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एटा: किसान की बिटिया जाएगी फिलिपींस, पासपोर्ट बनवाने में हो रही परेशानी

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में इंस्पायर योजना का नेशनल अवार्ड पाने वाली कक्षा 8वीं की छात्रा वंदना को पासपोर्ट के लिए चक्कर काटने पड़े. दरअसल वंदना को 18 नवंबर को अपने आविष्कार के चलते फिलिपिंस जाने का मौका मिला है.

पासपोर्ट के लिए काटने पड़ रहे चक्कर.
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Published : Nov 13, 2019, 10:10 AM IST

Updated : Nov 13, 2019, 5:09 PM IST

एटा: अपने अनोखे प्रोजेक्ट के चलते भारत के राष्ट्रपति ने 8वीं क्लास की छात्रा वंदना को हाल ही में सम्मानित किया है. वंदना को अपने आविष्कार के चलते फिलिपींस जाने का मौका मिला है. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली वंदना 18 नवंबर को फिलीपींस जाएगी, लेकिन इसके लिए इस छात्रा को पासपोर्ट की जरूरत है. जिसके लिए उसे चक्कर काटना पड़ रहा है.

पासपोर्ट के लिए काटने पड़ रहे चक्कर.

दरअसल विकासखंड सकीट के गांव महुआ खेड़ा निवासी किसान इंद्रभान की बेटी वंदना गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में कक्षा आठ की छात्रा हैं. वंदना अक्सर गांव के लोगों को नींबू, बेर तथा करौंदा तोड़ते हुए देखती थी. जब लोग इन फलों को तोड़ते थे तो अक्सर उनके हाथ में कांटे चुभ जाते थे. इतना ही नहीं फल भी जमीन पर गिरकर खराब हो जाता था. जिसे देखकर वंदना के मन में ख्याल आया कि कुछ ऐसा बनाया जाए, जिससे फल तोड़ते समय कांटे भी न लगे और फल भी सुरक्षित रहे.

जिला स्तर पर वंदना ने फहराया परचम
वंदना ने अपने आसपास की छोटी-छोटी चीजों को जोड़कर देसी मशीन बना ली. इस मशीन के माध्यम से फल भी टूटकर पाइप के जरिए नीचे बने थैले में आ जाते हैं. फल तोड़ने वालों के हाथ में कांटा भी नहीं चुभता. छात्रा वंदना की इस प्रतिभा को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पूरन सिंह ने देखा और उन्होंने वंदना के इस प्रोजेक्ट को जिला स्तर पर इंस्पायर अवार्ड के लिए भेज दिया. जिला स्तर पर वंदना के इस प्रोजेक्ट को प्रथम स्थान मिला.

ये भी पढ़ें- लखनऊ: सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले 99 गिरफ्तार, 13,016 पोस्ट पर हुई कार्रवाई

राष्ट्रपति ने किया वंदना को सम्मानित
वंदना की उपलब्धि प्रदेश स्तर पर उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर पहुंची. नेशनल इंस्पायर अवार्ड के लिए छात्रा वंदना का यह प्रोजेक्ट भेजा गया, जिसके बाद देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वंदना को सम्मानित किया. गरीब किसान की बेटी वंदना को अपने प्रोजेक्ट के लिए अब फिलीपींस जाने का मौका मिला है, लेकिन इसके लिए वंदना को पासपोर्ट की जरूरत है. उसके बाद ही वह फिलीपींस जा सकेगी.

ये भी पढ़ें- वाराणसी के तुलसी घाट पर दिखा कश्मीर के लाल चौक का नजारा

पासपोर्ट के लिए काट रहे चक्कर
वंदना के पिता इंद्रभान सिंह बताते हैं कि बेटी का पासपोर्ट बनवाने के लिए वह बरेली गए थे, लेकिन पूरी जानकारी न होने के चलते उन्हें एक बार फिर वापस लौटना पड़ा. उन्होंने बताया कि वंदना के पासपोर्ट के लिए उनकी मां की जरूरत थी. जो मौके पर साथ नहीं थी. इस वजह से अब एक बार फिर बरेली जाना पड़ेगा. बता दें जनपद एटा से करीब 150 किलोमीटर दूर बरेली जनपद में पासपोर्ट बनता है.

एटा: अपने अनोखे प्रोजेक्ट के चलते भारत के राष्ट्रपति ने 8वीं क्लास की छात्रा वंदना को हाल ही में सम्मानित किया है. वंदना को अपने आविष्कार के चलते फिलिपींस जाने का मौका मिला है. सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली वंदना 18 नवंबर को फिलीपींस जाएगी, लेकिन इसके लिए इस छात्रा को पासपोर्ट की जरूरत है. जिसके लिए उसे चक्कर काटना पड़ रहा है.

पासपोर्ट के लिए काटने पड़ रहे चक्कर.

दरअसल विकासखंड सकीट के गांव महुआ खेड़ा निवासी किसान इंद्रभान की बेटी वंदना गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में कक्षा आठ की छात्रा हैं. वंदना अक्सर गांव के लोगों को नींबू, बेर तथा करौंदा तोड़ते हुए देखती थी. जब लोग इन फलों को तोड़ते थे तो अक्सर उनके हाथ में कांटे चुभ जाते थे. इतना ही नहीं फल भी जमीन पर गिरकर खराब हो जाता था. जिसे देखकर वंदना के मन में ख्याल आया कि कुछ ऐसा बनाया जाए, जिससे फल तोड़ते समय कांटे भी न लगे और फल भी सुरक्षित रहे.

जिला स्तर पर वंदना ने फहराया परचम
वंदना ने अपने आसपास की छोटी-छोटी चीजों को जोड़कर देसी मशीन बना ली. इस मशीन के माध्यम से फल भी टूटकर पाइप के जरिए नीचे बने थैले में आ जाते हैं. फल तोड़ने वालों के हाथ में कांटा भी नहीं चुभता. छात्रा वंदना की इस प्रतिभा को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पूरन सिंह ने देखा और उन्होंने वंदना के इस प्रोजेक्ट को जिला स्तर पर इंस्पायर अवार्ड के लिए भेज दिया. जिला स्तर पर वंदना के इस प्रोजेक्ट को प्रथम स्थान मिला.

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राष्ट्रपति ने किया वंदना को सम्मानित
वंदना की उपलब्धि प्रदेश स्तर पर उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर पहुंची. नेशनल इंस्पायर अवार्ड के लिए छात्रा वंदना का यह प्रोजेक्ट भेजा गया, जिसके बाद देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वंदना को सम्मानित किया. गरीब किसान की बेटी वंदना को अपने प्रोजेक्ट के लिए अब फिलीपींस जाने का मौका मिला है, लेकिन इसके लिए वंदना को पासपोर्ट की जरूरत है. उसके बाद ही वह फिलीपींस जा सकेगी.

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पासपोर्ट के लिए काट रहे चक्कर
वंदना के पिता इंद्रभान सिंह बताते हैं कि बेटी का पासपोर्ट बनवाने के लिए वह बरेली गए थे, लेकिन पूरी जानकारी न होने के चलते उन्हें एक बार फिर वापस लौटना पड़ा. उन्होंने बताया कि वंदना के पासपोर्ट के लिए उनकी मां की जरूरत थी. जो मौके पर साथ नहीं थी. इस वजह से अब एक बार फिर बरेली जाना पड़ेगा. बता दें जनपद एटा से करीब 150 किलोमीटर दूर बरेली जनपद में पासपोर्ट बनता है.

Intro:प्रदेश में लालफीताशाही किस कदर हावी है । इसका एक नमूना उस वक्त देखने को मिला जब इंस्पायर योजना का नेशनल अवार्ड पाने वाली कक्षा 8 की छात्रा वंदना को पासपोर्ट के लिए चक्कर काटने पड़े । अपने अनोखे प्रोजेक्ट के चलते भारत के राष्ट्रपति ने वंदना को हालही में सम्मानित किया है। बता दे वंदना को अपने अविष्कार के चलते फिलिपिंस जाने का मौका मिला है। 18 नवंबर को सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली वंदना फिलीपींस जाएगी। लेकिन इसके लिए इस छात्रा को पासपोर्ट की जरूरत है। जिसके लिए उसे चक्कर काटना पड़ रहा है।


Body:दरअसल विकासखंड सकीट के गांव महुआ खेड़ा निवासी किसान इंद्रभान की बेटी वंदना गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में कक्षा आठ की छात्रा है। वंदना अक्सर गांव के लोगों को नींबू, बेर तथा करौंदा तोड़ते हुए देखती थी। जब लोग इन फलों को तोड़ते थे,तो अक्सर उनके हाथ में कांटे चुभ जाते थे । इतना ही नहीं फल भी जमीन पर गिरकर खराब हो जाता था। जिसे देख कर वंदना के मन में ख्याल आया कि कुछ ऐसा बनाया जाए , जिससे फल तोड़ते समय कांटे भी ना लगे और फल भी सुरक्षित रहे। बस फिर क्या था वंदना ने अपने आसपास की छोटी छोटी चीजों को जोड़कर देसी मशीन बना ली। इस मशीन के माध्यम से फल भी टूटकर पाइप के जरिए नीचे बने थैले में आ जाते हैं और फल तोड़ने वालों के हाथ में कांटा भी नहीं चुभता। छात्रा वंदना की इस प्रतिभा को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पूरन सिंह ने देखा और उन्होंने वंदना के इस प्रोजेक्ट को जिला स्तर पर इंस्पायर अवार्ड के लिए भेज दिया। जिला स्तर पर वंदना के इस प्रोजेक्ट को प्रथम स्थान मिला। इसी के बाद वंदना की उपलब्धि प्रदेश स्तर पर उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर पहुंची। नेशनल इंस्पायर अवार्ड के लिए छात्रा वंदना का यह प्रोजेक्ट भेजा गया । जिसके बाद देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वंदना को सम्मानित किया। गरीब किसान की बेटी वंदना को अपने प्रोजेक्ट के लिए अब फिलीपींस जाने का मौका मिला है। लेकिन इसके लिए वंदना को पहले पासपोर्ट की जरूरत है। उसके बाद ही वह फिलीपींस जा सकेगी।


Conclusion:वंदना के पिता इंद्रभान सिंह बताते हैं कि बेटी वंदना का पासपोर्ट बनवाने के लिए वह बरेली गए थे। लेकिन पूरी जानकारी ना होने के चलते उन्हें एक बार फिर वापस लौटना पड़ा। उन्होंने बताया कि वंदना के पासपोर्ट के लिए उनकी मां की जरूरत थी । जो मौके पर साथ नहीं थी। इस वजह से अब एक बार फिर बरेली जाना पड़ेगा। बता दे जनपद एटा से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर बरेली जनपद में पासपोर्ट बनता है। उचित जानकारी मुहैया ना होने के चलते अक्सर लोगों को पासपोर्ट के लिए चक्कर काटना पड़ता है।
बाइट: इंद्रभान सिंह ( वंदना के पिता)
बाइट: वंदना
Last Updated : Nov 13, 2019, 5:09 PM IST
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