फर्रुखाबाद: जिले में बीते लगभग 12 साल पूहले एक युवक की सम्पत्ति विवाद में हत्या कर दी गई थी. इस मामले में न्यायालय ने चार सगे भाईयों को उम्र कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ दोष सिद्द चारों भाईयों के पिता को भी उम्रकैद की सजा दी गई, लेकिन उनकी मुकदमें में सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है.
जानिए पूरा मामला
थाना नवाबगंज में 28 अगस्त 2008 को पुठरी जसमई मार्ग पर अजय पाल पुत्र रामदीन पाल निवासी राजारामपुर के मक्के के खेत में एक अज्ञात युवक का शव पड़ा मिला था, जिसकी गर्दन कटी हुई थी. पुलिस ने चौकीदार की तहरीर पर 147, 148, 34, 302 का मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की. 31 अगस्त 2008 को जसवंत सिंह पुत्र रामशरन पाल ने पुलिस को तहरीर दी, जिसमें कहा कि वह ग्रानगंज फतेहगढ़ का निवासी है. उसके चाचा करन सिंह की मौत के बाद पिता रामशरण पाल ने चाची सुशीला देवी के साथ शादी की, जिससे पांच लडके और दो लड़कियां हुईं.
पीड़ित ने आरोप लगाया कि पिता उसके भाईयों को सम्पत्ति में हिस्सा ना देकर चाची के पांचों बेटों को हिस्सा दे रहे हैं, जिसका मुकदमा भी चल रहा है. चाची के पांचों बेटों में एक बेटा राजेन्द्र पाल दिल्ली में रहता है. शेष चारों भाई राजवीर, शिवराम, शिवचरन व शैलेन्द्र पुत्र रामशरण हमारे पड़ोस में ही रहते हैं. जसवंत ने पुलिस को तहरीर के माध्यम से जानकारी दी थी कि 28 अगस्त 2008 को चारों आरोपी सुबह करीब साढ़े दस बजे यह कहकर मेरे भाई कश्मीर पाल को बुला ले गए कि छिबरामऊ कन्नौज लडैतापुर निवासी महिला मुन्नी देवी ने प्रार्थना पत्र उसके खिलाफ दिया है. उसके गवाहों को बुलाकर उसके हक में बयान करा देंगे. उसके बाद आरोपियों ने उनकी हत्या पिता रामशरण के सहयोग से कर दी. हत्या के बाद कश्मीर ने कपड़ों से उसकी शिनाख्त की.
पुलिस ने चार्जशीट पिता और चार सगे भाइयों के खिलाफ पेश की, जिसके बाद नियमानुसार सुनवाई शुरू की गई. लगभग 12 साल चली सुनवाई के दौरान आरोपी पिता रामशरन पाल की 95 वर्ष की अवस्था में मौत हो चुकी है. उनके साथ ही आरोपी राजवीर, शिवराम, शिवचरन व शैलेन्द्र को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया है. सजा सुनाए जाने के दौरान न्यायालय के बाहर पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई, क्योंकि चार आरोपियों में तीन अधिवक्ता भी थे.
कोर्ट ने कितनी दी सजा
कोर्ट नें धारा 147 के तहत एक-एक वर्ष का कठोर कारावास. धारा 148 में दोष सिद्ध होने पर दो-दो वर्ष की कठोर कारावास के साथ ही पांच-पांच हजार का अर्थदंड भी लगाया है. अर्थदंड जमा ना करने पर अतिरिक्त दो वर्ष का कारावास भुगतना होगा. इसके साथ ही धारा 302 के तहत आजीवन कारावास और 25-25 हजार के अर्थदंड से दंडित किया गया है. अर्थ दंड जमा ना करने पर एक-एक वर्ष की अतिरिक्त कठोर कारावास की सजा. कोर्ट ने आदेश में कहा कि दोषियों की सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.