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चित्रकूट: गोवंशों के लिए चारे का अभाव, नहीं मिल रही वित्तीय सहायता - proper facility not available in many cow shed

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में बारिश और ओलावृष्टि के बाद बढ़ी ठंड से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जिला प्रशासन के गोवंश संरक्षण के लिए दिए गए कड़े निर्देश के बाद भी कई गोशालाओं को अभी तक स्थाई रूप नहीं दिया गया है. वित्तीय स्वीकृति न मिलने पर भी ग्राम प्रधान स्वयं गो आश्रय केंद्र संचालित कर रहे हैं.

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वित्तीय सहायता नहीं मिलने से ग्राम प्रधान परेशान.
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Published : Dec 20, 2019, 12:05 PM IST

चित्रकूट: असमय बारिश और ओलावृष्टि के बाद लुढ़के पारे के कारण बढ़ी ठंड से आम आदमी का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं बढ़ी ठंड से गोवंशों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जिला प्रशासन द्वारा गोवंश संरक्षण के लिए कड़े निर्देश दिए जाने के बाद भी कई गोशालाओं को अभी तक स्थाई रूप नहीं मिला है. वहीं ग्राम प्रधानों का कहना है कि ठंड की वजह से गोवंशों की मृत्यु न हो इसके लिए जिला प्रशासन ने आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक गोशालाओं के लिए वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है.

वित्तीय सहायता नहीं मिलने से ग्राम प्रधान परेशान.
  • बारिश और ओलावृष्टि के बाद बढ़ी ठंड से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
  • गोवंश संरक्षण के लिए दिए गए कड़े निर्देश के बाद भी कई गोशालाएं स्थाई नहीं हैं.
  • वित्तीय स्वीकृति न मिलने पर भी ग्राम प्रधान स्वयं गो आश्रय केंद्र को संचालित कर रहे हैं.
  • गो संरक्षण और संवर्धन के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं और गो आश्रय केंद्र भी बनाए गए हैं.
  • गो आश्रय केंद्रों पर अन्ना गोवंशों को रखकर उनके चारा, पानी और भूसा की व्यवस्था की जा रही है.

बारिश और ओलावृष्टि से बढ़ी ठंड
पिछले दिनों बारिश और ओलावृष्टि से बढ़ी ठंड के बाद जिला प्रशासन ने गोवंशों की ठण्ड से मृत्यु न हो इसके लिए आदेश दिए थे. आनन-फानन में सभी ग्राम प्रधानों, ग्राम विकास अधिकारियों से लेकर जिले के विकास कार्यों से जुड़े अधिकारियों को आदेश जारी किए गए, जिसके लिए ग्राम प्रधानों और सचिवों ने अपने स्तर से कार्य करना शुरू भी कर दिया. कई गो आश्रय केंद्रों में स्थाई तो ज्यादातर में अस्थाई रूप से पन्नी और त्रिपाल से छाया गया है.

ग्राम प्रधानों ने स्वयं संचालित किया गो आश्रय केंद्र
ग्राम प्रधानों का कहना है कि स्वयं के उपायों से अभी तक गो आश्रय केंद्र संचालन किया जा रहा है. 400 गोवंशों के बीच एक ट्रैक्टर-ट्राली का पुआल खाने के लिए प्रतिदिन देना पड़ता है, जो कि छह से सात हजार रुपये में आता है, जिसका आज तक कोई भी भुगतान नहीं हुआ. वहीं गो आश्रय केंद्र बनाने के लिए लगी तार फेंसिंग, पिलर गेट और चरही बनाने में साढ़े तीन लाख रुपये खर्च हुए हैं. टीन की चादर हम लोगों ने व्यापारी से उधार लिए हैं.

गो आश्रय केंद्र बनाने में लाखों खर्च
बारिश और ओलावृष्टि से गायों को बचाने के लिए लगभग चार लाख के स्थाई रूप से टीन सेट बनाने का भी आदेश हुआ है, जिसका कार्य प्रगति पर है, लेकिन अभी तक 89 हजार 700 रुपये खर्च किए जा चुके हैं. वित्तीय स्वीकृति के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी के पास 34 फाइलें पड़ी हैं, जिसमें से एक भी फाइल अभी तक फाइनल नहीं हुई है.

वहीं ग्राम प्रधान धनराज का कहना है कि हमे समय से कार्य पूरा करके देना है. सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में हम लोग दुकानदारों से उधार मटेरियल लेकर काम कैसे पूरा कर पाएंगे, जबकि प्रशासन हमें प्रतिदिन नए आदेश पर आदेश देता जा रहा है और वित्तीय सहायता से पीछे भाग रहा है. आखिर कैसे और कब तक इस गो आश्रेय केंद्र को हम लोग इसी तरह संचालित कर पाएंगे.

भूसा और चारे के लिए वो सभी सहायता कर रहे हैं और उन लोगों ने कोई मांग भी नहीं की है. प्रशासन स्तर से भी यही आदेश हैं. जिलाधिकारी का यही कहना है कि किसी भी गोवंश की ठंड से मृत्यु न हो.
-दिनेश कुमार अग्रवाल, खण्ड विकास अधिकारी

चित्रकूट: असमय बारिश और ओलावृष्टि के बाद लुढ़के पारे के कारण बढ़ी ठंड से आम आदमी का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं बढ़ी ठंड से गोवंशों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. जिला प्रशासन द्वारा गोवंश संरक्षण के लिए कड़े निर्देश दिए जाने के बाद भी कई गोशालाओं को अभी तक स्थाई रूप नहीं मिला है. वहीं ग्राम प्रधानों का कहना है कि ठंड की वजह से गोवंशों की मृत्यु न हो इसके लिए जिला प्रशासन ने आदेश दिए हैं, लेकिन अभी तक गोशालाओं के लिए वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है.

वित्तीय सहायता नहीं मिलने से ग्राम प्रधान परेशान.
  • बारिश और ओलावृष्टि के बाद बढ़ी ठंड से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
  • गोवंश संरक्षण के लिए दिए गए कड़े निर्देश के बाद भी कई गोशालाएं स्थाई नहीं हैं.
  • वित्तीय स्वीकृति न मिलने पर भी ग्राम प्रधान स्वयं गो आश्रय केंद्र को संचालित कर रहे हैं.
  • गो संरक्षण और संवर्धन के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं और गो आश्रय केंद्र भी बनाए गए हैं.
  • गो आश्रय केंद्रों पर अन्ना गोवंशों को रखकर उनके चारा, पानी और भूसा की व्यवस्था की जा रही है.

बारिश और ओलावृष्टि से बढ़ी ठंड
पिछले दिनों बारिश और ओलावृष्टि से बढ़ी ठंड के बाद जिला प्रशासन ने गोवंशों की ठण्ड से मृत्यु न हो इसके लिए आदेश दिए थे. आनन-फानन में सभी ग्राम प्रधानों, ग्राम विकास अधिकारियों से लेकर जिले के विकास कार्यों से जुड़े अधिकारियों को आदेश जारी किए गए, जिसके लिए ग्राम प्रधानों और सचिवों ने अपने स्तर से कार्य करना शुरू भी कर दिया. कई गो आश्रय केंद्रों में स्थाई तो ज्यादातर में अस्थाई रूप से पन्नी और त्रिपाल से छाया गया है.

ग्राम प्रधानों ने स्वयं संचालित किया गो आश्रय केंद्र
ग्राम प्रधानों का कहना है कि स्वयं के उपायों से अभी तक गो आश्रय केंद्र संचालन किया जा रहा है. 400 गोवंशों के बीच एक ट्रैक्टर-ट्राली का पुआल खाने के लिए प्रतिदिन देना पड़ता है, जो कि छह से सात हजार रुपये में आता है, जिसका आज तक कोई भी भुगतान नहीं हुआ. वहीं गो आश्रय केंद्र बनाने के लिए लगी तार फेंसिंग, पिलर गेट और चरही बनाने में साढ़े तीन लाख रुपये खर्च हुए हैं. टीन की चादर हम लोगों ने व्यापारी से उधार लिए हैं.

गो आश्रय केंद्र बनाने में लाखों खर्च
बारिश और ओलावृष्टि से गायों को बचाने के लिए लगभग चार लाख के स्थाई रूप से टीन सेट बनाने का भी आदेश हुआ है, जिसका कार्य प्रगति पर है, लेकिन अभी तक 89 हजार 700 रुपये खर्च किए जा चुके हैं. वित्तीय स्वीकृति के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी के पास 34 फाइलें पड़ी हैं, जिसमें से एक भी फाइल अभी तक फाइनल नहीं हुई है.

वहीं ग्राम प्रधान धनराज का कहना है कि हमे समय से कार्य पूरा करके देना है. सरकार की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में हम लोग दुकानदारों से उधार मटेरियल लेकर काम कैसे पूरा कर पाएंगे, जबकि प्रशासन हमें प्रतिदिन नए आदेश पर आदेश देता जा रहा है और वित्तीय सहायता से पीछे भाग रहा है. आखिर कैसे और कब तक इस गो आश्रेय केंद्र को हम लोग इसी तरह संचालित कर पाएंगे.

भूसा और चारे के लिए वो सभी सहायता कर रहे हैं और उन लोगों ने कोई मांग भी नहीं की है. प्रशासन स्तर से भी यही आदेश हैं. जिलाधिकारी का यही कहना है कि किसी भी गोवंश की ठंड से मृत्यु न हो.
-दिनेश कुमार अग्रवाल, खण्ड विकास अधिकारी

Intro:जिला चित्रकूट में असमय बारिश और ओलावृष्टि के बाद लुढके पारे के कारण बढ़ी ठंड ने आम आदमी का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। वहीं बढ़ी ठंड में गोवंश की भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं ।जिला प्रशासन ने गोवंश के संरक्षण के लिए कड़े निर्देश के बाद भी कई गौशालाओं को अभी तक स्थाई रूप नहीं दिया गया है ।वहीं ग्राम प्रधानों का कहना है कि जिला प्रशासन ने गोवंश ठंड में ना मारे इसके आदेश दिए हैं पर आज तक गौशालाओं के लिए किसी भी तरह का वित्तीय स्वीकृति न मिलने से हमे स्वयं के उपायों से गौ आश्रय केंद्र संचालित करना पड़ रहा है।


Body:जनपद चित्रकूट में गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं । जिले में कई गौ आश्रय केंद्र बनाए गए हैं ।जिनमें अन्ना गोवंश को रखकर उनकी चारा, भूसा ,पानी की व्यवस्था की जाती रही है।
जनपद में पिछले दिनों हुई असमय बारिश और ओलावृष्टि के बाद जागे जिला प्रशासन ने आनन-फानन में सभी ग्राम प्रधानों ग्राम विकास अधिकारियों से लेकर जिले के विकास कार्यों से जुड़े अधिकारियों को यह आदेश दिया है कि ठंड में किसी भी स्थिति में गौवंश की ठण्ड से मृत्यु ना हो जिसके लिए ग्राम प्रधानों और सचिवों ने अपने स्तर से कार्य करना चालू भी कर दिया है ।कई गौ आश्रय केंद्रों में स्थाई तो ज्यादातर गौअश्रेय केंद्रों में अस्थाई रूप से पन्नी और त्रिपाल से छाया बना दी गई है। ताकि बारिश से गौवंश की रक्षा हो सके। और ठण्ड से मृत्यु न हो ।
जिसमें ग्राम प्रधानों का कहना है कि प्रशासन ने गौसंरक्षण के लिए आदेश तो जारी कर दिये है।
हम लोगों ने अपने स्वयं के उपायों से अभी तक गौआश्रय केंद्र संचालन किया है ।इन चार सौ गौवंशो के बीच एक ट्रैक्टर ट्राली का पुआल खाने के लिए प्रतिदिन देना पड़ता है जो कि 6 से ₹7हजार में आता है। जिसका आज तक कोई भी भुगतान नहीं हुआ। वही गौआश्रय केंद्र बनाने के लिए लगी तार फेंसिंग पिलर गेट और चरही में हमें साढे तीन लाख रुपया(3.5 लाख) खर्च हुए वहीं टीन की चादर हम लोगों ने उधार 89 हजार 700 रुपए में व्यापारी से उधार लिए हैं। हाल ही में हुई बारिश और ओलावृष्टि से बचाने के लिए लगभग ₹4लाख की स्थाई रूप से टीन सेट बनाने का भी आदेश हुआ है। जिसका कार्य प्रगति पर है ।वहीं विकृति स्वीकृति अभी तक हमें नहीं मिली है ।वित्तीय स्वीकृति के लिए जिला पंचायत राज अधिकारी के पास पड़ी 34 फाइलों में से एक भी फाइल अभी तक फाइनल नहीं हुई है ।और हमें समय से कार्य पूरा करके देना है। ऐसे में हम लोग कैसे भी सेठ महाजन से उधार मटेरियल लेकर काम पूरा कर पाएंगे ।जबकि यह प्रशासन हमें प्रतिदिन नए आदेश पे आदेश देता जा रहा है।और वित्तीय सहायता से पीछे भाग रहा है।आखिर कैसे और कब तक यू ही संचालित कर पाएगे इस गौअश्रेय केंद्र।
बाइट--धनराज (प्रधान चुरेह कसेरूवा)
बाइट-दिनेश कुमार अग्रवाल(खण्ड विकास अधिकारी)


Conclusion:
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