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लॉकडाउन: जानें कौन है वो दिव्यांग जो लाॅकडाउन में जरुरतमंदों को बांट रहा खाना

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में एक नेत्रहीन ने मिशाल पेश किया है. आंखें नहीं होने के बावजूद लाॅकडाउन में दिहाड़ी मजदूरों और जरूरतमंदों को लंच पैकेट मुहैया करा रहा है.

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दिव्यांग जो लाॅकडाउन में जरुरतमंदों को बांट रहा खाना
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Published : Apr 11, 2020, 11:10 AM IST

Updated : Apr 11, 2020, 1:01 PM IST

फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में एक नेत्रहीन ने मिशाल पेश किया है. आंखें नहीं होने के बावजूद लाॅकडाउन में दिहाड़ी मजदूरों और जरूरतमंदों को लंच पैकेट मुहैया करा रहा है.

दरअसल, लाॅकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूरों और गरीबोंं को खाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. जिसको देखते हुए जिले के रेलवे रोड निवासी 30 वर्षीय दिव्यांग प्रियांक सक्सेना उर्फ चिंटू जरूरतमंदों को लंच पैकेट मुहैया कराने का फैसला किया है. वह दृष्टिबाधित हैं और एक निजी कंपनी की एजेंसी चलाते हैं.

दिव्यांग जो लाॅकडाउन में जरुरतमंदों को बांट रहा खाना


10 वर्ष की उम्र में चली गई थी दोनों आंखों की रोशनी
प्रियांक ने बताया कि 10 वर्ष की उम्र में क्रिकेट खेलते समय उनके दाहिने आंख में गेंद लग गई थी. जिसके बाद कई बार ऑपरेशन कराया लेकिन कोई लाभ नहीं मिला और दोनों आंखों की रोशनी चली गई. उनकी तीन बहनें हैं. जिनकी शादी हो चुकी है.

उन्होंने बताया कि साल 2018 में मां पुष्पा देवी और 2019 में पिता श्याम सक्सेना की मृत्यु होने के बाद वह अकेले रहते हैं. लेकिन दृष्टिबाधित होने के बाद भी कभी हिम्मत नहीं हारी और लाॅकडाउन में रोजाना करीब 300 लंच पैकेट बांटते हैं. इस काम में उनके घर वाले भी मदद कर रहे हैं.

फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में एक नेत्रहीन ने मिशाल पेश किया है. आंखें नहीं होने के बावजूद लाॅकडाउन में दिहाड़ी मजदूरों और जरूरतमंदों को लंच पैकेट मुहैया करा रहा है.

दरअसल, लाॅकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूरों और गरीबोंं को खाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. जिसको देखते हुए जिले के रेलवे रोड निवासी 30 वर्षीय दिव्यांग प्रियांक सक्सेना उर्फ चिंटू जरूरतमंदों को लंच पैकेट मुहैया कराने का फैसला किया है. वह दृष्टिबाधित हैं और एक निजी कंपनी की एजेंसी चलाते हैं.

दिव्यांग जो लाॅकडाउन में जरुरतमंदों को बांट रहा खाना


10 वर्ष की उम्र में चली गई थी दोनों आंखों की रोशनी
प्रियांक ने बताया कि 10 वर्ष की उम्र में क्रिकेट खेलते समय उनके दाहिने आंख में गेंद लग गई थी. जिसके बाद कई बार ऑपरेशन कराया लेकिन कोई लाभ नहीं मिला और दोनों आंखों की रोशनी चली गई. उनकी तीन बहनें हैं. जिनकी शादी हो चुकी है.

उन्होंने बताया कि साल 2018 में मां पुष्पा देवी और 2019 में पिता श्याम सक्सेना की मृत्यु होने के बाद वह अकेले रहते हैं. लेकिन दृष्टिबाधित होने के बाद भी कभी हिम्मत नहीं हारी और लाॅकडाउन में रोजाना करीब 300 लंच पैकेट बांटते हैं. इस काम में उनके घर वाले भी मदद कर रहे हैं.

Last Updated : Apr 11, 2020, 1:01 PM IST
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