चित्रकूट: जनपद में डाकू बबली से प्रताड़ित लोगों को डोडा गांव को छोड़कर दूसरे गांव बीजहना में विस्थापित होना पड़ा. ईटीवी भारत की टीम ने गुडुवा नाम के युवक से बात की जो बबली के साथ बड़ा हुआ और उसके साथ खेला था. गुडुवा ने बताया कि आखिर क्यों बबली डाकू बना.
गुडुवा का मानना है कि दस्यु सरगना मौत की बाद लोगों ने राहत की सांस ली है. उसका कहना है कि हमारे गांव का विकास होगा और हमे विकास चाहिए. पहले सरकारी अफसर बबली का नाम आगे बताकर कभी भी गांव की ओर रुख नहीं करते थे. गुडुवा ने बताया कि आखिर यह बबली डाकू सरगना का खूंखार डकैत कैसे बना ? उसका कहना है कि बचपन में बबली के अभिभावक की मौत के बाद वह घूमता रहा कभी उसे किसी के यहां से खाना मिल जाता तो खा लेता, कभी उसे भूखे पेट ही सोना पड़ता था.
पहले डाकुओं के लिए छोटे-मोटे काम करता था बबली
गांव के प्राथमिक विद्यालय से शिक्षा लेते समय उस समय के तत्कालीन डाकू गिरोह ददुआ देवकली का फरमान उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमावर्तीय इलाके में चला करता था. ददुआ कभी-कभी डोडा गांव आता जाता था. छोटे कामों के लिए लावारिस घूम रहे बबली को बुलाकर समान मंगा लिया जाता था. धीरे-धीरे बबली इन सामानों को लेकर डाकू गिरोह के लिए जंगल भी पहुंचने लगा, लेकिन पुलिस को बबली पर कभी शक नहीं हुआ. धीरे-धीरे बबली के जरिये डाकुओं का सामान भी सुरक्षित जंगल पहुंचने लगा और बदले में डाकू बबली को थोड़े बहुत पैसे देने लगे.
बबली कैसे बना बबली कोल
2007 में ददुआ के खात्मे के बाद उसका बचा साथी बलखड़िया उर्फ स्वदेश पटेल ने गिरोह की कमान संभाली और बबली धीरे-धीरे उसका काम करने लगा. पुलिस को मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि डाकू बलखड़िया को समान देने का काम बबली करता है. इसके बाद पुलिस बबली को ढूंढती और जगह-जगह दबिश देने लगी. पुलिस के दबाव के कारण उसने अपने पैर जंगल की तरफ मोड़ दिए और फिर बबली ने कभी मुड़कर नहीं देखा. वह गुनाहों की दलदल में और गहरा फंसता गया और बबली बन गया बबली कोल.
बबली कोल की मौत के बाद ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
धीरे-धीरे बलखड़िया का दिल जीत कर पहले समान उठा कर चलने वाला बबली अब कंधों में बंदूक टांग कर गांव-गांव में दिखने लगा. 2016 में बलखड़िया की मौत के बाद गैंग का सरदार दस्सु सम्राट बबली कोल बना और उसका दाहिना हाथ रहा लवली, जो कि उसका दूर का रिश्तेदार था. धीरे-धीरे इनका आतंक यूपी और एमपी में लगातार फैलता रहा. बबली गिरोह थाना मानिकपुर, मारकुंडी, बहिलपुरवा के इलाकों में पहुंचकर रंगदारी, अपहरण, बलात्कार और हत्या जैसे वारदातों को अंजाम देता. ये सब इनके लिए आम बात हो गई थी. बबली कोल की मौत के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है.