एटा: राजकीय जिला कृषि एवं औद्योगिक विकास प्रदर्शनी 2020 यानी कि एटा महोत्सव के आठवें दिन शनिवार को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस आयोजन में देश के जाने-माने कवि शंभू शिखर ने सीएए और फैज की नज्म 'हम देखेंगे' पर खुलकर बोला.
कवि शंभू शिखर ने सीएए पर कहा कि इस कानून से किसी को कोई नुकसान नहीं है, लेकिन राजनीतिक दल इस मौके को भुनाने में लगे हैं. उन्हें यह समझना चाहिए कि यह मौका भुनाने का समय नहीं, लोगों को समझाने का समय है.
इस कानून से किसी की नागरिकता नहीं जा रही है, जो भी देश में परिवर्तन हो रहे हैं. उससे घर जला कर हम क्या नागरिकता हासिल करेंगे. यदि हमने अपनी बात मनवा भी ली तो हम अपने घरों को जला रहे हैं. इससे तो देश की छवि बहुत खराब होगी.
कवि जो होता है, वह युग दृष्टा होता है. फैज की नज्म जब लिखी गई, उसको बीते 50 साल से ज्यादा का समय हो गया है. फैज अहमद फैज एक कम्युनिस्ट विचारधारा के थे. उसे आज की तारीख में इस्लामिक सोच और हिंदू सोच के बीच एक फर्क हमारे सामने लाता है, क्योंकि हम मूर्तिपूजक हैं और वह मूर्ति को हटाने की बात कह रहे हैं, लेकिन उन्होंने जिन संदर्भ में यह नज्म लिखी थी. वह एक सामान्य सी बात है. इस नज्म को गाने पर वह जेल में भी रहे.
-शंभू शिखर, कवि