चित्रकूट: जनपद के जाने-माने बबली गिरोह ने अपने पूर्व परिचित प्रधान दुर्गा समेत उसके पूरे परिवार का नरसंहार किया था. इस दौरान दो मासूमों को भी गोली लगी जो जिंदगी की जंग अब जीत चुके हैं. मासूमों का परिवार बबली गिरोह के भय के कारण अब दूसरी जगह विस्थापित हो चुका है.
दुर्गा परिवार के लिए 8 अगस्त 2012 की काली रात
8 अगस्त 2012 की रात दुर्गा परिवार के लिए काली रात साबित हुई. इस रात बबली कोल ने अपने पूर्व परिचित प्रधान दुर्गा के पूरे परिवार को खत्म करने की सोच ली. रात में मानिकपुर विकास खंड के गांव डोड़ा माफी में बबली अपने साथियों के साथ आया और पानी पीने के बहाने प्रधान के घर को खुलवाया. दरवाजा खोलते ही बबली गिरोह ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी. इस गोलीबारी में दो मासूमों को भी गोली लगी और बीच-बचाव करने आई दुर्गा की बहू को भी गोली मार दी गई. इस गोलीबारी में पांच लोग मर गए.
नरसंहार में बच गए दो मासूम बच्चे
गोली की आवाज से सहमे ग्रामीणों ने अपने घर में ही रहने में अपनी भलाई समझी. ग्रामीणों की मदद से जिंदा बचे दोनों मासूमों को अस्पताल में दाखिल करवाया गया. स्थिति बिगड़ने पर बच्चों को उच्च चिकित्सा के लिए प्रयागराज भेजा गया. दोनों मासूम बच गए और तब से आज तक डाकुओं से डरे पूरे परिवार ने इस घर में रहने की जहमत नहीं की. आज वह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.
नरसंहार का आंखों देखा बयान
पूरन नाम के ग्रामीण को आशा है कि डाकू बबली कोल के खात्मे के बाद गांव की स्थिति अब सुधरेगी. आतंक कम होने से हमारे गांव में भी विकास होगा. लोग खुशहाल हो जाएंगे और वहीं पर हम लोग बेखौफ होकर अपना जीवन यापन कर सकेंगे. गिरोह के चलते हमारा और हमारे पूरे गांव और क्षेत्र का विकास रुक गया था.