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बबली ने पूर्व प्रधान के पूरे परिवार का किया था नरसंहार, बच गए थे दो मासूम - चित्रकूट में दुर्गा परिवार का नरसंहार

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के डाकू बबली की मौत हो गई है. लोग बबली के डर से दूसरे गांवों में विस्थापित हो चुके हैं. बबली गिरोह ने 2012 में पूर्व परिचित प्रधान दुर्गा समेत उसके पूरे परिवार को गोली मारी थी. इस गोलीबारी का आंखों-देखा हाल पूरन नाम के ग्रामीण ने ईटीवी भारत से साझा की.

ग्रामीण पूरन की ईटीवी से बातचीत.
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Published : Sep 17, 2019, 8:41 AM IST

चित्रकूट: जनपद के जाने-माने बबली गिरोह ने अपने पूर्व परिचित प्रधान दुर्गा समेत उसके पूरे परिवार का नरसंहार किया था. इस दौरान दो मासूमों को भी गोली लगी जो जिंदगी की जंग अब जीत चुके हैं. मासूमों का परिवार बबली गिरोह के भय के कारण अब दूसरी जगह विस्थापित हो चुका है.

ग्रामीण पूरन की ईटीवी से बातचीत.

दुर्गा परिवार के लिए 8 अगस्त 2012 की काली रात

8 अगस्त 2012 की रात दुर्गा परिवार के लिए काली रात साबित हुई. इस रात बबली कोल ने अपने पूर्व परिचित प्रधान दुर्गा के पूरे परिवार को खत्म करने की सोच ली. रात में मानिकपुर विकास खंड के गांव डोड़ा माफी में बबली अपने साथियों के साथ आया और पानी पीने के बहाने प्रधान के घर को खुलवाया. दरवाजा खोलते ही बबली गिरोह ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इस गोलीबारी में दो मासूमों को भी गोली लगी और बीच-बचाव करने आई दुर्गा की बहू को भी गोली मार दी गई. इस गोलीबारी में पांच लोग मर गए.

नरसंहार में बच गए दो मासूम बच्चे

गोली की आवाज से सहमे ग्रामीणों ने अपने घर में ही रहने में अपनी भलाई समझी. ग्रामीणों की मदद से जिंदा बचे दोनों मासूमों को अस्पताल में दाखिल करवाया गया. स्थिति बिगड़ने पर बच्चों को उच्च चिकित्सा के लिए प्रयागराज भेजा गया. दोनों मासूम बच गए और तब से आज तक डाकुओं से डरे पूरे परिवार ने इस घर में रहने की जहमत नहीं की. आज वह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

नरसंहार का आंखों देखा बयान

पूरन नाम के ग्रामीण को आशा है कि डाकू बबली कोल के खात्मे के बाद गांव की स्थिति अब सुधरेगी. आतंक कम होने से हमारे गांव में भी विकास होगा. लोग खुशहाल हो जाएंगे और वहीं पर हम लोग बेखौफ होकर अपना जीवन यापन कर सकेंगे. गिरोह के चलते हमारा और हमारे पूरे गांव और क्षेत्र का विकास रुक गया था.

चित्रकूट: जनपद के जाने-माने बबली गिरोह ने अपने पूर्व परिचित प्रधान दुर्गा समेत उसके पूरे परिवार का नरसंहार किया था. इस दौरान दो मासूमों को भी गोली लगी जो जिंदगी की जंग अब जीत चुके हैं. मासूमों का परिवार बबली गिरोह के भय के कारण अब दूसरी जगह विस्थापित हो चुका है.

ग्रामीण पूरन की ईटीवी से बातचीत.

दुर्गा परिवार के लिए 8 अगस्त 2012 की काली रात

8 अगस्त 2012 की रात दुर्गा परिवार के लिए काली रात साबित हुई. इस रात बबली कोल ने अपने पूर्व परिचित प्रधान दुर्गा के पूरे परिवार को खत्म करने की सोच ली. रात में मानिकपुर विकास खंड के गांव डोड़ा माफी में बबली अपने साथियों के साथ आया और पानी पीने के बहाने प्रधान के घर को खुलवाया. दरवाजा खोलते ही बबली गिरोह ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इस गोलीबारी में दो मासूमों को भी गोली लगी और बीच-बचाव करने आई दुर्गा की बहू को भी गोली मार दी गई. इस गोलीबारी में पांच लोग मर गए.

नरसंहार में बच गए दो मासूम बच्चे

गोली की आवाज से सहमे ग्रामीणों ने अपने घर में ही रहने में अपनी भलाई समझी. ग्रामीणों की मदद से जिंदा बचे दोनों मासूमों को अस्पताल में दाखिल करवाया गया. स्थिति बिगड़ने पर बच्चों को उच्च चिकित्सा के लिए प्रयागराज भेजा गया. दोनों मासूम बच गए और तब से आज तक डाकुओं से डरे पूरे परिवार ने इस घर में रहने की जहमत नहीं की. आज वह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

नरसंहार का आंखों देखा बयान

पूरन नाम के ग्रामीण को आशा है कि डाकू बबली कोल के खात्मे के बाद गांव की स्थिति अब सुधरेगी. आतंक कम होने से हमारे गांव में भी विकास होगा. लोग खुशहाल हो जाएंगे और वहीं पर हम लोग बेखौफ होकर अपना जीवन यापन कर सकेंगे. गिरोह के चलते हमारा और हमारे पूरे गांव और क्षेत्र का विकास रुक गया था.

Intro:8 अगस्त 2012 को बबली गिरोह ने अपने पूर्व परिचित प्रधान दुर्गा सहित उसके पूरे परिवार का नरसंहार किया था। जिसमें गोलाबारी में दो मासूमों को भी गोली लगी जो जिंदगी की जंग अब जीत चुके हैं। पर भय और डाकू के आतंक से पूरा परिवार अब दूसरी जगह विस्थापित हो चुका है । उनका पुश्तैनी भरा पूरा घर अब धीरे धीरे खंडहर में बदलता जा रहा है ।यह घर गवाह है डाकू बबली डाकू लवलेश के आतंक का।


Body:8 अगस्त 2012 की रात दुर्गा परिवार के लिए काली रात साबित हुई। जब बबली कोल ने अपने पूर्व परिचित प्रधान दुर्गा के पूरे परिवार को खत्म करने की सोच लिया ,और रात में मानिकपुर विकास खंड के गांव डोड़ा माफी में अपने साथियों सहित आ धमका और पानी पीने के बहाने प्रधान के घर को खुलवाया ,और दरवाजे खोलते ही अपने अत्याधुनिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग करने लगा। बबली उसका साथी की आंखों में सवार खून के कारण यह भी ना देख सका कि आखिर ये गोलियां किसी लग रही हैं ।और इस गोलीबारी में दो मासूमों को भी गोली लगी ,वहीं बीच-बचाव करने आई दुर्गा की बहू को भी गोली मार दी गई ।कुल मिलाकर इस घर में चारों तरफ खून ही खून था गोली की आवाज से सहमें ग्रामीणों ने अपने घर में ही रहने में अपनी भलाई समझी ।सुबह जब देखा गया तो रक्त रंजित का शवो से पूरा घर पटा पड़ा था ।ग्रामीणों की मदद से जिंदा बचे दोनों मासूमों को अस्पताल में दाखिल करवाया गया स्थिति बिगड़ने पर बच्चों को उच्च चिकित्सा के लिए प्रयागराज भेजा गया। जहां वह मौत से जंग जीत गए ।तब से आज तक डाकुओ से डरे पूरे परिवार ने इस घर में रहने की जहमत कोई नहीं उठा रहा है। आज भरा पूरा परिवार का घर आज खंडहर में तब्दील होता जा रहा है
वही वृद्ध को आशा है कि इन डाकू बबुली कोल लवलेश के खात्मे के बाद गांव की स्थिति अब सुधरेगी ।आतंक कम होने से हमारे गांव में भी विकास होगा। लोग खुशहाल हो जाएंगे और वहीं पर हम लोग बेखौफ होकर अपना जीवन यापन कर सकेंगे ।क्योंकि कहीं ना कहीं इन दस्यु गिरोहों के चलते हमारा और हमारे पूरे गांव और क्षेत्र का विकास रुक गया था।

बाइट-पूरन(वृद्ध ग्रामीण)


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