इटावा: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में यमुना नदी के किनारे माता का सिद्ध पीठ स्थित है. इस सिद्ध पीठ को माता काली बांह मंदिर के नाम से जाना जाता है. मंदिर के इतिहास को जानने वाले साधक बताते हैं कि जब भगवान शिव माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के अंगों को काटना शुरू कर दिया था. तब इसी स्थान पर माता सती की बायीं भुजा गिरी थी. तब से इस स्थान को सिद्ध पीठ काली बांह मंदिर के नाम से जाना जाता है.
वहीं सिद्ध पीठ काली बांह मंदिर के पुराने साधक बताते हैं कि आज से कई सौ साल पहले, जिस स्थान पर माता की बायीं भुजा गिरी थी, उसी स्थान पर माता के एक साधक को माता की तीन मूर्तियां मिली थीं. जिसके बाद उस साधक ने इन्हें यमुना नदी में प्रवाहित कर दिया था, लेकिन जब वह सुबह फिर उसी स्थान पर आया तो उसे माता की तीनों मूर्तियां वहीं रखी हुई मिलीं. इसके साथ ही मंदिर के पुराने साधक ने यह भी बताया कि सिद्धपीठ काली बांह मंदिर पर सबसे पहले माता की पूजा करने अश्वत्थामा आज भी आते हैं.
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माता काली बांह सिद्ध पीठ मंदिर पर वर्ष भर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन नवरात्रि के दिनों में भक्तगणों की बेशुमार भीड़ रहती है. माता के भक्त कहते हैं कि मां काली बांह की जो भक्त सच्चे दिल से भक्ति करते हैं, मां उनकी हर मुराद अवश्य पूरी करती हैं.