इटावा: जिले में कोरोना संक्रमण की वजह से इस बार शहर में 110 साल से दिसंबर में लगने वाली प्रदर्शनी पर ग्रहण लग गया है. जनवरी में भी प्रदर्शनी लगेगी या नहीं इस बारे में भी अभी कुछ कहा नहीं जा सकता. महीने भर से अधिक समय तक लोगों का मनोरजंन करने वाली इस प्रदर्शनी की तैयारियां दिवाली से पहले शुरू हो जाती थीं. दिवाली की दौज से पशु मेला से शुरुआत होती थी. दो सप्ताह बाद रंगारंग प्रदर्शनी का शुभारंभ होता था. इसके साथ ही पंडाल में दिन और रात में अनेकों विधाओं के कार्यक्रमों का आयोजन होता था. इसमें कई अखिल भारतीय स्तर के कार्यक्रमों के अलावा स्टेडियम में जनपद स्तरीय खेल, अखिल भारतीय कुश्ती, एस्ट्रोटर्फ स्टेडियम में राष्ट्रीय हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था. वहीं इस दौरान हस्तनिर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगती थी. खेल तमाशे वाले भी बड़ी संख्या में आते थे.
प्रदर्शनी में बनते हैं 7 प्रवेश द्वार
शहर में एक ही स्थान पर 1910 से लगने वाली प्रदर्शनी और पशु मेला में कुल 7 प्रवेश द्वार हैं. इनके जरिए शहर की हर दिशाओं से लोग प्रदर्शनी के अंदर आ सकते हैं. इनमें विष्णु द्वार सेठ विशुन दास ने, मध्य द्वार ग्राम हरदोई के तिवारी ज्वाला प्रसाद ने और कार्यालय द्वार लखना की महारानी लक्ष्मीबाई ने बनवाया था. जबकि विनोद बाजार का द्वार ग्राम बिरारी के सेठ श्याम बिहारी भटेले ने बनवाया था. इनके अलावा बुद्धा पार्क के पास गणेश शंकर विद्यार्थी द्वार, स्टेडियम के पास सदभावना द्वार, संत द्वार और हाथी पार्क के पास द्वार बने हैं.
फौव्वारा है शान, चौक में लगती हैं दुकानें
प्रदर्शनी की शान फौव्वारा है, जो मुख्य चौक के बीच स्थित है. करीब 70 साल पहले बनाए गए सीमेंटेंड हाथी सूंड़ से कमल के फूल पर विराजमान लक्ष्मी जी पर पानी की फुहार छोड़ते हैं. मुख्य चौक में नेता जी सुभाष चंद्र बोस, चंद्र शेखर आजाद, महात्मा गांधी, बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमाएं हैं. सोफ्टी चौक, माधव चौक, इंद्रा चौक, पूर्वी चौक, मुख्य चौक और विनोद बाजार में सभी की जरूरतों के अलावा खाने-पीने और गर्म कपड़ों, कंबलों की दुकानें लगती हैं.
पंडाल में करीब 10 हजार लोगोंं के बैठने की क्षमता
हर विधा के मंचीय कार्यक्रम पंडाल में होते हैं. कवि सम्मेलन की शुरुआत 1922 से हुई थी. अब यह पूरी तरह से कवर्ड है. किसी भी कार्यक्रम पर मौसम का कोई असर नहीं पड़ता.
अंग्रेजों के समय की है विकास प्रदर्शनी
मुख्य चौक में लगने वाली विकास प्रदर्शनी 1936 से लगती आ रही है. पहले टिनशेड था, लेकिन अब पक्का हो गया है. यहां हस्त निर्मित वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई जाती है. समापन में प्रदर्शनी समिति के अध्यक्ष एवं जिलाधिकारी प्रमाण पत्र देकर कलाकारों का सम्मान करते हैं. प्रदर्शनी में तीन वीआईपी शौचालय हैं. इसके अलावा पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग स्नान घर हैं.
तत्कालीन डीएम के नाम पर बना है विनोद बाजार
बताया जाता है कि यहां का।विनोद बाजार तत्कालीन जिलाधिकारी के नाम पर रखा गया है. किसी समय में यहां कमला और भारत सर्कस जैसे बड़े सर्कस के अलावा एशियन सर्कस भी दर्शकों का मनोरंजन कर चुके हैं.
सीसीटीवी से होती है निगरानी
प्रदर्शनी में आने वाले दर्शकों की सुरक्षा के लिए अस्थाई कोतवाली बनाई जाती है और पुलिस लगाई जाती हैं. बावजूद इसके सीसीटीवी से हर आने-जाने पर निगाह रखीं जाती है.
दिसंबर में नहीं लगेगी प्रदर्शनी
प्रदर्शनी समिति के जनरल सेक्रेटरी और एसडीएम सदर सिद्धार्थ ने बताया कि कोरोना की वजह से 14 सदस्यीय कमेटी ने सितम्बर में ही दिसंबर में प्रदर्शनी न लगाने का निर्णय लिया था. जनवरी में प्रदर्शनी लगेगी या नहीं यह भी फिलहाल कहा नहीं जा सकता.