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दो प्रदेशों की सीमाओं में चित्रकूट के तीर्थस्थल,जानिए - कामदगिरी पर्वत

यूपी के चित्रकूट जिले में पड़ने वाले तीर्थ स्थलों के बीच सरहदी दीवारों ने तीर्थ यात्रियों को परेशान किया है. यहां दो प्रदेशों की सीमाओं के टकराव के चलते तीर्थ स्थलों के रखरखाव पर असर पड़ रहा है. चित्रकूट के कुछ तीर्थस्थल उत्तर प्रदेश की सीमा में तो कुछ मध्यप्रदेश की सीमा में पड़ते हैं.

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Published : Dec 5, 2020, 1:44 PM IST

चित्रकूट: भारत में प्रदेशों के सरहदी बंटवारे ने चित्रकूट को दो भागों में बांट दिया गया है, जिसमें धर्म नगरी चित्रकूट पहुंचने वाले भक्तों को खासा परेशानियों का सामना उठाना पड़ता है. वही संत साधु संतों का मानना है कि चित्रकूट को फ्री जोन घोषित करना विकास की दृष्टि से उचित होगा.

पढ़िए पूरा मामला

चित्रकूट में स्थित कामदगिरि पर्वत का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश की सीमा में है तो कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश की सीमा है. दरअसल 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में साढ़े 11 वर्ष बिताए थे. भगवान श्री राम ने इसी कामदगिरि पर्वत की पूजा की और वरदान दिया कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस पर्वत की पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. इस पर्वत पर बने कामतानाथ मंदिर में भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए पहुंचते हैं. पहले न तो प्रदेशों की सीमाएं थी और ना ही सीमाओं का बंधन.

दो भागों में बांटा गया चित्रकूट

राजा रजवाड़े खत्म होने पर भारत को प्रदेशों में बांटा गया. इस दौरान धर्म नगरी चित्रकूट को भी दो भागों में बांट दिया गया, जिसमें कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में आया तो कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश के चित्रकूट के जिला सतना में पहुंच गया. दो प्रदेशों की सीमाओं में बटी धर्म नगरी के चलते आने जाने वाले तीर्थ यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है. ऐसा नहीं कि धर्म नगरी चित्रकूट में पहुंचने वाले भक्त ही यह चाह रहे हैं कि चित्रकूट को एक ही प्रदेश में होना चाहिए, बल्कि समय-समय पर चित्रकूट के साधु महात्माओं द्वारा भी यह मांग होती रही है कि चित्रकूट को सीमाओं के बंधन से मुक्त होना चाहिए.

यूपी-मध्यप्रदेश में चित्रकूट के तीर्थस्थल

सीमाओं की अगर बात की जाए तो धर्म नगरी चित्रकूट में ज्यादातर तीर्थ स्थान मध्य प्रदेश की सीमा पर पड़ते हैं, जिसमें कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा के साथ कामदगिरि पर्वत तीर्थ के ज्यादातर हिस्से जैसे कामदगिरि प्रमुख द्वार व पूर्वी द्वार मध्य प्रदेश की सीमा पर हैं तो वहीं हनुमान धारा ,जानकीकुंड, सतीअनसूया और स्फटिक शिला जैसे प्रमुख तीर्थ स्थान मध्य प्रदेश में हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के हिस्से में कम ही तीर्थ स्थान आए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश शासन द्वारा इसे (टूरिज्म) पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा देने के उद्देश्य से विकास कार्य कराए गए हैं, जिसमें मंदाकिनी नदी के तट पर रामघाट पर स्थित यज्ञ वेदी मंदिर, तोता मुखी हनुमान जी ,भरत मंदिर व मंदाकिनी नदी में स्थित रामघाट का समुचित विकास उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराया गया है.

वहीं पुणे महाराष्ट्र से चित्रकूट तीर्थ करने आए भक्त शरद काम्बले ने बताया कि मध्य प्रदेश में पड़ने वाले तीर्थ स्थानों का ज्यादातर हिस्से टूटे-फूटे और गंदगी से भरे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले तीर्थ स्थानों में पर्यटन की दृष्टि से काफी विकास हुआ है, जिससे आने जाने वाले भक्तों को काफी सुविधा मिल रही है.

वहीं कामदगिरि प्रमुख द्वार के संत मदन दास ने बताया कि भक्त मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में न आकर रामचंद्र की तपोभूमि पर आते हैं, लेकिन विकास की दृष्टि से चित्रकूट को दो प्रदेशों में न विभाजित कर एक प्रदेश में ही दे देना चाहिए या फिर इसे केंद्र के अधीन कर फ्री जोन घोषित कर देना चाहिए, जिससे चित्रकूट का समुचित विकास हो सके.

चित्रकूट: भारत में प्रदेशों के सरहदी बंटवारे ने चित्रकूट को दो भागों में बांट दिया गया है, जिसमें धर्म नगरी चित्रकूट पहुंचने वाले भक्तों को खासा परेशानियों का सामना उठाना पड़ता है. वही संत साधु संतों का मानना है कि चित्रकूट को फ्री जोन घोषित करना विकास की दृष्टि से उचित होगा.

पढ़िए पूरा मामला

चित्रकूट में स्थित कामदगिरि पर्वत का कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश की सीमा में है तो कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश की सीमा है. दरअसल 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम ने चित्रकूट में साढ़े 11 वर्ष बिताए थे. भगवान श्री राम ने इसी कामदगिरि पर्वत की पूजा की और वरदान दिया कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस पर्वत की पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. इस पर्वत पर बने कामतानाथ मंदिर में भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए पहुंचते हैं. पहले न तो प्रदेशों की सीमाएं थी और ना ही सीमाओं का बंधन.

दो भागों में बांटा गया चित्रकूट

राजा रजवाड़े खत्म होने पर भारत को प्रदेशों में बांटा गया. इस दौरान धर्म नगरी चित्रकूट को भी दो भागों में बांट दिया गया, जिसमें कुछ हिस्सा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में आया तो कुछ हिस्सा मध्य प्रदेश के चित्रकूट के जिला सतना में पहुंच गया. दो प्रदेशों की सीमाओं में बटी धर्म नगरी के चलते आने जाने वाले तीर्थ यात्रियों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है. ऐसा नहीं कि धर्म नगरी चित्रकूट में पहुंचने वाले भक्त ही यह चाह रहे हैं कि चित्रकूट को एक ही प्रदेश में होना चाहिए, बल्कि समय-समय पर चित्रकूट के साधु महात्माओं द्वारा भी यह मांग होती रही है कि चित्रकूट को सीमाओं के बंधन से मुक्त होना चाहिए.

यूपी-मध्यप्रदेश में चित्रकूट के तीर्थस्थल

सीमाओं की अगर बात की जाए तो धर्म नगरी चित्रकूट में ज्यादातर तीर्थ स्थान मध्य प्रदेश की सीमा पर पड़ते हैं, जिसमें कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा के साथ कामदगिरि पर्वत तीर्थ के ज्यादातर हिस्से जैसे कामदगिरि प्रमुख द्वार व पूर्वी द्वार मध्य प्रदेश की सीमा पर हैं तो वहीं हनुमान धारा ,जानकीकुंड, सतीअनसूया और स्फटिक शिला जैसे प्रमुख तीर्थ स्थान मध्य प्रदेश में हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के हिस्से में कम ही तीर्थ स्थान आए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश शासन द्वारा इसे (टूरिज्म) पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा देने के उद्देश्य से विकास कार्य कराए गए हैं, जिसमें मंदाकिनी नदी के तट पर रामघाट पर स्थित यज्ञ वेदी मंदिर, तोता मुखी हनुमान जी ,भरत मंदिर व मंदाकिनी नदी में स्थित रामघाट का समुचित विकास उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराया गया है.

वहीं पुणे महाराष्ट्र से चित्रकूट तीर्थ करने आए भक्त शरद काम्बले ने बताया कि मध्य प्रदेश में पड़ने वाले तीर्थ स्थानों का ज्यादातर हिस्से टूटे-फूटे और गंदगी से भरे हैं. वहीं उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले तीर्थ स्थानों में पर्यटन की दृष्टि से काफी विकास हुआ है, जिससे आने जाने वाले भक्तों को काफी सुविधा मिल रही है.

वहीं कामदगिरि प्रमुख द्वार के संत मदन दास ने बताया कि भक्त मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में न आकर रामचंद्र की तपोभूमि पर आते हैं, लेकिन विकास की दृष्टि से चित्रकूट को दो प्रदेशों में न विभाजित कर एक प्रदेश में ही दे देना चाहिए या फिर इसे केंद्र के अधीन कर फ्री जोन घोषित कर देना चाहिए, जिससे चित्रकूट का समुचित विकास हो सके.

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