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पांडेश्वर नाथ मंदिर : अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने की थी इस शिवलिंग की स्थापना

फर्रुखाबाद जिले में स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन पूजन के लिए दूर दराज से श्रद्धालु यहां आते हैं. मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने की थी. जिसके बाद इसका नाम पांडेश्वरनाथ पड़ा.

सावन में रुद्राभिषेक का है महत्व
सावन में रुद्राभिषेक का है महत्व
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Published : Aug 10, 2021, 6:49 AM IST

फर्रुखाबाद: महाभारत काल में पांडवों ने कई शिवलिंग की स्थापना की थी, जिसके साक्ष्य आज भी मिलते हैं. जिले में स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर (Pandeshwar Nath Temple) के बारे में भी मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना पांडवों (Pandvas) ने अज्ञातवास के दौरान की थी. उस दौरान उनके साथ भगवान श्री कृष्ण भी वहां उपस्थित थे. मान्यता है कि भगवान पांडेश्वर नाथ के दर्शन मात्र से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही भक्तों सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

सावन माह के समय पांडेश्वर नाथ मंदिर (Pandeshwar Nath Temple) में दूर दराज से भक्त यहां अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां पर आते हैं. जानकारों के अनुसार महाभारत में एक चक्र नगरी का जिक्र है. इसके मुताबिक गंगा के तट के पास राजा द्रुपद का किला था. जिसके चारों ओर जंगल ही जंगल थे. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस इलाके में शरण ली थी और माता कुंती के साथ एक पीपल के पेड़ के नीचे रहते थे. जहां उन्होंने एक शिव मंदिर की स्थापना की. जो आज पांडेश्वर नाथ मंदिर पंडा बाघ के नाम से जाना जाता है. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना धौम्य ऋषि ने करवाई थी. यहीं से कुछ दूरी पर कंपिल्य क्षेत्र है जहां द्रौपदी स्वयंवर हुआ था, जिसमें मत्स्य भेदन के आधार पर अर्जुन विजयी हुए और द्रौपदी से उनका विवाह हुआ.

स्पेशल रिपोर्ट
पांडेश्वर नाथ शिव की आराधना करने से व्यक्ति सभी सुखों को भोगता है. उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा से शिव को एक लोटा जल भी अर्पित करे तो वह प्रसन्न हो जाते हैं. यही वजह है कि शिव के प्रिय महीने में पांडेश्वर नाथ मंदिर में जल अभिषेक, रुद्राभिषेक का भी महत्व है. पुराणों में भी शिव के अभिषेक को बहुत पवित्र महत्व दिया गया है. भगवान शिव को सावन का महीना सबसे प्रिय है. इसलिए इस माह में शिव की पूजा बहुत अहम मानी जाती है और यही वजह है कि सावन में पांडेश्वर नाथ में पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. शिव की कृपा पाने के लिए इस मंदिर में सुबह से ही हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है. इसे भी पढ़ें-यमुना नदी में कम हुआ जल स्तर तो सामने आया फसलों की बर्बादी का मंजरकहते हैं की शिव ने जब विष पिया तो इसके असर को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल प्रवाहित किया था. यही वजह है की सावन में शिव को जल चढ़ाया जाता है. ऐसा माना गया है की सावन माह में ही समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उस विष से पूरा संसार नष्ट हो सकता था. लेकिन, भगवान शिव ने उस इसको अपने कंठ में समाहित किया और सृष्टि की रक्षा की. इस घटना के बाद ही भगवान शिव की का वर्णन नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ भी कहा गया.

फर्रुखाबाद: महाभारत काल में पांडवों ने कई शिवलिंग की स्थापना की थी, जिसके साक्ष्य आज भी मिलते हैं. जिले में स्थित पांडेश्वर नाथ मंदिर (Pandeshwar Nath Temple) के बारे में भी मान्यता है कि यहां स्थापित शिवलिंग की स्थापना पांडवों (Pandvas) ने अज्ञातवास के दौरान की थी. उस दौरान उनके साथ भगवान श्री कृष्ण भी वहां उपस्थित थे. मान्यता है कि भगवान पांडेश्वर नाथ के दर्शन मात्र से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही भक्तों सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

सावन माह के समय पांडेश्वर नाथ मंदिर (Pandeshwar Nath Temple) में दूर दराज से भक्त यहां अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां पर आते हैं. जानकारों के अनुसार महाभारत में एक चक्र नगरी का जिक्र है. इसके मुताबिक गंगा के तट के पास राजा द्रुपद का किला था. जिसके चारों ओर जंगल ही जंगल थे. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस इलाके में शरण ली थी और माता कुंती के साथ एक पीपल के पेड़ के नीचे रहते थे. जहां उन्होंने एक शिव मंदिर की स्थापना की. जो आज पांडेश्वर नाथ मंदिर पंडा बाघ के नाम से जाना जाता है. पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस शिवलिंग की स्थापना धौम्य ऋषि ने करवाई थी. यहीं से कुछ दूरी पर कंपिल्य क्षेत्र है जहां द्रौपदी स्वयंवर हुआ था, जिसमें मत्स्य भेदन के आधार पर अर्जुन विजयी हुए और द्रौपदी से उनका विवाह हुआ.

स्पेशल रिपोर्ट
पांडेश्वर नाथ शिव की आराधना करने से व्यक्ति सभी सुखों को भोगता है. उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है. यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा से शिव को एक लोटा जल भी अर्पित करे तो वह प्रसन्न हो जाते हैं. यही वजह है कि शिव के प्रिय महीने में पांडेश्वर नाथ मंदिर में जल अभिषेक, रुद्राभिषेक का भी महत्व है. पुराणों में भी शिव के अभिषेक को बहुत पवित्र महत्व दिया गया है. भगवान शिव को सावन का महीना सबसे प्रिय है. इसलिए इस माह में शिव की पूजा बहुत अहम मानी जाती है और यही वजह है कि सावन में पांडेश्वर नाथ में पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है. शिव की कृपा पाने के लिए इस मंदिर में सुबह से ही हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है. इसे भी पढ़ें-यमुना नदी में कम हुआ जल स्तर तो सामने आया फसलों की बर्बादी का मंजरकहते हैं की शिव ने जब विष पिया तो इसके असर को कम करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल प्रवाहित किया था. यही वजह है की सावन में शिव को जल चढ़ाया जाता है. ऐसा माना गया है की सावन माह में ही समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उस विष से पूरा संसार नष्ट हो सकता था. लेकिन, भगवान शिव ने उस इसको अपने कंठ में समाहित किया और सृष्टि की रक्षा की. इस घटना के बाद ही भगवान शिव की का वर्णन नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ भी कहा गया.
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