एटा: अपने अनोखे प्रोजेक्ट के चलते भारत के राष्ट्रपति ने 8वीं क्लास की छात्रा वंदना को हाल ही में सम्मानित किया है. वंदना को अपने आविष्कार के चलते फिलिपींस जाने का मौका मिला है. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली वंदना 18 नवंबर को फिलीपींस जाएगी, लेकिन इसके लिए इस छात्रा को पासपोर्ट की जरूरत है. जिसके लिए उसे चक्कर काटना पड़ रहा है.
दरअसल विकासखंड सकीट के गांव महुआ खेड़ा निवासी किसान इंद्रभान की बेटी वंदना गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में कक्षा आठ की छात्रा हैं. वंदना अक्सर गांव के लोगों को नींबू, बेर तथा करौंदा तोड़ते हुए देखती थी. जब लोग इन फलों को तोड़ते थे तो अक्सर उनके हाथ में कांटे चुभ जाते थे. इतना ही नहीं फल भी जमीन पर गिरकर खराब हो जाता था. जिसे देखकर वंदना के मन में ख्याल आया कि कुछ ऐसा बनाया जाए, जिससे फल तोड़ते समय कांटे भी न लगे और फल भी सुरक्षित रहे.
जिला स्तर पर वंदना ने फहराया परचम
वंदना ने अपने आसपास की छोटी-छोटी चीजों को जोड़कर देसी मशीन बना ली. इस मशीन के माध्यम से फल भी टूटकर पाइप के जरिए नीचे बने थैले में आ जाते हैं. फल तोड़ने वालों के हाथ में कांटा भी नहीं चुभता. छात्रा वंदना की इस प्रतिभा को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पूरन सिंह ने देखा और उन्होंने वंदना के इस प्रोजेक्ट को जिला स्तर पर इंस्पायर अवार्ड के लिए भेज दिया. जिला स्तर पर वंदना के इस प्रोजेक्ट को प्रथम स्थान मिला.
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राष्ट्रपति ने किया वंदना को सम्मानित
वंदना की उपलब्धि प्रदेश स्तर पर उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर पहुंची. नेशनल इंस्पायर अवार्ड के लिए छात्रा वंदना का यह प्रोजेक्ट भेजा गया, जिसके बाद देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वंदना को सम्मानित किया. गरीब किसान की बेटी वंदना को अपने प्रोजेक्ट के लिए अब फिलीपींस जाने का मौका मिला है, लेकिन इसके लिए वंदना को पासपोर्ट की जरूरत है. उसके बाद ही वह फिलीपींस जा सकेगी.
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पासपोर्ट के लिए काट रहे चक्कर
वंदना के पिता इंद्रभान सिंह बताते हैं कि बेटी का पासपोर्ट बनवाने के लिए वह बरेली गए थे, लेकिन पूरी जानकारी न होने के चलते उन्हें एक बार फिर वापस लौटना पड़ा. उन्होंने बताया कि वंदना के पासपोर्ट के लिए उनकी मां की जरूरत थी. जो मौके पर साथ नहीं थी. इस वजह से अब एक बार फिर बरेली जाना पड़ेगा. बता दें जनपद एटा से करीब 150 किलोमीटर दूर बरेली जनपद में पासपोर्ट बनता है.