इटावाः उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद में कार्तिक पूर्णमा के दिन "पचनद संगम" पर बकरियों का मेला लगता है. इस मेले में विभिन्न नस्लों की बकरियां आती हैं. मेले में इसबार 3 लीटर तक दूध देने वाली बकरियां और 5 लाख रुपये तक के बकरे भी आए. इस मेले में दूर दराज के क्षेत्रों से आए पशुपालकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. बता दें कि एक मुर्रा भैंस की कीमत सामान्यतः एक लाख रुपये है, लेकिन लाखों रुपये का यह बकरा लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बन गया है.
बकरों और बकरियों का वजन
इटावा के चकरनगर क्षेत्र की जमुनापारी बकरियां पूरे देश में मशहूर हैं. यहां बकरी और बकरों की कीमत लाखों रुपये में रहती हैं. इसके अलावा यह चकरनगर क्षेत्र बकरियों के दुग्ध उत्पादन में भी प्रसिद्ध है. इन बकरियों का दूध डेंगू सहित अन्य बीमारियों में प्रयोग किया जाता है. यहां की जमुनापारी बकरी अपने जीवनकाल में 13 से 15 बच्चों को जन्म देती हैं. इस नस्ल के बकरे 70 से 90 किलोग्राम तक के होते हैं, जबकि बकरियां 50 से 60 किलोग्राम वजनदार होती हैं. जमुनापारी बकरी के दूध में मिनरल और सॉल्ट की मात्रा अधिक होती है. यह रोजाना 2 से 3 लीटर दूध देती है. जिसमें कई औषधीय गुण भी होते हैं.
इन गांवों में पाली जाती हैं बकरियां
बता दें कि इटावा के चकरनगर क्षेत्र के सहसों, नदा, मिटहटी, सिरसा, टिटावली, कोला, गढ़ैया, विंडबा कला, सोनेपुरा, प्रतापपुरा, जहारपुरा, सिंडौस, सगरा, नींमडांडा, फूटाताल, नगला पिलुआ, नगला महानंद, नगला चौप, जगतौली, ददरा, ढकरा, वरचौली, बछेड़ी, बंसरी, पहलन, विडौरी गांवों में जमुना पारी बकरियां पाली जाती हैं. इस मेले को पचनद संगम इसलिए बोलते हैं, क्योंकि यहां 5 नदियों का संगम है. इन नदियों में यमुना नदी, चंबल नदी, क्वारी नदी, सिंध नदी और पहूज नदियों एक साथ मिलती हैं.
किसान कमा सकते हैं मुनाफा
हमारे भारत की लगभग 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या खेती और पशुपालन से अपनी आजीविका चलाती है. वहीं, अभी के समय में बकरी पालन का व्यवसाय काफी तेजी से उभर कर सामने आ रहा है. बकरी पालन किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. भारत बकरी पालन में पहले स्थान पर है. विश्व में सबसे अधिक बकरियां भारत में ही पाली जाती हैं. देश में बकरियों के लगभग 37 से अधिक नस्लें पाई जाती हैं. उनमें से एक जमुनापारी नस्ल है, जिसका पालन करके किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. आइए जानते हैं जमुनापारी बकरी की खासियत और इसे पालने से मिलने वाले फायदे.
यहां पाई जाती हैं जमुनापारी बकरियां
भारत में जमुनापारी बकरी का पालन क्षेत्र यमुना नदी के आसपास का क्षेत्र है. इस नस्ल की बकरियां उत्तर प्रदेश के इटावा जिला में मुख्य रूप से पाई जाती हैं. इसके अलावा ये बकरियां पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश तो वहीं यह बकरी पाकिस्तान में भी पाई जाती है. इस नस्ल से किसानों को अच्छा मुनाफा होता है क्योंकि इस नस्ल के बकरी और बकरों का वजन अधिक होता है.
जालौन बॉर्डर पर है बकरियों की भरमार
दरअसल, जालौन बॉर्डर पर लगे बकरियों के मेले में जमुनापारी बकरियों की भरमार देखी गई. यहां मेले में 10 हजार से लेकर 5 लाख रुपये तक कीमत लगती है. इस बार मेले में ठजमुनापारी हंसा बकराठ बाजार में आकर्षण का केंद्र रहा. यह बकरा बिठौली गांव निवासी अशोक सिंह परिहार का था. इस बकरे की कीमत लगभग 5 लाख रुपये थी. इसके अलावा मेले में मानपुरा गांव निवासी नरेंद्र सिंह के ढाई लाख रुयये की कीमत के बकरे की भी छाई रही. मेले में इन बकरों को देखने के लिए पशुपालकों की भीड़ जमा हो गई. इस मेले में बकरियों की जमकर खरीदारी हुई.
हंसा बकरा खाता है चना
बकरी पालक अशोक सिंह परिहार ने बताया कि यह जमुनापारी बकरा उन्होंने खरीदा था. इस बकरे को तोतापरी हंसा प्रजाति बोलते हैं, वह अपने बकरे की कीमत 5 लाख रुपये मांग रहे हैं, जबकि अभी तक उनके बकरे की कीमत साढे चार लाख रुपये लग चुकी है. उन्होंने बताया कि वह इस बकरे को चना खिलाते हैं. यह बकरा 2 साल का हो गया है. वह बकरी पालन 20 साल से कर रहे हैं. इस समय उनके पास 20 बकरा और बकरियां हैं.
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