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कोयले वाली प्रेस का उपयोग करने वाले रघुवीर हुए हाईटेक, अब इस खास गैस का कर रहे इस्तेमाल - एलपीजी गैस से इस्त्री

फर्रुखाबाद में अब कोयले वाली प्रेस की जगह एलपीजी गैस से कपड़ों पर इस्त्री की जा रही है. इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है. एक दुकानदार ने बताया कि एसपीजी में 40 प्रतिशत कम लागत आती है. वहीं, कोयले वाली प्रेस से धुंआ ज्यादा निकलता था.

एलपीजी गैस से कर रहे हैं रघुवीर इस्त्री
एलपीजी गैस से कर रहे हैं रघुवीर इस्त्री
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Published : May 10, 2023, 9:54 PM IST

फर्रुखाबाद: जिले में कुछ दिन पूर्व तक कस्बे में इस्त्री की सभी दुकानों पर कोयलाे वाली प्रेस की जाती थी. अब यह दुकानें हाईटेक हो गई हैं. जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर कमालगंज के मुख्य मार्ग पर रघुवीर गैस सिलेंडर से इस्त्री कर रहे हैं. रघुवीर 30 साल से कोयले वाली इस्त्री का प्रयोग करते थे. अब एलपीजी गैस से इस्त्री कर रहे हैं. दुकानदार रघुवीर ने ईटीवी भारत को बताया 40% लागत कम हो गई है. जबकि कोयले से निकलने वाली गैसों का प्रदूषण भी खत्म हो गया है.

एलपीजी गैस से कर रहे हैं रघुवीर इस्त्री
लकड़ी की मेज लगाकर इस्त्री करने वाले रघुवीर का कहना है कि कोयले की प्रेस से धुंआ बहुत निकलता था. बिजली की प्रेस में लागत अधिक आती है. इन सब की तुलना में एलपीजी से प्रेस करने में करीब 40% लागत कम रहती है. कोयले की राख कपड़ों पर गिरने की समस्या भी नहीं रहती है. इससे प्रेस की दुकान हाईटेक लगती है. छोटे एलपीजी सिलेंडर की गैस से उपयोग में आने वाली प्रेस को काम में लाया जा रहा है. बताया कि प्रेस के पीछे की ओर लगे बर्नर से आसानी से तापमान नियंत्रित हो जाता है. जबकि कोयले वाली प्रेस के उपयोग में कपड़े ना होने पर तापमान को आगे के लिए बचाया नहीं जा सकता है.
एलपीजी गैस इस्त्री करते रघुवीर
एलपीजी गैस इस्त्री करते रघुवीर

कोयले वाली प्रेस में कपड़े ना होने पर कोयला प्रेस बेकार हो जाती, जिससे हमें नुकसान होता था. एलपीजी वाली प्रेस में कपड़े ना होने पर उसे बंद कर दिया जाता है और खाली समय में आराम कर लेते हैं. बताया कि कोयले वाली प्रेस में करीब 300 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से आमदनी होती थी. लेकिन, एलपीजी वाली प्रेस से करीब 400 रुपये की रोजाना आमदनी हो जाती है. बताया कि 3 महीने हो गए हैं एलपीजी गैस से कपड़ों में इस्त्री करते हुए. पूरे दिन में करीब आधा किलो गैस खर्च हो जाती है, कोयले के मुकाबले इसमें फायदा है. बताया कि समय भी कम खर्च होता है काम भी ज्यादा हो जाता है .

यह भी पढ़ें: यूपी में तालाब व पोखर से कब्जा हटवाने की कवायद, सरकार ने बनाई ये प्लानिंग

फर्रुखाबाद: जिले में कुछ दिन पूर्व तक कस्बे में इस्त्री की सभी दुकानों पर कोयलाे वाली प्रेस की जाती थी. अब यह दुकानें हाईटेक हो गई हैं. जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर कमालगंज के मुख्य मार्ग पर रघुवीर गैस सिलेंडर से इस्त्री कर रहे हैं. रघुवीर 30 साल से कोयले वाली इस्त्री का प्रयोग करते थे. अब एलपीजी गैस से इस्त्री कर रहे हैं. दुकानदार रघुवीर ने ईटीवी भारत को बताया 40% लागत कम हो गई है. जबकि कोयले से निकलने वाली गैसों का प्रदूषण भी खत्म हो गया है.

एलपीजी गैस से कर रहे हैं रघुवीर इस्त्री
लकड़ी की मेज लगाकर इस्त्री करने वाले रघुवीर का कहना है कि कोयले की प्रेस से धुंआ बहुत निकलता था. बिजली की प्रेस में लागत अधिक आती है. इन सब की तुलना में एलपीजी से प्रेस करने में करीब 40% लागत कम रहती है. कोयले की राख कपड़ों पर गिरने की समस्या भी नहीं रहती है. इससे प्रेस की दुकान हाईटेक लगती है. छोटे एलपीजी सिलेंडर की गैस से उपयोग में आने वाली प्रेस को काम में लाया जा रहा है. बताया कि प्रेस के पीछे की ओर लगे बर्नर से आसानी से तापमान नियंत्रित हो जाता है. जबकि कोयले वाली प्रेस के उपयोग में कपड़े ना होने पर तापमान को आगे के लिए बचाया नहीं जा सकता है.
एलपीजी गैस इस्त्री करते रघुवीर
एलपीजी गैस इस्त्री करते रघुवीर

कोयले वाली प्रेस में कपड़े ना होने पर कोयला प्रेस बेकार हो जाती, जिससे हमें नुकसान होता था. एलपीजी वाली प्रेस में कपड़े ना होने पर उसे बंद कर दिया जाता है और खाली समय में आराम कर लेते हैं. बताया कि कोयले वाली प्रेस में करीब 300 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से आमदनी होती थी. लेकिन, एलपीजी वाली प्रेस से करीब 400 रुपये की रोजाना आमदनी हो जाती है. बताया कि 3 महीने हो गए हैं एलपीजी गैस से कपड़ों में इस्त्री करते हुए. पूरे दिन में करीब आधा किलो गैस खर्च हो जाती है, कोयले के मुकाबले इसमें फायदा है. बताया कि समय भी कम खर्च होता है काम भी ज्यादा हो जाता है .

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