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चित्रकूटः मंदाकिनी की निर्मलता के लिए आगे आए संत, नौ दिसंबर को होगी बैठक

यूपी के चित्रकूट में पवित्र मंदाकिनी नदी से करोड़ों हिंदुओं की आस्थाएं जुड़ी हुई हैं, क्योंकि यही भगवान श्रीराम के तपोस्थली का केंद्र था. चित्रकूट में मंदाकिनी नदी अपनी निर्मलता खोती जा रही है, जिसको देख कामतानाथ प्रमुख मंदिर के संत मदन दास ने मंदाकिनी नदी की दुर्दशा से आहत होकर संतों की चौपाल लगाई.

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मंदाकिनी नदी
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Published : Dec 8, 2019, 8:56 AM IST

चित्रकूटः मंदाकिनी गंगा की स्वच्छता का स्थाई समाधान खोजने के लिए संत मदन दास ने नौ दिसंबर को संतों और प्रशासनिक अधिकारियों की वृहद चौपाल का आह्वान किया है. धर्म नगरी चित्रकूट की जीवनदायिनी और करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र पवित्र सलिला मां मन्दाकिनी में महा आरती की शुरुआत कर दी गयी है, परंतु नदी की निर्मलता को लेकर साधुजन काफी चिंतित हैं.

मंदाकिनी की निर्मलता के लिए संत आए आगे, नौ दिसंबर को होगी बैठक.
मन्दाकिनी गंगा के प्रदूषित जल को देखकर संत इसे निर्मल करने की रणनीति बनाने लगे हैं. कामतानाथ प्रमुख मन्दिर के संत मदनदास ने मन्दाकिनी नदी की दुर्दसा से आहत होकर संतों की एक चौपाल लगाई. इसके निदान के लिए स्थाई समाधान खोजे जाने को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ आगामी नौ दिसम्बर को राघव घाट में एक चौपाल बुलाने का निर्णय लिया है. इस बात की जानकारी सन्त मदनदास ने प्रेसवार्ता के दौरान दिया.

पढ़ेंः-चित्रकूट में लगाई गई ग्राम स्वराज योजना की चौपाल, ग्रामीणों को दी गई जानकारी

पुराणों के अनुसार भगवान राम की तपोस्थली से प्रवाहित मन्दाकिनी नदी का उद्गम माता सती अनुसुइया के तप से हुआ था और इसकी पवित्रता, अविलरता ही धर्म नगरी को पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में व्यापक पहचान दिलाती है. आज भी करोड़ो हिंदुओ की आस्था मन्दाकिनी से जुड़ी हुई है और मन्दाकिनी ही चित्रकूट वासियो के लिए जीवनदायिनी है.

कामतानाथ प्रमुख मंदिर के सन्त मदनदास ने कहा कि मंदाकिनी में महा आरती करने से हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है. जब तक मंदाकिनी हैं तभी तक चित्रकूट की पहचान है, इसके असितित्व को बचाने के लिए हमको आगे आना होगा और मन्दाकिनी की चिंता करना होगा.

सन्त मदनदास ने कहा की मन्दाकिनी की इस दुर्दशा के लिए हम सब जिम्मेदार हैं, इसमें चाहे मठ मंदिर हो चाहे समाज सेवी संस्थाएं या आमजनमानस. इसलिए मंदाकिनी को बचाने के लिए नौ दिसम्बर को राघव प्रयाग घाट में एक सम्मिलित पंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सन्त समाज, अधिकारी और आमजनमानस के लोग शामिल होकर मंदाकिनी को बचाने की रणनीति बनाएंगे.

चित्रकूटः मंदाकिनी गंगा की स्वच्छता का स्थाई समाधान खोजने के लिए संत मदन दास ने नौ दिसंबर को संतों और प्रशासनिक अधिकारियों की वृहद चौपाल का आह्वान किया है. धर्म नगरी चित्रकूट की जीवनदायिनी और करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र पवित्र सलिला मां मन्दाकिनी में महा आरती की शुरुआत कर दी गयी है, परंतु नदी की निर्मलता को लेकर साधुजन काफी चिंतित हैं.

मंदाकिनी की निर्मलता के लिए संत आए आगे, नौ दिसंबर को होगी बैठक.
मन्दाकिनी गंगा के प्रदूषित जल को देखकर संत इसे निर्मल करने की रणनीति बनाने लगे हैं. कामतानाथ प्रमुख मन्दिर के संत मदनदास ने मन्दाकिनी नदी की दुर्दसा से आहत होकर संतों की एक चौपाल लगाई. इसके निदान के लिए स्थाई समाधान खोजे जाने को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ आगामी नौ दिसम्बर को राघव घाट में एक चौपाल बुलाने का निर्णय लिया है. इस बात की जानकारी सन्त मदनदास ने प्रेसवार्ता के दौरान दिया.

पढ़ेंः-चित्रकूट में लगाई गई ग्राम स्वराज योजना की चौपाल, ग्रामीणों को दी गई जानकारी

पुराणों के अनुसार भगवान राम की तपोस्थली से प्रवाहित मन्दाकिनी नदी का उद्गम माता सती अनुसुइया के तप से हुआ था और इसकी पवित्रता, अविलरता ही धर्म नगरी को पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में व्यापक पहचान दिलाती है. आज भी करोड़ो हिंदुओ की आस्था मन्दाकिनी से जुड़ी हुई है और मन्दाकिनी ही चित्रकूट वासियो के लिए जीवनदायिनी है.

कामतानाथ प्रमुख मंदिर के सन्त मदनदास ने कहा कि मंदाकिनी में महा आरती करने से हमारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है. जब तक मंदाकिनी हैं तभी तक चित्रकूट की पहचान है, इसके असितित्व को बचाने के लिए हमको आगे आना होगा और मन्दाकिनी की चिंता करना होगा.

सन्त मदनदास ने कहा की मन्दाकिनी की इस दुर्दशा के लिए हम सब जिम्मेदार हैं, इसमें चाहे मठ मंदिर हो चाहे समाज सेवी संस्थाएं या आमजनमानस. इसलिए मंदाकिनी को बचाने के लिए नौ दिसम्बर को राघव प्रयाग घाट में एक सम्मिलित पंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सन्त समाज, अधिकारी और आमजनमानस के लोग शामिल होकर मंदाकिनी को बचाने की रणनीति बनाएंगे.

Intro:जिला चित्रकूट में मंदाकिनी नदी से जुड़ी करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र भगवान श्री राम की तपोस्थली धार्मिक नगरी चित्रकूट में मंदाकिनी नदी अपनी निर्मलता होती जा रही है ।जिसको देख कामतानाथ प्रमुख मंदिर के संत मदन दास ने मंदाकिनी नदी की दुर्दशा से आहत होकर संतो की चौपाल लगाई। मंदाकिनी गंगा की स्वच्छता का स्थाई समाधान खोजने के लिए 9 दिसंबर को संतों और प्रशासनिक अधिकारियों की वृहद चौपाल का आह्वान किया है।Body:

धर्म नगरी चित्रकूट की जीवनदायिनी व करोड़ो हिंदुओ की आस्था का केंद्र पवित्र सलिला मा मन्दाकिनी में महा आरती की शुरुआत कर दी गयी है। किंतु अब मन्दाकिनी गंगा इतनी मैली हो गयी है उसमे अब निर्मलता नही बची है। मन्दाकिनी गंगा के प्रदूषित जल को देखकर संतो ने इसे निर्मल करने की रणनीति बनाने लगे है। कामतानाथ प्रमुख मन्दिर के संत मदनदास ने मन्दाकिनी नदी की दुर्दसा से आहत होकर संतो की एक चौपाल लगाकर इसके निदान के लिए स्थाई समाधान खोजे जाने को लेकर आगामी 9 दिसम्बर को एक राघव घाट में एक चौपाल बुलाने का निर्णय लिया है। इस बात की जानकारी सन्त मदनदास ने एक प्रेसवार्ता के आयोजन के दौरान दिया है।

भगवान राम की तपोस्थली धर्म नगरी से प्रवाहित मन्दाकिनी नदी का उद्गम माता सती अनुसुइया के तप से हुआ था और इसकी पवित्रता , अविलरता ही धर्म नगरी को पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में व्यापक पहचान दिलाती है । आज भी यहां करोड़ो हिंदुओ की आस्था मन्दाकिनी से जुड़ी हुई है और मन्दाकिनी ही चित्रकूट वासियो के लिए जीवनदायिनी है।
कामतानाथ प्रमुख मंदिर के सन्त मदनदास ने कहा कि मंदाकिनी में महा आरती करने से हमारी जिम्मेदारी खत्म नही हो जाती है। जब तक मंदाकिनी है तभी तक चित्रकूट की पहचान है इसके असितित्व को बचाने के लिए हमको आगे आना होगा और मन्दाकिनी की चिंता करना होगा। सन्त मदनदास ने कहा की मन्दाकिनी की इस दुर्दशा के लिए हम सब जिम्मेदार है इसमें चाहे मठ मंदिर हो चाहे समाज सेवी संस्थाएं या आमजनमानस । इसलिए मंदाकिनी को बचाने के लिए 9 दिसम्बर को राघव प्रयाग घाट में एक सम्मिलित पंचायत का आयोजन किया जाएगा जिसमे सन्त समाज, अधिकारी और आमजनमानस के लोग शामिल होकर मंदाकिनी को बचाने की चिंता की जाएगी।

बाइट- संत मदनदास (कामतानाथ प्रमुख मंदिर)

धर्म नगरी चित्रकूट की लाइफलाइन पवित्र मन्दाकिनी गंगा का असितित्व खतरे में है। नदी में घरों, मठ मंदिरों और समाजसेवी संस्थानों का गंदा पानी नदी में सीधे सीधे जाता है जिसके चलते नदी की पवित्रता खत्म होती जा रही है।
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