ETV Bharat / state

चित्रकूट: पर्यावरण से आदिवासी ग्रामीणों को मिलेगा आर्थिक लाभ - चित्रकूट में पर्यावरण पर तीन दिवसीय कार्यशाला

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में वात्सलय सेवा समिती द्वारा तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में ग्रामीणों को पर्यावरण को संभालने एवं पर्यावरण से होने वाले लाभ को बताया गया.

तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.
author img

By

Published : Sep 10, 2019, 8:09 AM IST

चित्रकूट: जिले में आयोजित वात्सल्य सेवा समिति द्वारा वन जीव बिहार में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में पर्यावरण से संबंधित विधि वैज्ञानिक, वन विभाग के अधिकारी और वात्सल्य सेवा समिति के अधिकारी मौजूद रहे.

अधिकारी और कार्यकर्ताओं के द्वारा ग्रामीणों को पर्यावरण को संभालने एवं पर्यावरण से होने वाले लाभ को बताया गया. वहीं यह भी बताया गया कि पर्यावरण बचाकर अपने गांव के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकते हैं.

तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.
पर्यावरण देश के लिए चिंता का विषयपृथ्वी को कम से कम 33 प्रतिशत हरा भरा रहना बहुत जरूरी है. दुर्भाग्यवश हमारा देश घटकर मात्र 20 प्रतिशत हो गया है, यह चिंता का विषय है. वात्सल्य सेवा समिति के डायरेक्टर सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों का विश्वास जीतना होगा. उन्होंने बताया कि डेरी फार्मिंग,मछली पालन, इको टूरिज्म और वनों से मिलने वाले लाभ को संजोना होगा.

समझना होगा जंगल और पर्यावरण महत्व
कार्यशाला में बताया गया कि जंगल के समीप रहने वाले आदिवासी जंगल और पर्यावरण के महत्व को समझ जाएंगे तब वह स्वत: इसकी रक्षा करेंगे. इससे हमारे देश ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर भारत देश का पर्यावरण में नाम होगा.

चित्रकूट: जिले में आयोजित वात्सल्य सेवा समिति द्वारा वन जीव बिहार में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में पर्यावरण से संबंधित विधि वैज्ञानिक, वन विभाग के अधिकारी और वात्सल्य सेवा समिति के अधिकारी मौजूद रहे.

अधिकारी और कार्यकर्ताओं के द्वारा ग्रामीणों को पर्यावरण को संभालने एवं पर्यावरण से होने वाले लाभ को बताया गया. वहीं यह भी बताया गया कि पर्यावरण बचाकर अपने गांव के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकते हैं.

तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.
पर्यावरण देश के लिए चिंता का विषयपृथ्वी को कम से कम 33 प्रतिशत हरा भरा रहना बहुत जरूरी है. दुर्भाग्यवश हमारा देश घटकर मात्र 20 प्रतिशत हो गया है, यह चिंता का विषय है. वात्सल्य सेवा समिति के डायरेक्टर सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों का विश्वास जीतना होगा. उन्होंने बताया कि डेरी फार्मिंग,मछली पालन, इको टूरिज्म और वनों से मिलने वाले लाभ को संजोना होगा.

समझना होगा जंगल और पर्यावरण महत्व
कार्यशाला में बताया गया कि जंगल के समीप रहने वाले आदिवासी जंगल और पर्यावरण के महत्व को समझ जाएंगे तब वह स्वत: इसकी रक्षा करेंगे. इससे हमारे देश ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर भारत देश का पर्यावरण में नाम होगा.

Intro:वात्सल्य सेवा समिति द्वारा चित्रकूट के वन्य जीव विहार में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विश्व भर की पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन में मानव की भूमिका एवं पर्यावरण को शुद्ध रखने के उपायों के साथ ही जंगलों की सीमा में रह रहे आदिवासियों ग्रामीणों को वन संपदा से लाभ व प्रेम और वन संपदा के दोहन के तरीके एवं आर्थिक दृष्टिकोण से वन संपदा से अपना जीवन स्तर सुधारने के तरीकों को इस कार्यशाला में ग्रामीणों को समझाया गया


Body:चित्रकूट में आयोजित वात्सल्य सेवा समिति द्वारा वन जीव बिहार में 3 दिवशीय कार्यशाला का आयोजन किया गया इस कार्यशाला में पर्यावरण से संबंधित विधि वैज्ञानिक , वन विभाग से जुड़े हुए अधिकारियों और वात्सल्य सेवा समिति के अधिकारी व कार्यकर्ता के द्वारा ग्रामीणों को पर्यावरण को संभालने एवं पर्यावरण से होने वाले लाभ को बताया गया वहीं समिति के कार्यकर्ताओं ने बताया कि कैसे हम पर्यावरण बचा के भी अपनी और अपने गांव में अन्य लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकते हैं

विश्व भर को कम से कम एक तिहाई 33 प्रतिशत हरा भरा रहना बहुत जरूरी है पर दुर्भाग्यवश हमारा देश भारत घट कर मात्र 20 प्रतिशत होगया है जिससे यह चिंता का विषय है
वात्सल्य सेवा समिति कोर्स डायरेक्टर सिद्धार्थ सिंह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के निवासियों का विस्वास जीत कर उन्हें पर्यावरण में योगदान देने के लिए समझता है साथ ही जैसे डेरी फार्मिग,मछली पालन,इको टूरिज्म और वनों से मिलने वाले लाभ को जैसे आँवला ,महुआ ,चिरौंजी तेंदूपत्ता,के साथ -साथ जड़ीबूटियों के दोहन कर अपना आर्थिक लाभ भी कर सकते है जिससे ग्रामीणों पर्यावरण के साथ सीधा लाभ पहुचे गा और जंगल के नजदीक रहने वाले ग्रामीण खासकर आदिवासी इसके महत्व को समझ कर पेड़ो को नुकसान न पहुच कर इनकी रक्षा करेंगे और इनकी आय के दूसरा साधन भी मिल जाता है वही मानसिक सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि होगी


Conclusion: वास्तव में अगर जंगल के समीप रहने वाले ज्यादातर आदिवासी जब जंगल और पर्यावरण के महत्व को समझ जाएंगे तब वह स्वता इनकी रक्षा करेंगे और हमारे देश ही नहीं विश्व के पटल में भारत देश का पर्यावरण में अपना ही नाम होगा वहीं पर समिति द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर यह ग्रामीण अपनी आर्थिक मदद स्वयं करेंगे और आर्थिक रूप से मजबूत भी हो सकेंगे
बाइट-मेनका (ग्रामीण)
बाइट-सिद्धार्थ सिंह(कोर्स डाइरेक्टर)
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.