ETV Bharat / state

चित्रकूट में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रहीं ओएस्टर मशरूम की खेती - ओएस्टर मशरूम की खेती

यूपी के चित्रकूट में स्वयं सहायता समूह द्वारा महिलाओं को प्रशिक्षित कर ओएस्टर मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे जुड़कर महिलाओं को आर्थिक सहायता मिल रही है.

ओएस्टर मशरूम की खेती
ओएस्टर मशरूम की खेती
author img

By

Published : Mar 6, 2021, 9:37 PM IST

चित्रकूट: जिले में निजी संस्था परमार्थ समाज सेवी संस्थान और विकास खण्ड से संचालित स्वयं सहायता समूह द्वारा महिलाओं को प्रशिक्षित कर ओएस्टर मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. घरेलू महिलाओ को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कम पूंजी, कम जगह, कम समय में ज्यादा लाभ कमाने के उद्देश्य से मशरूम की व्यावसायिक खेती करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.

आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
चित्रकूट के विकास खण्ड की ग्रामपंचायत अगराहुडा और डोडा माफी में एनआरएलएम समूह की महिलाएं प्रशिक्षण लेकर ओएस्टर मशरूम की व्यावसायिक खेती करके आत्मनिर्भर बन रही हैं. इस व्यावसायिक खेती से उनका परिवार पौस्टिक भोजन भी कर रहा है, साथ ही उनको घर में रहकर इतना धन मिलता है जिससे, वह रोजमर्रा के खर्च चला सकें और बच्चों की शिक्षा में भी उनकी मदद कर रही हैं.

स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रहीं ओएस्टर मशरूम की खेती

मिल रही आर्थिक सहायता
एनआरएलएम संगठन से जुड़ी महिला लक्ष्मीनिया देवी बताती हैं कि विकास खण्ड मानिकपुर मीटिंग के दौरान हमें मशरूम की खेती करने और उससे होने वाले फायदे का पता चला. ब्लॉक कॉर्डिनेटर शैलेन्द्र ने उन्हें जानकारी के साथ प्रशिक्षण दिया और नि:शुल्क बीज वितरण किया. तब से लगातार वह इसकी खेती की ओर मुड़े और अब इस खेती से धीरे-धीरे आर्थिक सहायता मिल रही है. उनका कहना है कि इसके सेवन से स्वास्थ्य भी पहले से ठीक रहता है.

भोजन श्रंखला में हुआ शामिल
लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष सोफी श्रीवास बताती है कि मात्र 10×10 के कमरे में शुरू हुई इस खेती में 40 दिन बाद से ही अपनी फसल देना चालू कर दिया. इसे परिवार की भोजन श्रंखला में भी शामिल कर लिया गया है. बेहद पौस्टिक ओएस्टर मशरूम को बाजार में बेचने से काफी आमदनी हो जाती है, जिससे घर के खर्च के साथ कुछ हिस्सा बच्चों की पढ़ाई में भी लगा देती हैं.

कम जगह, कम पूंजी में तैयार होती है फसल
इस संबंध में ब्लॉक कॉर्डिनेटर शैलेन्द्र का कहना है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को अक्षरसः पूर्णं करते कुटीर उद्योग की तरह विकसित हो रहे ओएस्टर मशरूम की व्यावसायिक खेती से कई निर्धन घरेलू महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है. कम जगह, कम पूंजी और कम समय मे तैयार की जाने वाली फसल ओएस्टर मशरूम बेहद पौस्टिक और कीमती है. सरलता से उपलब्ध हो जाने वाले इसके बीज और खर्च के नाम पर प्रतिदिन एक समय पानी का छिड़काव मात्र है और इस पूरी खेती में होने वाली आय से मात्र 5 प्रतिशत की लागत आती है.

चित्रकूट: जिले में निजी संस्था परमार्थ समाज सेवी संस्थान और विकास खण्ड से संचालित स्वयं सहायता समूह द्वारा महिलाओं को प्रशिक्षित कर ओएस्टर मशरूम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. यहां ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. घरेलू महिलाओ को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए कम पूंजी, कम जगह, कम समय में ज्यादा लाभ कमाने के उद्देश्य से मशरूम की व्यावसायिक खेती करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है.

आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
चित्रकूट के विकास खण्ड की ग्रामपंचायत अगराहुडा और डोडा माफी में एनआरएलएम समूह की महिलाएं प्रशिक्षण लेकर ओएस्टर मशरूम की व्यावसायिक खेती करके आत्मनिर्भर बन रही हैं. इस व्यावसायिक खेती से उनका परिवार पौस्टिक भोजन भी कर रहा है, साथ ही उनको घर में रहकर इतना धन मिलता है जिससे, वह रोजमर्रा के खर्च चला सकें और बच्चों की शिक्षा में भी उनकी मदद कर रही हैं.

स्वयं सहायता समूह की महिलाएं कर रहीं ओएस्टर मशरूम की खेती

मिल रही आर्थिक सहायता
एनआरएलएम संगठन से जुड़ी महिला लक्ष्मीनिया देवी बताती हैं कि विकास खण्ड मानिकपुर मीटिंग के दौरान हमें मशरूम की खेती करने और उससे होने वाले फायदे का पता चला. ब्लॉक कॉर्डिनेटर शैलेन्द्र ने उन्हें जानकारी के साथ प्रशिक्षण दिया और नि:शुल्क बीज वितरण किया. तब से लगातार वह इसकी खेती की ओर मुड़े और अब इस खेती से धीरे-धीरे आर्थिक सहायता मिल रही है. उनका कहना है कि इसके सेवन से स्वास्थ्य भी पहले से ठीक रहता है.

भोजन श्रंखला में हुआ शामिल
लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष सोफी श्रीवास बताती है कि मात्र 10×10 के कमरे में शुरू हुई इस खेती में 40 दिन बाद से ही अपनी फसल देना चालू कर दिया. इसे परिवार की भोजन श्रंखला में भी शामिल कर लिया गया है. बेहद पौस्टिक ओएस्टर मशरूम को बाजार में बेचने से काफी आमदनी हो जाती है, जिससे घर के खर्च के साथ कुछ हिस्सा बच्चों की पढ़ाई में भी लगा देती हैं.

कम जगह, कम पूंजी में तैयार होती है फसल
इस संबंध में ब्लॉक कॉर्डिनेटर शैलेन्द्र का कहना है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को अक्षरसः पूर्णं करते कुटीर उद्योग की तरह विकसित हो रहे ओएस्टर मशरूम की व्यावसायिक खेती से कई निर्धन घरेलू महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है. कम जगह, कम पूंजी और कम समय मे तैयार की जाने वाली फसल ओएस्टर मशरूम बेहद पौस्टिक और कीमती है. सरलता से उपलब्ध हो जाने वाले इसके बीज और खर्च के नाम पर प्रतिदिन एक समय पानी का छिड़काव मात्र है और इस पूरी खेती में होने वाली आय से मात्र 5 प्रतिशत की लागत आती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.