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कांवड लेकर निकले मुस्लिम शिव भक्त ने कहा, 'जब हिंदुस्तान आजाद तो मैं भी आजाद'

सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त पांचाल गंगा घाट से कांवड़ लेकर गोला गोकर्णनाथ के लिए जा रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि सावन में पूजा सिर्फ हिंदू लोग ही करते हैं, लेकिन फर्रुखाबाद के जीशान पिछले तीन साल से पांचाल गंगा घाट से कांवड़ लेकर गोला गोकर्णनाथ जाते रहे हैं.

जीशान अहमद पिछले तीन साल से ले जाते हैं कांवड़.
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Published : Aug 6, 2019, 10:39 PM IST

फर्रुखाबाद: शहर गंगा-जमुनी तहजीब के लिए प्रसिद्ध है. इसी गंगा-जमुनी तहजीब को जीवित रखने के लिए कोतवाली फतेहगढ़ के मोहल्ला भोलेपुर निवासी जीशान अहमद पिछले तीन साल से शिव की भक्ति करते रहे हैं. जीशान धर्म के बंधन को तोड़कर शिव भक्ति के लिए पिछले तीन साल से शहर के पांचाल गंगा घाट से कांवड़ लेकर गोला गोकर्णनाथ के लिए जा रहे हैं.

जीशान ने धर्म-जाति की खांई को पाटते हुए मानवता की नई मशाल पेश की.

जीशान ने कहा सांप्रदायिक सौहार्द के लिए कांवड लाते हैं-

  • जीशान का कहना है कि सावन के पाक माह में वे शिव की पूजा करते हैं.
  • उन्होंने बताया कि सांप्रदायिक सौहार्द के लिए कांवड़ लाते हैं.
  • वह 2016 में पहली बार भोले बाबा की कांवड़ लेकर निकले थे.
  • जीशान इस बार की कांवड़ माता पार्वती के लिए ले जा रहे हैं.

शिव भक्तों ने जीशान का किया स्वागत-

  • लोगों के विरोध करने पर जीशान ने लोगों से कहा कि "जब हिंदुस्तान आजाद है तो जीशान भी आजाद है.
  • जीशान का मानना है कि भारत वर्ष में सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का है.

भोलेनाथ पर जल चढ़ाने से मन को शांति मिलती है और मनोकामना पूर्ण होती है. हालांकि इस्लाम में कांवड़ जायज नहीं है, लेकिन भाईचारे के नाते कांवड़ लेकर निकला हूं.
जीशान, श्रद्धालू

फर्रुखाबाद: शहर गंगा-जमुनी तहजीब के लिए प्रसिद्ध है. इसी गंगा-जमुनी तहजीब को जीवित रखने के लिए कोतवाली फतेहगढ़ के मोहल्ला भोलेपुर निवासी जीशान अहमद पिछले तीन साल से शिव की भक्ति करते रहे हैं. जीशान धर्म के बंधन को तोड़कर शिव भक्ति के लिए पिछले तीन साल से शहर के पांचाल गंगा घाट से कांवड़ लेकर गोला गोकर्णनाथ के लिए जा रहे हैं.

जीशान ने धर्म-जाति की खांई को पाटते हुए मानवता की नई मशाल पेश की.

जीशान ने कहा सांप्रदायिक सौहार्द के लिए कांवड लाते हैं-

  • जीशान का कहना है कि सावन के पाक माह में वे शिव की पूजा करते हैं.
  • उन्होंने बताया कि सांप्रदायिक सौहार्द के लिए कांवड़ लाते हैं.
  • वह 2016 में पहली बार भोले बाबा की कांवड़ लेकर निकले थे.
  • जीशान इस बार की कांवड़ माता पार्वती के लिए ले जा रहे हैं.

शिव भक्तों ने जीशान का किया स्वागत-

  • लोगों के विरोध करने पर जीशान ने लोगों से कहा कि "जब हिंदुस्तान आजाद है तो जीशान भी आजाद है.
  • जीशान का मानना है कि भारत वर्ष में सबसे बड़ा धर्म इंसानियत का है.

भोलेनाथ पर जल चढ़ाने से मन को शांति मिलती है और मनोकामना पूर्ण होती है. हालांकि इस्लाम में कांवड़ जायज नहीं है, लेकिन भाईचारे के नाते कांवड़ लेकर निकला हूं.
जीशान, श्रद्धालू

Intro:एंकर- इन दिनों सावन का माह चल रहा है. हर तरफ श्रद्धालु शिव की भक्ति में लीन हैं. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त पांचाल घाट के गंगा घाट से कांवड लेकर गोला गोखरननाथ के लिए जा रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि सावन में पूजा सिर्फ हिंदू लोग ही करते है. मगर, फर्रुखाबाद के जीशान धर्म के बंधन को तोड़कर शिव भक्ति में इस तरह लीन है कि वह पिछले तीन साल से शहर के पांचाल घाट के गंगा घाट से कांवड लेकर गोला गोखरननाथ के लिए जा रहे है.
Body:वीओ- फर्रुखाबाद शहर गंगा जमुनी तहजीब के लिए प्रसिद्ध है. इसी गंगा जमुनी तहजीब को जीवित रखने के लिए कोतवाली फतेहगढ़ के मोहल्ला भोलेपुर निवासी जीशान अहमद पिछले तीन साल से शिव की भक्ति करते हुए आ रहे है. जीशान का कहना है कि सावन के पाक माह में शिव की पूजा करते है. उन्होंने बताया कि सांप्रदायिक सौहार्द के लिए कांवड लाते हैं. वह 2016 में पहली बार भोले बाबा की कांवड लेकर निकले थे. इस बार की कांवड माता पार्वती के लिए ले जा रहे है. उनके समाज के द्वारा विरोध करने के सवाल पर बताया कि जब हिंदुस्तान आजाद है तो जीशान भी आजाद है. उनका मानना है कि भारत वर्ष में सबसे बड़ा धर्म इंसानियत है.Conclusion:जीशान ने बताया कि भोलेनाथ पर जल चढ़ाने से मन को शांति मिलती है और उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. हालांकि इस्लाम में कांवड जायज नहीं है, लेकिन वह भाईचारे के नारे कांवड लेकर निकले है. उनका शिव भक्तों ने जगह-जगह स्वागत भी किया.
बाइट -जीशान, भक्त


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