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. गंगा का जलस्तर 136.85 मीटर तक पहुंच गया. वहीं, चित्रकूट के निकट बदायूं मार्ग पर दो फीट तक पानी पंहुच गया. साथ ही पानी की धारा इतनी तेज है कि दोपहिया वाहनों का आवागमन बाधित है. बाढ़ से घिरे गांवों के लोग नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं.




फर्रुखाबाद जिले के कई गांव में बाढ़ के पानी से घिरे हैं. जहां पर एक मात्र सहारा नाव और बैलगाड़ी बनी हुई है. हालांकि कुछ पानी कम हुआ है पर मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. मवेशियों का चारा खेत में ही खराब होने की आशंका बनने से ग्रामीण चिंतित हैं. सुंदरपुर, राजा रामपुर की मड़ैया, तीसराम की मड़ैया, हरसिंहपुर, कायस्थ जैसे गांव में घरों में पानी भरा है.

बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार
ग्रामीण बाढ़ के पानी में निकलने को मजबूर हैं. चित्रकूट के निकट बदायूं मार्ग पर दो फीट बाढ़ का पानी बह रहा है. जिससे दोपहिया वाहनों का आवागमन बाधित हो गया है. बाढ़ का पानी खेतों में कई दिनों से भरा है. जिसे फसलें खराब होने की आशंका है. सड़क किनारे पॉलिथीन के नीचे गुजर कर रहे पीड़ितों की बरसात से मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.
सुन लो सरकार, बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार
सुन लो सरकार, बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार



वहीं ग्रामीणों ने बताया शासन प्रशासन से अभी तक कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई है और न ही कोई जनप्रतिनिधि यहां पर आया है. अगर कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी आता है तो केवल आश्वासन की घुट्टी पिला कर चले जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि हम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि सांप कीड़े मकोड़ों का काटने का भी डर रहता है इसलिए छतों पर खाना बना रहे है. उन्होंने बताया कि बच्चों की निगरानी करनी पड़ती है.

बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार
बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार


करीब हजारों बीघा फसल जलमग्न हो गई है. जिससे बाढ़ ग्रस्त लोगों की समस्याएं और ज्यादा उत्पन्न हो गई हैं साथ ही साथ जानवरों के चारे की भी समस्या उत्पन्न हो रही है. पानी भरे रहने से बीमारियां भी उत्पन्न हो रही हैं. कई गांव में बाढ़ का पानी पहुंच गया है जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है.

फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में गंगा का जलस्तर बढ़ने से गांव में मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. बारिश की वजह से बढ़ रहे जलस्तर को संतुलित करने के लिए नरौरा बांध से गंगा में 81 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, वहीं बिजनौर से 1 लाख 6 हजार 689 क्यूसेक तो हरिद्वार से 93 हजार 244 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. गंगा का जलस्तर 136.85 मीटर तक पहुंच गया. वहीं, चित्रकूट के निकट बदायूं मार्ग पर दो फीट तक पानी पंहुच गया. साथ ही पानी की धारा इतनी तेज है कि दोपहिया वाहनों का आवागमन बाधित है. बाढ़ से घिरे गांवों के लोग नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं.




फर्रुखाबाद जिले के कई गांव में बाढ़ के पानी से घिरे हैं. जहां पर एक मात्र सहारा नाव और बैलगाड़ी बनी हुई है. हालांकि कुछ पानी कम हुआ है पर मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. मवेशियों का चारा खेत में ही खराब होने की आशंका बनने से ग्रामीण चिंतित हैं. सुंदरपुर, राजा रामपुर की मड़ैया, तीसराम की मड़ैया, हरसिंहपुर, कायस्थ जैसे गांव में घरों में पानी भरा है.

बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार
ग्रामीण बाढ़ के पानी में निकलने को मजबूर हैं. चित्रकूट के निकट बदायूं मार्ग पर दो फीट बाढ़ का पानी बह रहा है. जिससे दोपहिया वाहनों का आवागमन बाधित हो गया है. बाढ़ का पानी खेतों में कई दिनों से भरा है. जिसे फसलें खराब होने की आशंका है. सड़क किनारे पॉलिथीन के नीचे गुजर कर रहे पीड़ितों की बरसात से मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.
सुन लो सरकार, बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार
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वहीं ग्रामीणों ने बताया शासन प्रशासन से अभी तक कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई है और न ही कोई जनप्रतिनिधि यहां पर आया है. अगर कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी आता है तो केवल आश्वासन की घुट्टी पिला कर चले जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि हम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि सांप कीड़े मकोड़ों का काटने का भी डर रहता है इसलिए छतों पर खाना बना रहे है. उन्होंने बताया कि बच्चों की निगरानी करनी पड़ती है.

बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार
बाढ़ पीड़ितों को मदद का इंतजार


करीब हजारों बीघा फसल जलमग्न हो गई है. जिससे बाढ़ ग्रस्त लोगों की समस्याएं और ज्यादा उत्पन्न हो गई हैं साथ ही साथ जानवरों के चारे की भी समस्या उत्पन्न हो रही है. पानी भरे रहने से बीमारियां भी उत्पन्न हो रही हैं. कई गांव में बाढ़ का पानी पहुंच गया है जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है.

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