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राम मंदिर के पुजारी अचार्य सत्येंद्र दास बोले- ज्ञानवापी का निर्णय भी सबूतों के आधार पर होगा - इटावा राम बारात

राम मंदिर के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (Ram Mandir Priest Acharya Satyendra Das) आज इटावा में राम बारात (Ram Baraat in Etawah) में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी सर्वे में सबूत मिले हैं. इन्हीं सबूतों के आधार पर निर्णय होगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 24, 2023, 3:58 PM IST

मीडिया से बात करते राम मंदिर के पुजारी अचार्य सत्येंद्र दास

इटावा: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास मंगलवार को राम बारात में शामिल हुए. इससे पहले उन्होंने मीडिया से रामलला प्राण प्रतिष्ठा की तारीख और ज्ञानवापी विवाद को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम बहुत विशाल होगा. उन्होंने कहा कि जो लोग आएंगे, वह राम के भक्त मानकर आएंगे.

आचार्य सत्येंद्र दास ने मीडिया से बातचीत में बताया कि आंदोलन शुरू करने के दौरान तीन मंदिरों की मांग की गई थी. उन्होंने कहा कि हमारे इष्टदेव भगवान शिव, भगवान राम और भगवान कृष्ण की जो भूमि है, उसको समझौता से वापस कर दें. इससे हम लोग का भाईचारे बना रहेगा.

उन्होंने कहा कि यही सोचकर मांग की गई थी. लेकिन, उन लोगों यह मांग नहीं मानी और फिर मामला कोर्ट में गया. कोर्ट के निर्णय के बाद राम जन्म भूमि पर मंदिर का निर्माण होना शुरू हुआ. कोर्ट में यह साबित हुआ कि मंदिर तोड़कर ही मस्जिद बनी है. इसीलिए मंदिर पक्ष में आदेश पारित किया गया. कहा कि इसी प्रकार ज्ञानवापी में जितने भी सबूत मिले हैं, उनके आधार पर ही निर्णय होगा.

पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि ज्ञानवापी का जो सर्वे हुआ है, उसका उन लोगों ने विरोध किया. लेकिन, सर्वे में जो सबूत मिले हैं. निश्चित है कि मंदिर के पक्ष में सबूत मिले हैं. चाहे वह कथित शिवलिंग मिला हो या स्वास्तिक मिला हो. उन्होंने कहा कि चाहे वह सुप्रीम कोर्ट जाए, चाहे जहां. हर कोर्ट में यही निर्णय होगा कि मंदिर है.

यह भी पढ़ें: Ayodhya Ram Temple: राम मंदिर के लिए विदेशों से भी चंदा भेज सकेंगे श्रद्धालु, गृह मंत्रालय से मिली अनुमति

यह भी पढ़ें: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर अहम बैठक, ट्रस्ट और जिला प्रशासन के अफसरों ने किया मंथन

यह भी पढ़ें: सांसद बृजभूषण सिंह बोले- 1989 से कर रहे रामलला की सेवा, हो सकता है प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में ना बुलाया जाए

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आचार्य सत्येंद्र दास ने मीडिया से बातचीत में बताया कि आंदोलन शुरू करने के दौरान तीन मंदिरों की मांग की गई थी. उन्होंने कहा कि हमारे इष्टदेव भगवान शिव, भगवान राम और भगवान कृष्ण की जो भूमि है, उसको समझौता से वापस कर दें. इससे हम लोग का भाईचारे बना रहेगा.

उन्होंने कहा कि यही सोचकर मांग की गई थी. लेकिन, उन लोगों यह मांग नहीं मानी और फिर मामला कोर्ट में गया. कोर्ट के निर्णय के बाद राम जन्म भूमि पर मंदिर का निर्माण होना शुरू हुआ. कोर्ट में यह साबित हुआ कि मंदिर तोड़कर ही मस्जिद बनी है. इसीलिए मंदिर पक्ष में आदेश पारित किया गया. कहा कि इसी प्रकार ज्ञानवापी में जितने भी सबूत मिले हैं, उनके आधार पर ही निर्णय होगा.

पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि ज्ञानवापी का जो सर्वे हुआ है, उसका उन लोगों ने विरोध किया. लेकिन, सर्वे में जो सबूत मिले हैं. निश्चित है कि मंदिर के पक्ष में सबूत मिले हैं. चाहे वह कथित शिवलिंग मिला हो या स्वास्तिक मिला हो. उन्होंने कहा कि चाहे वह सुप्रीम कोर्ट जाए, चाहे जहां. हर कोर्ट में यही निर्णय होगा कि मंदिर है.

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