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न बिजली ही मयस्सर न पीने का पानी, ऐसी है एटा की कांशीराम आवास की कहानी

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में बनाई गई कांशीराम शहरी आवासीय कॉलोनी सरकारी उपेक्षाओं का दंश झेल रही है. यहां लोगों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिलने से कई परिवार कॉलोनी छोड़कर अलीगंज में किराए पर रहने को विवश हैं.

मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे लोग.
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Published : Sep 22, 2019, 12:22 PM IST

एटा: गरीबों को छत मुहैया कराने के लिए एटा जिले में बनाई गई कांशीराम शहरी आवासीय कॉलोनी अब वीरान होती जा रही है. कॉलोनी में मूलभूत सुविधाएं न होने से यहां के निवासी काफी परेशान हैं. कॉलोनी के लोकार्पण के बाद से अभी तक न तो बिजली मिली है और न ही पेयजल की सुविधा. आलम यह है कि कई परिवार कॉलोनी छोड़कर अलीगंज में किराए पर रहने को विवश हैं.

मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे लोग.
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गरीबों के लिए जनकल्याणकारी योजना के माध्यम से आवास दिए थे. साल 2008 में अलीगंज में 504 आवासों की कॉलोनी बनाई गई थी. सरकारी मंशा थी कि गरीबों को सभी सुख-सुविधाएं मौके पर ही उपलब्ध हों, लेकिन ये परवान न चढ़ सका. कॉलोनी अलीगंज-सरौठ मार्ग पर लगभग तीन किलो मीटर दूर बनाई गई थी. यहां पर सुविधाओं को ध्यान में रखकर बिजली, पानी के लिए ओवरहैड टैंक के अलावा हैण्डपम्प लगाए गए थे. कॉलोनी में जो भी सुविधाएं दी गईं, वही सुविधाएं लोगों के लिए नासूर बन गई.

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लापरवाही का आलम यह है कि कॉलोनी बनने के बाद अभी तक न तो स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है और न ही कभी टीकाकरण किया गया. कॉलोनी में एक ही परिवार के दो बच्चे चेचक की बीमारी से ग्रसित हैं. इतना ही नहीं यहां पर रहने वाले कई बच्चे कुपोषण के शिकार हो गए हैं. इन बच्चों की सुध लेने के लिए कोई भी आंगनबाडी कार्यकत्री नहीं पहुंची है. लोगों ने बताया कि उनको उपचार के लिए तीन किलो मीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जाना पड़ता है.

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शासन द्वारा साल 2008 में कॉलोनी की स्थापना तो की गई, लेकिन सुविधाओं का कोई भी ध्यान नहीं रखा गया. कॉलोनी अलीगंज नगर से तीन से चार किलोमीटर दूर बनाई गई, लेकिन बच्चों की शिक्षा आदि की सुविधा नहीं है. बच्चों को पड़ोस के ग्राम सदेरा स्थित प्राथमिक विद्यालय जाना पडता है. यहां पर न तो रिक्शा मिलता है और न ही कोई आवागमन का साधन. जंगलों के रास्ते बच्चे स्कूल जाते हैं.

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कांशीराम आवासीय कॉलोनी में 504 आवास सरकार द्वारा बनाए गए हैं. यह आवास ज्यादातर लोगों को आवंटित कर दिए गए हैं. उनमें लोग भी रहने लगे थे, लेकिन सुविधाओं के अभाव में सैकड़ों परिवार आवास छोड़ अन्य स्थानों पर रहने लगे हैं. अब कॉलोनी में मात्र 100 से 110 परिवार ही रह रहे हैं.

एटा: गरीबों को छत मुहैया कराने के लिए एटा जिले में बनाई गई कांशीराम शहरी आवासीय कॉलोनी अब वीरान होती जा रही है. कॉलोनी में मूलभूत सुविधाएं न होने से यहां के निवासी काफी परेशान हैं. कॉलोनी के लोकार्पण के बाद से अभी तक न तो बिजली मिली है और न ही पेयजल की सुविधा. आलम यह है कि कई परिवार कॉलोनी छोड़कर अलीगंज में किराए पर रहने को विवश हैं.

मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहे लोग.
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गरीबों के लिए जनकल्याणकारी योजना के माध्यम से आवास दिए थे. साल 2008 में अलीगंज में 504 आवासों की कॉलोनी बनाई गई थी. सरकारी मंशा थी कि गरीबों को सभी सुख-सुविधाएं मौके पर ही उपलब्ध हों, लेकिन ये परवान न चढ़ सका. कॉलोनी अलीगंज-सरौठ मार्ग पर लगभग तीन किलो मीटर दूर बनाई गई थी. यहां पर सुविधाओं को ध्यान में रखकर बिजली, पानी के लिए ओवरहैड टैंक के अलावा हैण्डपम्प लगाए गए थे. कॉलोनी में जो भी सुविधाएं दी गईं, वही सुविधाएं लोगों के लिए नासूर बन गई.

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लापरवाही का आलम यह है कि कॉलोनी बनने के बाद अभी तक न तो स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है और न ही कभी टीकाकरण किया गया. कॉलोनी में एक ही परिवार के दो बच्चे चेचक की बीमारी से ग्रसित हैं. इतना ही नहीं यहां पर रहने वाले कई बच्चे कुपोषण के शिकार हो गए हैं. इन बच्चों की सुध लेने के लिए कोई भी आंगनबाडी कार्यकत्री नहीं पहुंची है. लोगों ने बताया कि उनको उपचार के लिए तीन किलो मीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जाना पड़ता है.

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शासन द्वारा साल 2008 में कॉलोनी की स्थापना तो की गई, लेकिन सुविधाओं का कोई भी ध्यान नहीं रखा गया. कॉलोनी अलीगंज नगर से तीन से चार किलोमीटर दूर बनाई गई, लेकिन बच्चों की शिक्षा आदि की सुविधा नहीं है. बच्चों को पड़ोस के ग्राम सदेरा स्थित प्राथमिक विद्यालय जाना पडता है. यहां पर न तो रिक्शा मिलता है और न ही कोई आवागमन का साधन. जंगलों के रास्ते बच्चे स्कूल जाते हैं.

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कांशीराम आवासीय कॉलोनी में 504 आवास सरकार द्वारा बनाए गए हैं. यह आवास ज्यादातर लोगों को आवंटित कर दिए गए हैं. उनमें लोग भी रहने लगे थे, लेकिन सुविधाओं के अभाव में सैकड़ों परिवार आवास छोड़ अन्य स्थानों पर रहने लगे हैं. अब कॉलोनी में मात्र 100 से 110 परिवार ही रह रहे हैं.

Intro:नारकीय जीवन जीने को विवश हैं कांशीराम कालोनी के बाशिन्दे,बसने के बाद अभी तक नहीं मिली बिजली और न पानी,अधिकारियों और नेताओं की उदासीनता का दंश झेल रहे हैं लोग।
Body:
वीओ-गरीबों को छत मुहैया कराने के लिए बनाई गई कांशीराम शहरी आवासीय कालोनी अब वीरान होती जा रही हैं। कालोनी में मूलभूत सुविधाएं न होने से यहाँ के निवासी काफी परेशान है। कालोनी के लोकार्पण के बाद से अभी तक कालोनी में न तो विद्युत मिली है और न ही पेयजल की सुविधा मिली है। आलम यह है कि कई परिवार कालोनी को छोडकर अलीगंज में किराए पर रहने को विवश हैं। बाशिन्दों को शायद ही कोई सरकारी सुविधा मिल पा रही है।पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गरीबों के लिए जनकल्याणकारी योजना के माध्यम से गरीबों को आवास दिए थे। वर्ष 2008 में अलीगंज में 504 आवासों की कालोनी बनाई गई थी। सरकारी मंशा थी कि गरीबों को सभी सुख-सुविधाएं मौके पर ही उपलब्ध हों यह कालोनी अलीगंज-सरौठ मार्ग पर लगभग तीन किलो मीटर दूर बनाई गई थी। यहां पर सुविधाओं को ध्यान में रखकर बिजली, पानी के लिए ओवरहैड टैंक के अलावा हैण्डपम्प लगाए गए थे।कालोनी में जो भी सुविधाएं दी गई वही सुविधाएं लोगों के लिए नासूर बन गई। पूरी कालोनी में बिजली की लाइन तो पडी है, लेकिन वह सिर्फ दिखावे के लिए वहीं पानी के लिए बनाई गई टंकी सफेद हाथ बनी खडी हुई। लोगों के लिए मात्र सिर्फ छत ही मुहैया हुई है बांकी सुविधाओं के लिए वह तरस रहे है,स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि कालोनी बनने के बाद अभी तक न तो स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है और न ही कोई टीकाकरण किया गया है। कालोनी में एक ही परिवार के दो बच्चे चेचक की बीमारी से ग्रसित है। कालोनी निवासी अजीज की पांच पुत्री वर्षीय गजाला तथा चार वर्षीय पुत्री अजन गंभीर चेचक की बीमारी से ग्रसित हैं। गजाला की हालत यह है कि उसके पूरे शरीर पर फफोके पडे हुए हैं। अजीज का कहना है कि स्वास्थ्य केन्द्र में बच्चों को दिखाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कालोनी में कोई भी चिकित्सक अभी तक नहीं आया,कांशीराम कालोनी की पडताल करने पर देखा गया कि वहां पर रहने वाले कई बच्चे कुपोषित है। इन बच्चों की सुध लेने के लिए कोई भी आंगनबाडी कार्यकत्री नहीं पहुंची है। लोगों ने बताया कि उनको उपचार के लिए तीन किलो मीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जाना पडता है। शासन द्वारा कालोनी की स्थापना तो की गई, लेकिन सुविधाओं का कोई भी ध्यान नहीं रखा गया। कालोनी अलीगंज नगर से तीन से चार किलो मीटर दूर बनाई गई, लेकिन बच्चों की शिक्षा आदि की सुविधा नहीं है। नन्हे-मुन्ने बच्चे पडोस के ग्राम सदेरा स्थित प्राथमिक विद्यालय जाना पडता है। यहां पर न तो रिक्शा मिलता है और न ही कोई आवागमन का साधन,जंगलो के रास्ते बच्चे स्कूल जाते हैं,कांशीराम आवासीय कालोनी में 504 आवास सरकार द्वारा बनाए गए है। यह आवास ज्यादातर लोगों को आवंटित कर दिए गए है और उनमें लोग भी रहने लगे थे। लेकिन सुविधाओं के अभाव में सैकडों परिवार आवास छोड अन्य स्थानों पर रहने लगे है। अब कालोनी में मात्र 100 से 110 परिवार ही रह रहे है।बाशिन्दों के पेयजल के लिए बनाई गई पानी की टंकी सफेद हाथी साबिज हो रही है। इन ओवरहैड टैंक से अभी तक पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो पाई है। लोग हैण्डपम्पों के सहारे जीवन यापन कर रहे है। सबसे अधिक परेशानी उन लोगों को होती है जो दो और तीन मंजिल पर रहते है। यह लोग हैण्डपम्प से पानी भरकर अपने-अपने घरों पर इतनी उंचाई पर ले जाने को विवश है,शकीना का कहना है कि वह लगभग 10 वर्षों से कालोनी में निवास कर रही हैं, लेकिन सबसे अधिक परेशानी बिजली की है। बिजली के कारण गर्मी में बहुत परेशानी होती है। गर्मी और मच्छरों से लोग बीमार पड जाते है। यह समस्या प्रतिवर्ष होती है,ब्रजेश कुमार का कहना है कि कालोनी बसाबट से पूर्व यहां पर बिजली विभाग द्वारा कालोनी में लाइन बिछाई गई थी, लेकिन जब हम लोग आए तब पता चला कि दो टान्सफार्मर चोर चुरा ले गए और दो विभाग के लोग अलीगंज में ले गए। सभी लोग नारकीय जीवन जीने को विवश है,सर्वेश कुमार का कहना है कि कालोनी में राशन डीलर की दुकान न होने के कारण गरीब बाशिन्दे तीन किलो मीटर दूर अलीगंज में राशन डीलर के यहां राशन लेने जाते है। समस्या तब अधिक हो जाती है जब आवागमन का साधन उपलब्ध नहीं होता है। कई बार तो सिर पर रखकर राशन लाना पडता है,मीडिया के हस्तक्षेप के बाद खानापूर्ति के नेताओं और अधिकारियों का कालोनी में आवागमन शुरू हो गया है।

Conclusion:बाइट-अजनरी,वृद्ध महिला,स्थानिय निवासी

बाइट-रीना,स्थानीय निवासी

बाइट-राजेश कुमार,स्थानीय निवासी

बाइट-नंन्हे लाल,स्थानीय निवासी

बाइट-पीएल मौर्य,एसडीएम अलीगंज
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