एटा: हमारे प्राचीन धार्मिक ग्रंथ ज्ञान के भंडार हैं. उनके अर्थों को समझने की आवश्यकता है. इन ग्रंथों के आधार पर पहले भी गणित तथा अन्य विषयों पर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं. एटा में पेशे से अधिवक्ता नारायण भास्कर ने लॉकडाउन के दौरान दुर्गा सप्तशती के एक मंत्र को आधार बनाकर एक प्राकृतिक सैनिटाइजर और आयुर्वेदिक औषधि बनाई है. उनका कहना है कि इसके द्वारा कोरोना महामारी से बचा जा सकता.
मंत्र का अर्थ निकालने में ली नालंदा शब्दकोश की मदद
नारायण भास्कर के मुताबिक दुर्गा सप्तशती में दिए महामारी विनाशक मंत्र 'जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते' का आयुर्वेदिक अर्थ निकालने में नालंदा शब्दकोश की मदद ली गई. मंत्र का अर्थ निकालने के बाद कई आयुर्वेदिक चिकित्सकों से सलाह लेकर मंत्र में दी गई वनस्पतियों के नाम के हिसाब से वनस्पतियों को इकट्ठा किया. इसके बाद उसमें नीम के पत्ते, यूकेलिप्टस के पत्ते तथा बेल के पत्ते मिलाकर कूटने-पीसने का काम वैद्य आशुतोष शास्त्री के निगरानी में किया गया.
बनाया प्राकृतिक सैनिटाइजर
अधिवक्ता नारायण भास्कर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने हिंदी के शब्दकोष के माध्यम से दुर्गा सप्तशती के मंत्र का अर्थ निकाला. वह अर्थ आयुर्वेदिक वनस्पति के नाम निकले हैं. इन वनस्पतियों को वैद्य की निगरानी में तैयार करके उसकी औषधि बनाकर उसका सेवन किया. इसके साथ ही उन वनस्पतियों के माध्यम से प्राकृतिक सैनिटाइजर भी बनाया.
जानकारी भारत सरकार को की ई-मेल
अधिवक्ता नारायण भास्कर ने बताया कि उन्होंने भारत सरकार को दुर्गा सप्तशती में दिए मंत्र के अर्थ समेत वनस्पतियों की जानकारी ई-मेल की है. ई-मेल के माध्यम से अधिवक्ता नारायण भास्कर ने भारत सरकार से गुजारिश की है कि जिन वनस्पतियों का महामारी विनाशक मंत्र में वर्णन है, उन पर विशेषज्ञों द्वारा शोध कराकर आयुर्वेदिक दवा का निर्माण किया जा सकता है. जो कोरोना वायरस जैसी महामारी में उपयोगी साबित हो सकती है. कोरोना महामारी के इस दौर में हर कोई बीमारी के पुख्ता इलाज के बारे में टकटकी लगाए बैठा हुआ है. ऐसे में लोगों को आयुर्वेद से काफी उम्मीदें हैं.