फर्रुखाबाद: महाभारत काल में पांडवों ने कई शिवलिंग की स्थापना की थी, जिसके साक्ष्य आज भी मिलते हैं. जिले में स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर (Pandeshwar Nath Temple) के बारे में भी मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना पांडवों (Pandvas) ने अज्ञातवास के दौरान की थी. उस दौरान उनके साथ भगवान श्री कृष्ण भी वहां उपस्थित थे. मान्यता है कि भगवान पांडेश्वर नाथ के दर्शन मात्र से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही भक्तों सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
सावन माह के समय पांडेश्वर नाथ मंदिर (Pandeshwar Nath Temple) में दूर दराज से भक्त यहां अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां पर आते हैं. जानकारों के अनुसार महाभारत में एक चक्र नगरी का जिक्र है. इसके मुताबिक गंगा के तट के पास राजा द्रुपद का किला था. जिसके चारों ओर जंगल ही जंगल थे. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस इलाके में शरण ली थी और माता कुंती के साथ एक पीपल के पेड़ के नीचे रहते थे. जहां उन्होंने एक शिव मंदिर की स्थापना की. जो आज पांडेश्वर नाथ मंदिर पंडा बाघ के नाम से जाना जाता है. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना धौम्य ऋषि ने करवाई थी. यहीं से कुछ दूरी पर कंपिल्य क्षेत्र है जहां द्रौपदी स्वयंवर हुआ था, जिसमें मत्स्य भेदन के आधार पर अर्जुन विजयी हुए और द्रौपदी से उनका विवाह हुआ.
पांडेश्वर नाथ मंदिर : अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने की थी इस शिवलिंग की स्थापना
फर्रुखाबाद जिले में स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन पूजन के लिए दूर दराज से श्रद्धालु यहां आते हैं. मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने की थी. जिसके बाद इसका नाम पांडेश्वरनाथ पड़ा.
फर्रुखाबाद: महाभारत काल में पांडवों ने कई शिवलिंग की स्थापना की थी, जिसके साक्ष्य आज भी मिलते हैं. जिले में स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर (Pandeshwar Nath Temple) के बारे में भी मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना पांडवों (Pandvas) ने अज्ञातवास के दौरान की थी. उस दौरान उनके साथ भगवान श्री कृष्ण भी वहां उपस्थित थे. मान्यता है कि भगवान पांडेश्वर नाथ के दर्शन मात्र से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही भक्तों सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
सावन माह के समय पांडेश्वर नाथ मंदिर (Pandeshwar Nath Temple) में दूर दराज से भक्त यहां अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां पर आते हैं. जानकारों के अनुसार महाभारत में एक चक्र नगरी का जिक्र है. इसके मुताबिक गंगा के तट के पास राजा द्रुपद का किला था. जिसके चारों ओर जंगल ही जंगल थे. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस इलाके में शरण ली थी और माता कुंती के साथ एक पीपल के पेड़ के नीचे रहते थे. जहां उन्होंने एक शिव मंदिर की स्थापना की. जो आज पांडेश्वर नाथ मंदिर पंडा बाघ के नाम से जाना जाता है. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना धौम्य ऋषि ने करवाई थी. यहीं से कुछ दूरी पर कंपिल्य क्षेत्र है जहां द्रौपदी स्वयंवर हुआ था, जिसमें मत्स्य भेदन के आधार पर अर्जुन विजयी हुए और द्रौपदी से उनका विवाह हुआ.