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हत्याकांड में कोर्ट ने दो सगे भाइयों को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में साल 2007 में फायरिंग के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. इसी मामले की सुनवाई करते हुए अपर जिला सत्र न्यायाधीश ने दो लोगों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और 20-20 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है.

आजीवन कारावास
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Published : Jan 7, 2021, 10:36 AM IST

फर्रुखाबाद: जिले में दीवार बनाने के झगड़े में हुई फायरिंग के चलते एक युवक की 2007 में मौत हो गई थी. इस मामले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के दो पुत्रों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. उन पर 20-20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. मुकदमे में आरोपी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देव सिंह की विचारण के दौरान ही मौत हो चुकी.

मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के ईसेपुर गांव के रहने वाले इंद्रेश सिंह ने 27 मार्च 2007 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह, उनके भाई अवधेश, भतीजा सुबोध और भाभी मुन्नी देवी घर की दीवार बनवा रहे थे. इसी बीच गांव के ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देव सिंह अपने पुत्र श्यामपाल सिंह और अनिल के साथ आए और दीवार निर्माण का विरोध कर खिड़की लगवाने से रोका. खिड़की लगाने की ओर ग्राम पंचायत की भूमि होने की बात कहने पर उन लोगों ने गाली-गलौज कर फायरिग शुरू कर दी.

इस फायरिंग में गोली लगने से इंद्रेश के भाई अवधेश की मौके पर ही मौत हो गई. मुकदमे के विवेचक तत्कालीन दारोगा कृष्णगोपाल शर्मा ने पिता-पुत्रों के खिलाफ 22 जून 2007 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था. सुनवाई के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अभिषेक सक्सेना और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला सत्र न्यायाधीश देवेंद्र प्रताप सिंह ने श्यामपाल और अनिल सिंह को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और 20-20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई.

फर्रुखाबाद: जिले में दीवार बनाने के झगड़े में हुई फायरिंग के चलते एक युवक की 2007 में मौत हो गई थी. इस मामले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के दो पुत्रों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. उन पर 20-20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. मुकदमे में आरोपी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देव सिंह की विचारण के दौरान ही मौत हो चुकी.

मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के ईसेपुर गांव के रहने वाले इंद्रेश सिंह ने 27 मार्च 2007 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह, उनके भाई अवधेश, भतीजा सुबोध और भाभी मुन्नी देवी घर की दीवार बनवा रहे थे. इसी बीच गांव के ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देव सिंह अपने पुत्र श्यामपाल सिंह और अनिल के साथ आए और दीवार निर्माण का विरोध कर खिड़की लगवाने से रोका. खिड़की लगाने की ओर ग्राम पंचायत की भूमि होने की बात कहने पर उन लोगों ने गाली-गलौज कर फायरिग शुरू कर दी.

इस फायरिंग में गोली लगने से इंद्रेश के भाई अवधेश की मौके पर ही मौत हो गई. मुकदमे के विवेचक तत्कालीन दारोगा कृष्णगोपाल शर्मा ने पिता-पुत्रों के खिलाफ 22 जून 2007 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था. सुनवाई के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता अभिषेक सक्सेना और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अपर जिला सत्र न्यायाधीश देवेंद्र प्रताप सिंह ने श्यामपाल और अनिल सिंह को दोषी करार देते हुए उम्रकैद और 20-20 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई.

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