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देवरिया में शहीद स्मारक नहीं बनवा पाई सरकार, वादों की खुली पोल

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Published : Feb 15, 2020, 5:22 AM IST

उत्तर प्रदेश के देवरिया के लाल विजय कुमार मौर्य 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. शहीद के पैतृक गांव में उनकी 6 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण उनकी पत्नी विजय लक्ष्मी ने किया.

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शहीद की प्रतिमा का पत्नी ने किया अनावरण

देवरिया: पुलवामा में हुए आतंकी हमले में देवरिया के लाल विजय कुमार मौर्य शहीद हो गए थे. शहीद के पैतृक गांव छपिया जयदेव में प्रथम शहादत दिवस पर उनकी छह फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण उनकी पत्नी विजय लक्ष्मी ने किया. शहीद के परिजनों ने अपने खर्चे से गांव में स्मारक का निर्माण कर उसमें शहीद की प्रतिमा स्थापित की है.

शहीद की प्रतिमा का पत्नी ने किया अनावरण
बीए करने के बाद सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे विजय कुमार मौर्यजम्मू के पुलवामा आतंकी हमले में भटनी के छपिया जयदेव के रहने वाले भारत के वीर सपूत विजय मौर्य शहीद हो गये थे. शहीद विजय कुमार मौर्य के पिता रामायन मौर्य किसान हैं. उनकी तीन संतानों में विजय सबसे छोटे पुत्र थे. बड़े भाई हरिओम मौर्य का बीमारी के चलते कुछ दिन पूर्व मौत हो गई थी. मंझले भाई अशोक मौर्य गुजरात में परिवार के साथ रहते हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में बीए की परीक्षा पास करते ही विजय सीआरपीएफ में भर्ती हो गए. पिता घर गृहस्थी संभालते थे तो बेटा देश की सीमाओं की रक्षा करने लगा. पिता के लिए गृहस्थी संभालना मुश्किल होने लगा ऐसे में विजय जरूरत पड़ने पर छुट्टी लेकर गांव आ जाते थे. विजय के ऊपर ही पत्नी विजय लक्ष्मी और दो साल की बेटी आराध्या के साथ ही बूढ़े पिता और विधवा भाभी दुर्गावती की जिम्मेदारी थी. 14 फरवरी 2019 को शहीद हो गया था देवरिया का लाल14 फरवरी 2019 की रात करीब आठ बजे सीआरपीएफ में तैनात विजय कुमार मौर्य के पिता रामायन सिंह मौर्य की मोबाइल की घंटी बजी और फिर परिवार में कोहराम मच गया. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में विजय भी शहीद हो गए थे. पहले ही अपने दूसरे जवान बेटे की बीमारी के कारण मौत से टूट चुके पिता पर इस खबर से दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा. 18 फरवरी 2019 को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहीद के घर पहुंचे तो परिजनों ने शहीद की पत्नी और भाभी को नौकरी, गांव में शहीद स्मारक, शहीद के नाम पर गेट, गांव में चल रहे परिषदीय विद्यालय का नाम शहीद विजय मौर्य करने के साथ ही सड़क और बिजली की मांगे रखीं थीं. प्रशासन द्वारा शहीद विजय मौर्य के घर तक सड़क, बिजली लगा दी गई है. शहीद के नाम से ना तो स्मारक बनाया गया न ही शहीद की प्रतिमा लगाई गयी.

शहीद के परिजनों ने अपने पैसे से बनवाया स्मारक, किया प्रतिमा का अनावरण

जिला प्रशासन ने शहीद विजय मौर्य के परिजनों से वादा किया था कि गांव में शहीद के नाम से पार्क बनाया जायेगा. इसमें शहीद की प्रतिमा भी लगाई जायेगी. साथ ही छपिया जयदेव के प्राथमिक विद्यालय का नाम भी शहीद विजय मौर्य के नाम से रखा जायेगा, लेकिन प्रशासन द्वारा यह कार्य नहीं किया गया. इसके बाद परिजनों ने खुद शहीद विजय मौर्य के नाम से पार्क का निर्माण किया और प्रतिमा लगा के अनावरण किया.

शहीद की पत्नी ने कहा कि बेटी को भी भेजूंगी सेना में
मुझे मेरे पति की शहादत पर गर्व है. जब कोई मुझे विजय मौर्य की पत्नी के रूप में बुलाता है तो गर्व महसूस होता है. बेटी को भी अच्छे से पढ़ा कर सेना में भेजूंगी. शहीद स्मारक का निर्माण गांव में हम लोगों ने कराया है. प्रशासन ने भी गांव में गेट और सड़क बनवाने के अलावा कई काम कराए हैं. गांव का विद्यालय शहीद के नाम पर करने का अनुरोध किया था. अभी तक इस बारे में कोई पहल नहीं होने का दु:ख है.


शहीद के पिता का दर्द, सरकार ने वादा नहीं किया पूरा

शहीद के पिता रामायन मौर्य कहते हैं कि शासन ने भी शहीद की याद में स्मारक बनाने का भरोसा दिया था, लेकिन कोई पहल नहीं हुई. इसके बाद खुद बेटे के नाम से पार्क बनाकर मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया सरकार ने ज्‍यादातर वादे निभाये लेकिन स्‍मारक और बड़े बेटे की विधवा को नौकरी का वादा पूरा नहीं किया.

देवरिया: पुलवामा में हुए आतंकी हमले में देवरिया के लाल विजय कुमार मौर्य शहीद हो गए थे. शहीद के पैतृक गांव छपिया जयदेव में प्रथम शहादत दिवस पर उनकी छह फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण उनकी पत्नी विजय लक्ष्मी ने किया. शहीद के परिजनों ने अपने खर्चे से गांव में स्मारक का निर्माण कर उसमें शहीद की प्रतिमा स्थापित की है.

शहीद की प्रतिमा का पत्नी ने किया अनावरण
बीए करने के बाद सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे विजय कुमार मौर्यजम्मू के पुलवामा आतंकी हमले में भटनी के छपिया जयदेव के रहने वाले भारत के वीर सपूत विजय मौर्य शहीद हो गये थे. शहीद विजय कुमार मौर्य के पिता रामायन मौर्य किसान हैं. उनकी तीन संतानों में विजय सबसे छोटे पुत्र थे. बड़े भाई हरिओम मौर्य का बीमारी के चलते कुछ दिन पूर्व मौत हो गई थी. मंझले भाई अशोक मौर्य गुजरात में परिवार के साथ रहते हैं. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. ऐसे में बीए की परीक्षा पास करते ही विजय सीआरपीएफ में भर्ती हो गए. पिता घर गृहस्थी संभालते थे तो बेटा देश की सीमाओं की रक्षा करने लगा. पिता के लिए गृहस्थी संभालना मुश्किल होने लगा ऐसे में विजय जरूरत पड़ने पर छुट्टी लेकर गांव आ जाते थे. विजय के ऊपर ही पत्नी विजय लक्ष्मी और दो साल की बेटी आराध्या के साथ ही बूढ़े पिता और विधवा भाभी दुर्गावती की जिम्मेदारी थी. 14 फरवरी 2019 को शहीद हो गया था देवरिया का लाल14 फरवरी 2019 की रात करीब आठ बजे सीआरपीएफ में तैनात विजय कुमार मौर्य के पिता रामायन सिंह मौर्य की मोबाइल की घंटी बजी और फिर परिवार में कोहराम मच गया. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में विजय भी शहीद हो गए थे. पहले ही अपने दूसरे जवान बेटे की बीमारी के कारण मौत से टूट चुके पिता पर इस खबर से दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा. 18 फरवरी 2019 को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहीद के घर पहुंचे तो परिजनों ने शहीद की पत्नी और भाभी को नौकरी, गांव में शहीद स्मारक, शहीद के नाम पर गेट, गांव में चल रहे परिषदीय विद्यालय का नाम शहीद विजय मौर्य करने के साथ ही सड़क और बिजली की मांगे रखीं थीं. प्रशासन द्वारा शहीद विजय मौर्य के घर तक सड़क, बिजली लगा दी गई है. शहीद के नाम से ना तो स्मारक बनाया गया न ही शहीद की प्रतिमा लगाई गयी.

शहीद के परिजनों ने अपने पैसे से बनवाया स्मारक, किया प्रतिमा का अनावरण

जिला प्रशासन ने शहीद विजय मौर्य के परिजनों से वादा किया था कि गांव में शहीद के नाम से पार्क बनाया जायेगा. इसमें शहीद की प्रतिमा भी लगाई जायेगी. साथ ही छपिया जयदेव के प्राथमिक विद्यालय का नाम भी शहीद विजय मौर्य के नाम से रखा जायेगा, लेकिन प्रशासन द्वारा यह कार्य नहीं किया गया. इसके बाद परिजनों ने खुद शहीद विजय मौर्य के नाम से पार्क का निर्माण किया और प्रतिमा लगा के अनावरण किया.

शहीद की पत्नी ने कहा कि बेटी को भी भेजूंगी सेना में
मुझे मेरे पति की शहादत पर गर्व है. जब कोई मुझे विजय मौर्य की पत्नी के रूप में बुलाता है तो गर्व महसूस होता है. बेटी को भी अच्छे से पढ़ा कर सेना में भेजूंगी. शहीद स्मारक का निर्माण गांव में हम लोगों ने कराया है. प्रशासन ने भी गांव में गेट और सड़क बनवाने के अलावा कई काम कराए हैं. गांव का विद्यालय शहीद के नाम पर करने का अनुरोध किया था. अभी तक इस बारे में कोई पहल नहीं होने का दु:ख है.


शहीद के पिता का दर्द, सरकार ने वादा नहीं किया पूरा

शहीद के पिता रामायन मौर्य कहते हैं कि शासन ने भी शहीद की याद में स्मारक बनाने का भरोसा दिया था, लेकिन कोई पहल नहीं हुई. इसके बाद खुद बेटे के नाम से पार्क बनाकर मूर्ति स्थापित करने का निर्णय लिया सरकार ने ज्‍यादातर वादे निभाये लेकिन स्‍मारक और बड़े बेटे की विधवा को नौकरी का वादा पूरा नहीं किया.

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