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फर्रुखाबाद स्वास्थ्य केंद्र बना आवारा कुत्तों और शराबियों का अड्डा - स्वास्थ्य केंद्र पर कुत्तों का अड्डा

फर्रुखाबाद के स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं का अंबार है. कोरोना काल के बावजूद सीएचएसी-पीएचसी में डॉक्टर नहीं बैठ रहे हैं. जिस वजह से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सच तो ये है कि यहां स्वास्थ्य केंद्र बीमार है और सेवाएं बदहाल.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Jun 13, 2021, 6:49 PM IST

फर्रुखाबाद: कोरोना काल में जहां अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही थी और लोग तड़प-तड़प कर मर रहे थे, वहीं यूपी के फर्रुखाबाद में लाखों की लागत से बने सीएचएसी और पीएचसी की हालत ही खस्ता है. यहां अव्यवस्था का आलम यह है कि समय से न ही कोई डॉक्टर आते हैं और न ही दवाइयों का वितरण होता है.

सीएचएसी-पीएचसी के अंदर की तस्वीरें अस्पताल प्रशासन की पोल खोलने के लिए काफी है. अस्पतालों में फर्नीचर टूटा पड़ा है. दरवाजों पर ताले लटके हैं. फर्स पर धूल जमी है. महीने में एक बार डॉक्टर एक या दो घंटा बैठकर खानापूर्ति करके चले जाते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

शराब की बोतलें खोल रही प्रशासन की पोल
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम जब गांव पहुंची तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका मिला. यहां महीनों से किसी डॉक्टर ने न ही हाजिरी लगाई और न ही किसी मरीज का उपचार किया गया. अस्पताल परिसर में कुत्तों ने अपना आशियाना बना रखा है.. तो शराब की बोतलें प्रशासन की नाकामी बताने के लिए काफी हैं. महीनों से स्वास्थ्य केंद्र न खुलने से गरीब मरीजों को दवा नहीं मिल पा रही है. वे झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने के लिए मजबूर हैं.

विकासखंड मोहम्मदाबाद क्षेत्र के पिपर गांव स्वास्थ्य केंद्र में ईटीवी भारत की टीम हाल जानने पहुंची तो वहां लाखों की लागत से बना स्वास्थ्य केंद्र बदहाली का शिकार बना हुआ है. यहां डॉक्टरों के रहने और मरीजों के इलाज के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य केन्द्र बनाया गया है. जोकि अब एक कमरे तक सिमट कर रह गया है. यहां किसी भी मरीज को इलाज के लिए भर्ती नहीं किया गया है. डॉक्टरों की अनुपस्थिति के चलते मरीज झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराने के लिए मजबूर है.

सिस्टम की नाकामी
डॉक्टरों के बैठने और मरीज भर्ती करने की जगह पर जानवरों का कब्जा है. कमरों में लोग अपनी बकरियों को बांध रहे हैं और अस्पताल परिसर में बड़ी-बड़ी घास जमी हुई है. इसे बीजेपी सरकार की नाकामी कहे या सिस्टम की लाचारी. जहां गरीब असहाय ग्रामीणों के लिए अस्पतालों का निर्माण तो कराया गया, लेकिन उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पा रही है.

सीएमओ वंदना सिंह का कहना है कि सभी स्वास्थ्य केंद्र खोलने के आदेश दिए गए हैं. इन डॉक्टरों की कहीं और ड्यूटी लगी थी. अब इन्हें रिलीव कर दिया गया है और अब नियमित रूप से सीएचसी स्वास्थ्य केंद्र खुलेंगे.

इसे भी पढ़ें- चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में जिंदगी की जंग हार गए स्वतंत्रता सेनानी

फर्रुखाबाद: कोरोना काल में जहां अस्पतालों में जगह नहीं मिल रही थी और लोग तड़प-तड़प कर मर रहे थे, वहीं यूपी के फर्रुखाबाद में लाखों की लागत से बने सीएचएसी और पीएचसी की हालत ही खस्ता है. यहां अव्यवस्था का आलम यह है कि समय से न ही कोई डॉक्टर आते हैं और न ही दवाइयों का वितरण होता है.

सीएचएसी-पीएचसी के अंदर की तस्वीरें अस्पताल प्रशासन की पोल खोलने के लिए काफी है. अस्पतालों में फर्नीचर टूटा पड़ा है. दरवाजों पर ताले लटके हैं. फर्स पर धूल जमी है. महीने में एक बार डॉक्टर एक या दो घंटा बैठकर खानापूर्ति करके चले जाते हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.

शराब की बोतलें खोल रही प्रशासन की पोल
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम जब गांव पहुंची तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ताला लटका मिला. यहां महीनों से किसी डॉक्टर ने न ही हाजिरी लगाई और न ही किसी मरीज का उपचार किया गया. अस्पताल परिसर में कुत्तों ने अपना आशियाना बना रखा है.. तो शराब की बोतलें प्रशासन की नाकामी बताने के लिए काफी हैं. महीनों से स्वास्थ्य केंद्र न खुलने से गरीब मरीजों को दवा नहीं मिल पा रही है. वे झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने के लिए मजबूर हैं.

विकासखंड मोहम्मदाबाद क्षेत्र के पिपर गांव स्वास्थ्य केंद्र में ईटीवी भारत की टीम हाल जानने पहुंची तो वहां लाखों की लागत से बना स्वास्थ्य केंद्र बदहाली का शिकार बना हुआ है. यहां डॉक्टरों के रहने और मरीजों के इलाज के लिए एक बड़ा स्वास्थ्य केन्द्र बनाया गया है. जोकि अब एक कमरे तक सिमट कर रह गया है. यहां किसी भी मरीज को इलाज के लिए भर्ती नहीं किया गया है. डॉक्टरों की अनुपस्थिति के चलते मरीज झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराने के लिए मजबूर है.

सिस्टम की नाकामी
डॉक्टरों के बैठने और मरीज भर्ती करने की जगह पर जानवरों का कब्जा है. कमरों में लोग अपनी बकरियों को बांध रहे हैं और अस्पताल परिसर में बड़ी-बड़ी घास जमी हुई है. इसे बीजेपी सरकार की नाकामी कहे या सिस्टम की लाचारी. जहां गरीब असहाय ग्रामीणों के लिए अस्पतालों का निर्माण तो कराया गया, लेकिन उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पा रही है.

सीएमओ वंदना सिंह का कहना है कि सभी स्वास्थ्य केंद्र खोलने के आदेश दिए गए हैं. इन डॉक्टरों की कहीं और ड्यूटी लगी थी. अब इन्हें रिलीव कर दिया गया है और अब नियमित रूप से सीएचसी स्वास्थ्य केंद्र खुलेंगे.

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