देवरिया : देवरहा बाबा की तपोभूमि देवरिया की धरती पर दो से ढाई सौ साल पुराने पांच वृक्षों को विरासत के रूप में संजोया जाएगा. शासन की पहल पर वन विभाग ने इसकी कवायद शुरू कर दी है. इनमें देवरहा बाबा आश्रम पर मौजूद कल्पवृक्ष का खास महत्व बताया जाता है.
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इतिहास के पन्नों का हिस्सा होंगे ये वृक्ष
शासन के निर्देश पर चिह्नित वृक्षों की सूची वन विभाग ने विभागीय उच्चाधिकारियों सहित राज्य जैव विविधता बोर्ड को भेज दी है. इन पेड़ों को वन विभाग संजोएगा. यह वृक्ष जिले के इतिहास के पन्नों का हिस्सा होंगे. स्थानीय लोगों से संपर्क के बाद वन विभाग ने इन पेड़ों की सूची जैव विविधता बोर्ड को भेजी है. इन पेड़ों की विशेष निगरानी रखी जायेगी.
इन पेड़ों को किया गया चिन्हित
- भागलपुर विकास खंड के मईल के देवरहा बाबा आश्रम परिसर में कल्पवृक्ष है. यह 150 साल से अधिक पुराना है.
- सदर विकास खंड के सिरौली में पुरानी काली मंदिर के समीप स्थित बरगद का पेड़ भी चिह्नित किया गया है. इसकी उम्र करीब दो सौ साल है.
- बरहज के मरवटिया स्थित बरगद का वृक्ष भी इस सूची में शामिल है. इसकी उम्र करीब दो सौ साल बताई जाती है.
- रुद्रपुर के बाबू नारायणपुर बंजारा में देवी माई के स्थान पर स्थित 100 वर्ष से अधिक पुराने पीपल के पेड़ को भी संरक्षित किया जाएगा.
- बनकटा विकासखंड के रामपुर बुजुर्ग में रामकिशन बाबा स्थान पर ढाई सौ वर्ष पुराना बरगद का पेड़ है. करीब सौ मीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैले इस बरगद के पेड़ का मूल तना नहीं है. यह वृक्ष अपने बरोह पर ही टिका है.
कल्प वृक्ष से जो मांगो, मिलता है
देवरहा बाबा आश्रम के महंत श्यामसुंदर दास जी का कहना है कि कल्पवृक्ष का अर्थ पुराणानुसार स्वर्ग का एक वृक्ष है. यह बड़ा दानी वृक्ष माना जाता है. माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर जो भी मनोरथ किया जाए, वह पूर्ण हो जाता है.
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क्या कहते हैं अधिकारी
शासन के निर्देश पर जिले में पांच अलग-अलग स्थानों पर सौ से ढाई सौ साल पुराने वृक्षों को विरासत के रूप में चिन्हित किया गया है. इन वृक्षों को विभाग संरक्षित करेगा.
- डीएन राय, प्रभारी प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी