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कोरोना में अस्पतालों का हाल बेहाल, कोरा दावा कर रही सरकार

यूपी में ऑक्सीजन और इलाज के अभाव में लगातार कोरोना संक्रमितों की मौत हो रही हैं. वहीं हुक्मरान ये दावा करते नहीं थक रहे कि अस्पतालों में न ऑक्सीजन की कमी है और न ही बेड की, लेकिन अस्पतालों की जो तस्वीर बयां कर रही हैं. उससे हकीकत का अंदाजा लगाया जा सकता है. देखिए एक रिपोर्ट...

रियलिटी चेक.
रियलिटी चेक.
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Published : May 7, 2021, 10:57 PM IST

Updated : May 7, 2021, 11:28 PM IST

देवरियाः ऑक्सीजन के लिए मरीज अस्पतालों में गुहार लगा रहे है, लेकिन आलम यह है की सरकारी अस्पतालों में न तो ऑक्सीजन है और न ही इलाज की कोई व्यवस्था. वहीं सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ लगातार कहते नजर आ रहे हैं कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है. जब सूबे के मुखिया के वादों की हकीकत जानने ईटीवी भारत की टीम देवरिया के बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल के इमरजेंसी पहुंची तो नजारा चौकाने वाला था. बेड और ऑक्सीजन के आभव में मरीज दम तोड़ रहे थे. कुछ मरीज जमीन पर लेट कर अपना इलाज करा रहे थे.

रिपोर्ट.

जिला अस्पताल में एक महिला मरीज को बेड न मिलने पर वह बेड के नीचे जमीन पर पड़ी मिली. आलम यह था कि मरीजों को ऑक्सीजन तो लगा था, लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म था. लोग डाक्टरों व कोविड हेल्प डेस्क पर फोन कर अपने मरीज की जिंदगी बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए गुहार लगा रहे हैं. कई मरीज अपनों की गोद में लेट कर अपना इलाज करा रहे थे. अस्पताल का यह दृश्य देख किसी का भी दिल दहल उठेगा.

जमीन पर मरीज.
जमीन पर मरीज.

इसे भी पढ़ें- ऐसी क्या जरूरत पड़ी जो प्रेमी की चौखट पर प्रेमिका अड़ी

तीमारदार राहुल गुप्ता का कहना था कि वह 2:00 बजे से अस्पताल में आए हैं, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं है और न ही कोई डॉक्टर हमारे मरीज को देखा रहा है. 3 घंटे बाद हमारे मरीज की इंट्री की गई है और ऑक्सीजन लगा दिया गया. बेड न मिलने पर मरीज को नीचे जमीन पर लिटा दिया गया है. कोई डॉक्टर या स्टाफ हमारे मरीज को देखने तक नहीं आया है.

जमीन पर मरीज.
जमीन पर मरीज.

रत्नेश कुमार का कहना था कि वह अपनी मां को लेकर अस्पताल लेकर आए थे. अस्पताल में न ही बेड मिला है और न ही इलाज. उनका ऑक्सीजन लेवल कम था. ऑक्सीजन न मिलने की वजह से मां ने दम तोड़ दिया. यहां कोई स्टाफ न होने की वजह से उनकी बॉडी अंदर ही पड़ी हुई है. एंबुलेंस का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यहां कोई एंबुलेंस नहीं दिखाई दे रही.

इसे भी पढ़ें- बंद हुआ मुलाकातों का सिलसिला, कोरोना में ये क्या मिला सिला

जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने कहा कि जिला अस्पताल में 25 बेड का वार्ड क्रियाशील है. 30 बेड का एक कोविड वार्ड क्रियाशील हैं. इसी वार्ड में एक से दो दिनों इसकी क्षमता बढ़ाई जाएगी. बेड और स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ाया जा रहा है.

देवरियाः ऑक्सीजन के लिए मरीज अस्पतालों में गुहार लगा रहे है, लेकिन आलम यह है की सरकारी अस्पतालों में न तो ऑक्सीजन है और न ही इलाज की कोई व्यवस्था. वहीं सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ लगातार कहते नजर आ रहे हैं कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं है. जब सूबे के मुखिया के वादों की हकीकत जानने ईटीवी भारत की टीम देवरिया के बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल के इमरजेंसी पहुंची तो नजारा चौकाने वाला था. बेड और ऑक्सीजन के आभव में मरीज दम तोड़ रहे थे. कुछ मरीज जमीन पर लेट कर अपना इलाज करा रहे थे.

रिपोर्ट.

जिला अस्पताल में एक महिला मरीज को बेड न मिलने पर वह बेड के नीचे जमीन पर पड़ी मिली. आलम यह था कि मरीजों को ऑक्सीजन तो लगा था, लेकिन ऑक्सीजन सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म था. लोग डाक्टरों व कोविड हेल्प डेस्क पर फोन कर अपने मरीज की जिंदगी बचाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए गुहार लगा रहे हैं. कई मरीज अपनों की गोद में लेट कर अपना इलाज करा रहे थे. अस्पताल का यह दृश्य देख किसी का भी दिल दहल उठेगा.

जमीन पर मरीज.
जमीन पर मरीज.

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तीमारदार राहुल गुप्ता का कहना था कि वह 2:00 बजे से अस्पताल में आए हैं, लेकिन कोई डॉक्टर नहीं है और न ही कोई डॉक्टर हमारे मरीज को देखा रहा है. 3 घंटे बाद हमारे मरीज की इंट्री की गई है और ऑक्सीजन लगा दिया गया. बेड न मिलने पर मरीज को नीचे जमीन पर लिटा दिया गया है. कोई डॉक्टर या स्टाफ हमारे मरीज को देखने तक नहीं आया है.

जमीन पर मरीज.
जमीन पर मरीज.

रत्नेश कुमार का कहना था कि वह अपनी मां को लेकर अस्पताल लेकर आए थे. अस्पताल में न ही बेड मिला है और न ही इलाज. उनका ऑक्सीजन लेवल कम था. ऑक्सीजन न मिलने की वजह से मां ने दम तोड़ दिया. यहां कोई स्टाफ न होने की वजह से उनकी बॉडी अंदर ही पड़ी हुई है. एंबुलेंस का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन यहां कोई एंबुलेंस नहीं दिखाई दे रही.

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जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने कहा कि जिला अस्पताल में 25 बेड का वार्ड क्रियाशील है. 30 बेड का एक कोविड वार्ड क्रियाशील हैं. इसी वार्ड में एक से दो दिनों इसकी क्षमता बढ़ाई जाएगी. बेड और स्वास्थ्य सुविधा को बढ़ाया जा रहा है.

Last Updated : May 7, 2021, 11:28 PM IST
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