फर्रुखाबाद: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने शाहीन बाग मामले पर कहा कि जो कह रहा कि हमें भारत से अजादी चाहिए. उसको जेल भेज दो और जो पिछड़ेपन से आजादी कहे तो उसको प्रेम से गले लगा लो. इसके बाद देख लो कि दो दिन के अंदर शाहीन बाग पर प्रदर्शन खत्म हो जाएगा.
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) के विरोध में शाहीन बाग का प्रदर्शन देशव्यापी मुद्दा बन चुका है. तकरीबन डेढ़ माह से ज्यादा समय से शाहीन बाग में चल रहे विरोध प्रदर्शन पर अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि जो लोग भारत से अजादी मांग रहे हों, उन्हें जेल भेज देना चाहिए, लेकिन अगर कोई पिछड़ेपन से आजादी मांग रहा हो तो उसे गले लगा लेना चाहिए. इसके बाद दो दिन में ही शाहीन बाग में धरना-प्रदर्शन खत्म हो जाएगा.
जैसे पीएम भाषण देते, वैसे शाहीन बाग में बात करें
जब कांग्रेस नेता से पूछा गया कि आखिर इतनी भीड़ से कैसे वार्ता हो सकती है. तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाषण करते हैं, उसी तरह बात भी हो सकती है. अगर भीड़ से बात नहीं हो सकती है तो आखिर किसी के माध्यम से दस लोगों को भेज दो वार्ता करना है इसका संदेश तो भेजा होता. यह भी नहीं किया गया. पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि अनुपम खेर ने समझदारी की बात कही कि जब मैं गंजा हूं, तो अजादी बाल से क्यों मांग रहा हूं और आपको अगर भुखमरी से आजादी चाहिए तो काम करो. इतने लोग धरने पर बैठे हैं तो इससे देश को कुछ नुकसान तो हो रहा होगा. आखिर कुछ प्रतिशत जीडीपी घट रही होगी.
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किसी के बाप ने नहीं कहा, 2014 के बाद के लोगों को मत लेना
नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे पर कहा कि किसी के बाप ने नहीं कहा कि सन 2014 के बाद पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, पारसी एवं ईसाई को मत लेना. बल्कि जब तक आखिरी हिंदू और आखिरी सिख पाकिस्तान न छोड़ दे, तक तक यह लागू हो. जो भी उत्पीड़ित हो उसको लो, लेकिन उससे धर्म मत पूछो.
सीएम केजरीवाल बीजेपी का माॅडल जनता के सामने पेश कर रहे
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के समय दिमाग नहीं लगाया गया. कभी-कभी ऐसा करते और कहते हैं कि उनको जबर्दस्त समर्थन मिला है. वैसा ही माॅडल सीएम अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली की जनता के सामने पेश कर रहे हैं. हम जो कर रहे उसका क्या असर पड़ रहा है. इसका ध्यान रखना पड़ता है. सरकार की कार्रवाई और निर्णय में ऐसा नहीं लगना चाहिए कि लक्ष्य कुछ और ही है. भारत के 50 लाख लोग डिटेंसन सेंटर में रहेंगे और वहीं खत्म हो जाएंगे. भारत की नागरिकता जो दिखा नहीं सकता वो अफगानिस्तान की नागरिकता क्या दिखा पाएगा.