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एटा: गौ-संरक्षण केंद्र बना गोवंशों के लिए नर्क, मृत पड़े हैं गोवंश - cow died in cowshed

उत्तर प्रदेश के एटा स्थित वाहिद बीबीपुर इलाके में बने गौ-संरक्षण केंद्र में चारों तरफ अव्यवस्था फैली हुई है. इस गौ संरक्षण केंद्र के अंदर और बाहर गोवंशों के शव सड़ रहे हैं. वहीं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एसपी सिंह ने अव्यवस्थाओं के लिए सेक्रेटरी और प्रधान को जिम्मेदार ठहराया है.

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गो-संरक्षण केंद्र में मरी मिली दो गाएं.
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Published : Aug 3, 2020, 10:52 AM IST

एटा: जिले के विकासखंड सकीट स्थित वाहिद बीबीपुर इलाके में बने गौ-संरक्षण केंद्र में चारों तरफ अव्यवस्था फैली हुई है. यह गौ-संरक्षण केंद्र गोवंश के लिए एक प्रकार से यातना गृह साबित हो रहा है. गो संरक्षण केंद्र के अंदर और बाहर गोवंशों के शव सड़ रहे हैं. हालत यह है कि गौशाला के अंदर बनी नाद के पास ही गोवंश की हड्डियां पड़ी हुई हैं.

गो-संरक्षण केंद्र में मरी मिली दो गाएं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां गोवंशों के लिए फिक्रमन्द हैं, वहीं जिले के अधिकारी और प्रधान उनकी मंशा पर पानी फेर रहे हैं. कोरोना कॉल के इस दौर में तो हालत और भी खराब हो गए हैं. वाहिद बीबीपुर इलाके में बने गौ संरक्षण केंद्र में कुछ गोवंशों के मरने तथा अव्यवस्थाओं की खबरें आ रही थी. गौ-संरक्षण केंद्र में मृत गोवंशों के शव खुले में पड़े होने से स्थानीय निवासियों को भी समस्या हो रही थी, लेकिन डर की वजह से वो कुछ बोल नहीं पाते थे. जानकारी होने पर पशुपालन विभाग के चिकित्सक निरीक्षण के लिए गो संरक्षण केंद्र पर पहुंचे. इन चिकित्सकों ने यहां पर फैली अव्यवस्था का जिम्मेदार सेक्रेटरी और प्रधान को बताया.
क्या कहते हैं पशु चिकित्सक
इस गोौ संरक्षण केंद्र में 200 से अधिक गोवंश हैं. मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एसपी सिंह बताते हैं कि जब कोई गोवंश मर जाता है तो उसको मिट्टी के अंदर दफना दिया जाता है. बीते दो-तीन दिनों में करीब दो गाय मरी थी, उनको नहीं दफनाया जा सका है. उन्होंने बताया कि प्रधान और सेक्रेटरी उनकी बात नहीं सुनते. वहीं पशु चिकित्सक डॉ. प्रवेंद्र बताते हैं कि गायों का शव तो मिट्टी में दबा दिया गया था, लेकिन बारिश होने के चलते वह बाहर निकल आया है. आगे से ऐसा नहीं होगा.
चिकित्सक की बात खड़े करते सवाल
पशु चिकित्सक के मुताबिक, गोवंश के मरने पर उन्हें 6 से 7 फीट गड्ढा खोद कर दफनाया जाता है, लेकिन बारिश के समय में वह शव बाहर निकल आते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि 6 फीट मिट्टी में दबे शव अपने आप कैसे बाहर निकल आते हैं. दूसरी ओर बारिश का मौसम और मृत पशुओं के खुले में सड़ते शव से स्थानीय लोग खासा परेशान हैं. एक तरफ स्थानीय लोग बदबू से परेशान हैं, तो वहीं बीमारी फैलने की आशंका भी जता रहे हैं.

एटा: जिले के विकासखंड सकीट स्थित वाहिद बीबीपुर इलाके में बने गौ-संरक्षण केंद्र में चारों तरफ अव्यवस्था फैली हुई है. यह गौ-संरक्षण केंद्र गोवंश के लिए एक प्रकार से यातना गृह साबित हो रहा है. गो संरक्षण केंद्र के अंदर और बाहर गोवंशों के शव सड़ रहे हैं. हालत यह है कि गौशाला के अंदर बनी नाद के पास ही गोवंश की हड्डियां पड़ी हुई हैं.

गो-संरक्षण केंद्र में मरी मिली दो गाएं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जहां गोवंशों के लिए फिक्रमन्द हैं, वहीं जिले के अधिकारी और प्रधान उनकी मंशा पर पानी फेर रहे हैं. कोरोना कॉल के इस दौर में तो हालत और भी खराब हो गए हैं. वाहिद बीबीपुर इलाके में बने गौ संरक्षण केंद्र में कुछ गोवंशों के मरने तथा अव्यवस्थाओं की खबरें आ रही थी. गौ-संरक्षण केंद्र में मृत गोवंशों के शव खुले में पड़े होने से स्थानीय निवासियों को भी समस्या हो रही थी, लेकिन डर की वजह से वो कुछ बोल नहीं पाते थे. जानकारी होने पर पशुपालन विभाग के चिकित्सक निरीक्षण के लिए गो संरक्षण केंद्र पर पहुंचे. इन चिकित्सकों ने यहां पर फैली अव्यवस्था का जिम्मेदार सेक्रेटरी और प्रधान को बताया.
क्या कहते हैं पशु चिकित्सक
इस गोौ संरक्षण केंद्र में 200 से अधिक गोवंश हैं. मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एसपी सिंह बताते हैं कि जब कोई गोवंश मर जाता है तो उसको मिट्टी के अंदर दफना दिया जाता है. बीते दो-तीन दिनों में करीब दो गाय मरी थी, उनको नहीं दफनाया जा सका है. उन्होंने बताया कि प्रधान और सेक्रेटरी उनकी बात नहीं सुनते. वहीं पशु चिकित्सक डॉ. प्रवेंद्र बताते हैं कि गायों का शव तो मिट्टी में दबा दिया गया था, लेकिन बारिश होने के चलते वह बाहर निकल आया है. आगे से ऐसा नहीं होगा.
चिकित्सक की बात खड़े करते सवाल
पशु चिकित्सक के मुताबिक, गोवंश के मरने पर उन्हें 6 से 7 फीट गड्ढा खोद कर दफनाया जाता है, लेकिन बारिश के समय में वह शव बाहर निकल आते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि 6 फीट मिट्टी में दबे शव अपने आप कैसे बाहर निकल आते हैं. दूसरी ओर बारिश का मौसम और मृत पशुओं के खुले में सड़ते शव से स्थानीय लोग खासा परेशान हैं. एक तरफ स्थानीय लोग बदबू से परेशान हैं, तो वहीं बीमारी फैलने की आशंका भी जता रहे हैं.
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